कोरबा जिले में जिम्मेदार अधिकारियों से मिलीभगत कर भू माफियाओं द्वारा सरकारी जमीनों पर राख पाटकर सरकारी जमीनों को भी हड़पा गया है इसकी भी जांच होनी चाहिए
छत्तीसगढ़/कोरबा :- जिले के पावर प्लांट से उत्सर्जित जहरीले राख का प्रकोप जांचने एनजीटी द्वारा गठित जांच टीम जिले में पहुंची है. एक जैसी दो अलग-अलग शिकायतों के लिए दो टीम जिले में मौजूद है, जो कि बीती रात को ही यहां पहुंच गई थी. जिन्होंने बुधवार की सुबह से कार्रवाई शुरू की. एनजीटी की टीम ने पहले तो कलेक्ट्रेट में अधिकारियों से विचार विमर्श किया.
इसके बाद शिकायतकर्ता को बुलाकर उनसे शिकायत की पूरी बात विस्तार से सुनी. टीम देर शाम फील्ड में निरीक्षण करने निकली. खास बात यह रही कि जहां-जहां एनजीटी के टीम की वाहन गई. वहां खास स्प्रिंकलर वाहन का इंतजाम किया गया था. इसके अलावा राख डैम से हवा चलने पर राख ना उड़े. इसके लिए भी पानी का छिड़काव करते हुए राख के ऊपर मिट्टी बिछा दिया गया है. ऐसे इंतजाम सामान्य दिनों में देखने को नहीं मिलते हैं. मामले के शिकायतकर्ता ने कहा कि सभी लीपापोती में लगे हैं, लेकिन यह काम नहीं आएगी.
राख जांचने कोरबा पहुंची एनजीटी टीम
कम गति में किया शहर का निरीक्षण : एनजीटी की टीम कलेक्ट्रेट से निकलकर ढेंगुरनाला तक गई.जो कि जिले का एक काफी पुराना प्राकृतिक नाला है. जहां से स्वच्छ पानी बहकर हसदेव नदी में मिल जाता है. यह नाला पिछले काफी समय से प्रदूषण के भीषण चपेट में भी है.शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत में कुल 16 स्थानों का जिक्र है. जिसमें से ढेंगुरनाला भी शामिल है.एनजीटी की टीम कलेक्ट्रेट से निकलकर आईटीआई चौक होते हुए ढेंगुरनाला नाला पर बने पुल के ऊपर से परसाभाठा तक पहुंची. टीम की गाड़ी पुल के ऊपर कुछ समय के लिए रुकी, इसके बाद 20 की स्पीड में धीरे-धीरे शहर का भ्रमण किया. हालांकि टीम ने निरीक्षण में क्या पाया? नियमों के उल्लंघन का जो जिक्र शिकायत में है. उस पर आगे किस तरह की कार्रवाई होगी, इस पर विस्तृत जानकारी नहीं मिल सकी है.
पानी छिड़काव के लिए खास स्प्रिंकलर वाहन का था इंतजाम : एनजीटी की टीम जिले में प्रदूषण की जांच करने पहुंची है. जहां-जहां टीम गई इसके आगे एक खास तरह के स्प्रिंकलर वाहन को तैनात करके रखा गया था. जोकि सड़क पर पानी का छिड़काव कर रहा था. जिससे कि सड़क पर मौजूद राख ना उड़े. इसके साथ ही जिस जगह के राख से हल्की सी हवा चलने पर भी राख का गुबार उठ रहा था.वहां भी पानी छिड़काव के लिए स्प्रिंकलर लगा दिए गए हैं. राख के ऊपर मिट्टी भी बिछा दी गई है. यह अभी हाल फिलहाल में किए गए इंतजाम हैं. जो कि खासतौर पर एनजीटी की टीम के आने के ठीक पहले किए गए हैं.
एनजीटी में शिकायत करने वाले याचिकाकर्ता रामअवतार अग्रवाल का कहना है कि “वर्तमान में कोरबा जिले के जितने भी पार प्लांट हैं, सभी ने शहर के 400-500 जेसीबी को किराए पर ले लिया है.सभी लीपापोती में लगे हुए हैं, पानी का छिड़काव हो रहा है. राख के ऊपर मिट्टी बिछाई जा रही है.यह सब खेल केवल दो-तीन दिनों तक चलेगा. एनजीटी की टीम को दिखाने के लिए लीपापोती का भरपूर प्रयास किया जा रहा है. लेकिन इसमें वह सफल नहीं होंगे, क्योंकि हमारे पास नियमों के उल्लंघन के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं. हमने प्रमाण के साथ शिकायत की है. हमारे पास ठोस साक्ष्य उपलब्ध हैं.”
राख ने किया ग्रामीणों का जीना मुहाल, एक जैसे मामलों के लिए जिले में 2 टीमें करेंगी निरीक्षण : जिले में सीएसईबी एनटीपीसी और बालको जैसे सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के पावर प्लांट संचालित है. यह सभी कोयला आधारित पावर प्लांट हैं. जिनसे प्रति माह 13 लाख मीट्रिक टन राख का उत्सर्जन होता है. राख के यूटिलाइजेशन में सभी पावर प्लांट काफी फिसड्डी है. पर्यावरण एक्टिविस्ट और बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष रामअवतार अग्रवाल ने राख के प्रकोप और प्रदूषण को लेकर एनजीटी में 250 पन्नों की याचिका लगाई थी. जिसके लिए एनजीटी ने जांच टीम का गठन किया है. इसी तरह के एक अन्य मामले में भी छत्तीसगढ़ में प्रदूषण के प्रकोप को लेकर एनजीटी ने दूसरी टीम का भी गठन किया है.
पहले टीम का गठन एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने किया है. जबकि दूसरी टीम का गठन लखनऊ बेंच द्वारा किया गया है. पहली टीम में 3 सदस्य हैं. जिसमें सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के अधिकारी के साथ ही जिला कलेक्टर और स्थानीय पर्यावरण संरक्षण मंडल आरओ को शामिल किया गया है. जबकि दूसरी टीम में 5 सदस्य हैं. अगले कुछ दिनों एनजीटी की टीमें जिले में पावर प्लांट से उत्सर्जित राख के प्रदूषण और इससे वाले प्रकोप का निरीक्षण करेंगे. टीम में अनूप चतुर्वेदी, पी जगन व अन्य शामिल हैं. सभी सेंट्रल पॉल्युशन बोर्ड में उच्च अधिकारी हैं. एक टीम फ्लाई ऐश से उत्सर्जित प्रदूषण जबकि दूसरी टीम रेड मड से संबंधित शिकायत की जांच करेगी.
टीम कलेक्ट्रेट में करती रही मीटिंग, इधर धनरास में उड़ा राख का गुबार : बुधवार को लगभग दिनभर एनजीटी की टीम कलेक्ट्रेट में अधिकारियों की मीटिंग करती रही. ठीक इसी समय बुधवार की दोपहर मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव धनरास में एनटीपीसी के राख डैम से राख का गुबार उड़ता हुआ दिखा. यहां के लोग राख से खासे परेशान हैं. पानी छिड़काव पूरी तरह से बंद है, धनरास के लोगों का कहना है कि एनटीपीसी के राख ने उनका जीना दुश्वार कर रखा है. इस मामले में एनटीपीसी प्रबंधन से भी संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका.
निरीक्षण के बाद देंगे विस्तृत जानकारी: एनजीटी की टीम में पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा के रीजनल ऑफिसर अंकुर साहू भी शामिल हैं. जिन्होंने बताया कि फिलहाल निरीक्षण जारी है.निरीक्षण पूरा हो जाने के बाद ही विस्तृत जानकारी देंगे. इसके पहले कुछ भी बता पाना संभव नहीं है. एनजीटी की टीम जिले में है, आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.
कोरबा जिले में जिम्मेदार अधिकारियों और भू माफियाओं की मिलीभगत से राख पाटकर अरबों की सरकारी जमीने हड़पी गई न्यायिक जांच पर हो सकता है खुलासा
सूत्रों की माने तो कोरबा जिले में बीते लगभग डेढ़ वर्षो में जब से ब्लैक स्मिथ कंपनी द्वारा बालको के राखड़ डेम की राख फेंकने का टेंडर लिया है तब से जिले में अभी तक अरबों रुपए की सरकारी जमीने भू माफियाओं और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से हड़पी जा चुकी हैं अगर न्यायिक जांच हो जाए तो शायद कई भूमाफिया और उनसे मिले जिम्मेदार अधिकारी बेपर्दा हो सकते हैं और इन अधिकारियों और भू माफियाओं के पास अकूत चल अचल संपत्ति का खुलासा हो सकता है,
बता दें लगभग डेढ़ वर्षो से कोरबा जिले में पावर प्लांटों से निकलने वाली जहरीली राख को जगह जगह फेंका जा रहा है इसी राख के आड़ में भू माफिया जिम्मेदार अधिकारियों से मिलीभगत कर जिले की अरबों रुपए की सरकारी जमीनों पर राख पाटकर कब्जा कर चुके हैं अब राख पाटे गए ज्यादातर स्थानों पर मिट्टी डालकर ढक दिया गया है,
किस प्रकार खेला गया राख के आड़ में सरकारी जमीनों का खेल
भू माफियाओं द्वारा जंगली क्षेत्र से लगे भोले भाले ग्रामीणों के नामी भूभाग के कुछ हिस्से को ओने पौने दामों में खरीद कर प्रशासन से उस जमीन पर राख डालने की अनुमति लेकर उसी जमीन के भूभाग से लगे कई एकड़ सरकारी जमीन जो जंगल जुड़ी हुई होती है अपनी खरीदी गई जमीन के अलावा उस सरकारी जमीन पर राख पाट कर राजस्व विभाग से मिलीभगत कर दूसरे जगह की जमीन उस जंगल की जमीन पर राजस्व की जमीन बताते हुए हड़पी गई है ऐसे जिले में दर्जनों मामले हैं नोनबिर्रा और झगरहा गोढ़ी जाने वाले मार्ग और बरबसपुर बाईपास सहित कई इलाकों में तो भू माफियाओं द्वारा नंगा नाच खेला गया जहां सैकड़ों सरकारी जमीने रातो रात निजी बन गई सही तरीके से जांच हो जाए तो कई अधिकारी कई सफेदपोश और भूमाफिया बेपर्दा हो सकते हैं ।
इस मामले पर भी सही तरीके से जांच होनी चाहिए जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए जल जंगल और जमीन सुरक्षित रह सके और सरकारी योजनाओं के संचालन के लिए जमीनों की तंगी भविष्य में ना हो सके ।