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देश का प्रकृति परीक्षण अभियान के अंतर्गत श्री शिव औषधालय निहारीका में आयोजित निशुल्क प्रकृति परीक्षण शिविर में 600 लोगों ने कराया अपना निशुल्क प्रकृति परीक्षण

प्रकृतिनुसार आहार-विहार-विचार परामर्श एवं उपचार के विषय में विस्तार से श्री शिव औषधालय निहारीका के प्रधान चिकित्सक, “देश का प्रकृति परिक्षण” अभियान कोरबा जिला के सह समन्वयक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने दी जानकारी,

अपनी प्रकृति अनुसार करें आहार विहार-विचार एवं व्यवहार- डॉ. नागेन्द्र शर्मा

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छत्तीसगढ़/कोरबा :- आयुष मंत्रालय भारत के “देश का प्रकृति परिक्षण” अभियान के अंतर्गत निशुल्क प्रकृति परीक्षण प्रकृतिनुसार आहार-विहार-विचार परामर्श एवं उपचार शिविर का आयोजन छत्तीसगढ के स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल जी, आयुष छत्तीसगढ़ के संयुक्त संचालक डॉ.सुनील दास जी तथा “देश का प्रकृति परिक्षण” अभियान के प्रांतीय संयोजक, छत्तीसगढ़ आयुर्वेद यूनानी प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड के रजिस्ट्रार डॉ.संजय शुक्ला जी के निर्देशन में कोरबा जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ.उदय शर्मा जी कोरबा के मार्गदर्शन में “देश का प्रकृति परिक्षण” अभियान कोरबा जिला के समन्वयक डॉ.पवन कुमार मिश्रा एवं सह समन्वयक डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा के नेतृत्व में श्री शिव औषधालय निहारीका में आयोजित प्रकृति परीक्षण शिविर में 600 लोगों ने अपना प्रकृति परीक्षण कराया। श्री शिव औषधालय निहारीका के प्रधान चिकित्सक, “देश का प्रकृति परिक्षण” अभियान के सह समन्वयक डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने सभीका प्रकृति परीक्षण कर उन्हें उनकी प्रकृतिनुसार आहार-विहार-विचार परामर्श एवं उपचार के विषय में विस्तार से बताते हुये उन्हें उनकी प्रकृति का डिजिटल सर्टिफिकेट भी प्रदान कीया। प्रकृति परीक्षण कराने आये लोगों ने अपना प्रकृति परीक्षण कराकर अपनी प्रकृति के विषय मे जानकर अत्यंत प्रसन्नता व्यक्त करते हुये इस आयोजन की उन्मुक्त कंठ से प्रसंशा की। इस अवसर “देश का प्रकृति परिक्षण” अभियान के विषय मे अभियान के सह समन्वयक डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की जिस तरह से पूरी सृष्टि का निर्माण पंचमहाभूत (आकाश-वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी) से हुआ है, उसी तरह हमारा शरीर भी पंचभौतिक (आकाश-वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी) है। और जो तीन दोषों वात-पित्त-कफ से हमारी प्रकृति का निर्माण होता है वह दोष भी अलग अलग महाभूतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तरह प्रकृति परीक्षण के माध्यम से हम अपनी प्रकृति को जानकर इस पंचमहाभूतात्मक सृष्टि से अपनी प्रकृति अनुसार आहार विहार कर स्वस्थ व आनंदित जीवन जी सकते हैं । शिविर को सफ़ल बनाने में नेत्रनंदन साहू, कमल धारिया, अश्वनी बुनकर, चक्रपाणि पांडेय, अरुण मानिकपुरी, महेंद्र साहू, देवबलि कुंभकार, सिद्धराम शाहनी, राकेश इस्पात, कमला कुंभकार, नेहा कंवर एवं श्री शिव औषधालय की संचालिका श्रीमती प्रतिभा शर्मा ने विशेष रूप से उपस्थित होकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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