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पति की शासकीय नौकरी को बचाने के लिए आयोग का दुरुपयोग ना करे महिलाएं

पति-पत्नि के बीच झगडे का आयोग ने किया सुलहनामा, दिव्यांगता के आड़ में सरकारी नौकरी ना दुरूपयोग न करे महिला

छत्तीसगढ़/रायपुर :-  छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 258 वीं व जिला स्तर पर 130 वीं सुनवाई हुई।

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आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दोनों पक्षों को विस्तार से सुना गया। आवेदिका व अनावेदक का एक बच्चा है। आयोग की समझाइश पर अनावेदक आवेदिका को ले जाना चाहता है और दोनों पक्षों के मध्य आयोग की काउंसलर एक साल तक प्रकरण की निगरानी करेगी। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।

एक अन्य प्रकरण में पिछली कई सुनवाई में दोनों पक्ष के मध्य सुलह का प्रयास किया जा चुका है। लेकिन अनावेदकगण आवेदिका को प्रताड़ित कर रहे है। आवेदिका को समझाइश दिया गया कि वह अनावेदकगण के विरूद्ध थाने में अवमानना की रिपोर्ट दर्ज करा सकती है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने दिव्यांगता को आधार बनाकर आयोग में प्रकरण प्रस्तुत किया है। अनावेदक द्वारा बताया गया कि आवेदिका अपनी दिव्यांगता के आड़ में तीन पहिया गाड़ी ओ.पी.डी. के सामने खड़ा करती थी और शासकीय कार्यों की जिम्मेदारी में लापरवाह रही विभागीय जांच में उनके साथ कार्यवाही ना कर उसे स्थानांतरित कर दिया गया यदि फिर भी सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसका HDFC बैंक में जनरल खाता है। उस खाते से आवेदिका ने कोई लोन नहीं लिया था। लेकिन मई 2023 में अपनी बेटी की शादी के लिए लोन का फॉम भरी तो उसे बताया गया कि उसके खाते से 1,25,000/- रु. का लोन लिया गया है। यह सारी जानकारी आवेदिका को मौखिक दी गई। कोई दस्तावेज नहीं दिया गया। अनावेदक पक्ष की ओर से लिगल मैनेजर उपस्थित हुए उन्होने कहा कि इस प्रकरण की जानकारी ब्रांच मैनेजर द्वारा ही दी जा सकती है। उपस्थित अनावेदक को समझाईश दिया गया कि अगली सुनवाई में HDFC बैंक के ब्रांच मैनेजर को उपस्थित करें ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पूर्व पति से उसकी दो संताने है। पूर्व पति की मृत्यु के बाद बीमा क्लेम की राशि 2 लाख रू. आवेदिका को प्राप्त हुए। आवेदिका ने अपने पूर्व पति के माता पिता को हिस्सा नहीं दिया और अन्य पुरुष से दूसरा विवाह कर लिया। अब आवेदिका अपने पूर्व पति के माता- पिता से अपने बच्चों के लिए हिस्सा चाहती है। महज अनावेदक पक्ष को परेशान करने के लिए आवेदिका ने यह प्रकरण प्रस्तुत किया। प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदिका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आवेदिका को अनावेदिका से प्रत्यक्ष रूप से कोई शिकायत नहीं है महज अपने पति को बचाने के लिए उसने शिकायत की थी। अनावेदिका ने बताया कि उसके खिलाफ कई जगह शिकायत आवेदिका के पति ने किया है और विभागीय शिकायत झूठी पाई गयी है। उसने अनुसूचित जाति आयोग का दस्तावेज प्रस्तुत किया। आवेदिका पति को बचाने के लिए आयोग में शिकायत का अधिकार नहीं रखते। अतः प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

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