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शवों से रेप, मानव मांस खाया, 19 महिलाओं-बच्चों से बलात्कार और हत्या- 14 साल से फांसी की सजा झेल रहे पंढ़ेर और कोली निर्दोष हैं तो बच्चों को किसने मारा? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किया बरी, अभिभावक पूछ रहे सवाल, इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आते ही 3 साल के बच्चों के पिता ने बरसाई खूनी कोठी पर लाल ईंट 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए निठारी कांड के आरोपियों मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले पर नोएडा में अभिभावक दुखी हैं। पूछ रहे हैं कि अगर इन दोनों ने उनके बच्चों को नहीं मारा तो किसने मारा। अभिभावकों का कहना है कि 17 साल बाद भी हम लोगों को न्याय नहीं मिला

नोएडा :-  29 दिसंबर 2006 को सेक्टर 31 के निठारी गांव स्थित डी-5 कोठी के आसपास एक के बाद एक नर कंकाल मिलने से लोगों की रूह कांप उठी थी। जांच शुरू हुई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। लापता 18 बच्चों और एक कॉल गर्ल की हत्या की बात सामने आई। जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया। डी-5 कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और नौकर सुरेंद्र कोली आरोपी बने, 16 केस में ट्रायल शुरू हुआ। फांसी की सजा कई केस में सुनाई गई। अब करीब 17 साल बाद हाई कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया। इस फैसले के बाद सोमवार को पीड़ित परिवार के साथ आसपास के लोग खंडहर हो चुकी D-5 कोठी के पास पहुंचे तो उनका दर्द छलक गया। एक पीड़ित पिता ने गुस्से में कोठी पर ईंट फेंके। पीड़ित माता पिता का दुख और गहरा हो गया। वहां पहुंचे अपनों को खोने वालों ने कहा कि 17 साल बाद भी हम लोगों को न्याय नहीं मिला। निठारी कांड में अपने बच्चों को खाने वाले पैरंट्स का लगभग एक ही सवाल है कि अगर पंढ़ेर और कोली निर्दोष हैं तो उनके बच्चों को किसने मारा है।

निठारी कांड की जांच में सामने आए तथ्य इतने भयावह थे कि ऐसी हैवानियत इंसान करेगा ये कल्पना ही कोई नहीं कर पा रहा था। इसके बाद नर पिशाच शब्द लोगों की जुंबा से यहां अपराध करने वालों के लिए निकला। निठारी में उस समय कई बच्चे लापता हुए थे, जिनके नाम इस कांड में शामिल थे। मीडिया का जमावड़ा लगने पर वह फिर उसी कोठी के आगे पीछे पहुंच गए। एक पीड़ित पिता ने तो मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी पर ईंट फेंक कर आक्रोश जताया। वहीं, एक माता-पिता जो कोठी से कुछ ही दूरी पर कपड़ा प्रेस करते हैं उन्होंने पीएम और सीएम से न्याय की गुहार लगाई। डी-5 कोठी के सामने सोमवार दोपहर में भीड़ जुट गई। इसमें मीडिया के साथ निठारी व आस-पड़ोस के निवासी भी शामिल थे। फिर निठारी कांड को लेकर हर कोई अपनी-अपनी बातें करता हुआ नजर आया।

नाले में मिला था कंकाल

निठारी निवासी राजवती जो कि अब जूता-चप्पल की दुकान चला रही हैं उन्होंने अपना 5 साल का बच्चा निठारी कांड में खोया था। बातचीत में बताया कि शादी के 8 साल बाद उनको बच्चा हुआ था। 27 अप्रेल 2006 को वह घर के बाहर खेलने के लिए गया था लेकिन वापस नहीं लौटा। फिर मुझे यह जानकारी मिली कि उसका कंकाल डी-5 बंगले के सामने बहने वाले नाले में मिला था। राजवती जोर देकर कहती हैं कि अगर कोर्ट ने कह दिया है कि वो दोनों दोषी नहीं हैं तो किसने मेरे बच्चे को मारा है।

कपड़े लेकर निकली थी बेटी

निठारी कांड की पीड़ित और लापता हुई 10 वर्षीय बच्ची की मां सोमवार को बात करते हुए फफक पड़ी। बोली वक्त बीत गया लेकिन आंसू नहीं सूखे और बेटी की यादें धुंधली नहीं हुईं। फांसी की सजा जब हुई थी तब लगा था कि बेटी की मौत पर इंसाफ शायद मिल जाए, लेकिन आज लग रहा है कि इंसाफ की उम्मीद भी मर रही है। वहीं, ज्योति के पिता जब्बू लाल का कहना था कि 17 साल बीत जाने के बाद भी हम लोगों को न्याय नहीं मिला है और सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है। उस दिन हुआ क्या था ये पूछने पर झब्बू लाल बताते हैं कि डी-5 कोठी के सामने ही हम कपड़े धुलाई और प्रेस करने की दुकान चलाते थे।

झब्बू लाल की 10 साल की बेटी कपड़े लेकर दुकान से बाहर निकली और वह वापस नहीं आई। झब्बू लाल और उनकी पत्नी बेटी को ढूंढने बाहर निकले तब कोठी के सामने मनिंदर पंढेर और सुरेंद्र मिले भी थे। बेटी के बारे में पूछा था तो दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया था। इसके बाद इन दोनों का ही नाम आया था।

बेटे के बारे में मुझसे न ही पूछिए

निठारी से 2006 में ही रामकिशन का 3 साल का मासूम बेटा लापता हुआ था। उसका नाम भी केस में हुई हत्याओं में शामिल था। पेशे से नोएडा अथॉरिटी में चालक रामकिशन सोमवार को ड्यूटी पर थे। फैसले के बारे में सुना और यह जानकारी हुई कि डी-5 कोठी के सामने भीड़ जुट रही है। वह मौके पर बदहवासी की स्थिति में पहुंच गए। कोई कुछ समझ पाता इसके पहले पड़ी हुई ईंटे उठाकर खंडहर हो चुकी कोठी पर फेंकने लगे। फिर खड़े होकर किसी को फोन करने की कोशिश की और उनके आंखों से आंसू टपकने लगे। बात करने पर बस यही बोले कि बेटे के बारे में न पूछिए, दुख बार-बार बता नहीं सकता। काफी देर तक कोठी की तरफ खड़े-खड़े निहारते रहे और वहां से चले गए।

निठारी कांड और डी-5 कोठी का कनेक्शन

नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी की D-5 कोठी मोनिंदर सिंह पंधेर की थी और वह वहीं रहता था। मोनिंदर मूल रूप से पंजाब का रहने वाला है, वर्ष 2000 में उसने ये कोठी खरीदी थी। 3 साल उसका परिवार भी इस कोठी में रहा था। इसके बाद पंजाब शिफ्ट हो गया। मोनिंदर ने घर पर अल्मोड़ा (उत्तराखंड) निवासी सुरेंद्र कोली को नौकर रखा था। धीरे-धीरे इस इलाके से कई बच्चे व बच्चियां लापता होनी शुरू हो गईं। एक कॉल गर्ल भी लापता हो गई। अब नोएडा पुलिस की दो टीमें थीं। एक टीम बच्चों के लापता होने पर अलग-अलग गैंग पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य प्रदेश में काम कर रही थी।

वहीं, दूसरी तरफ एक टीम कॉल गर्ल की तलाश में लगी हुई थी। फिर इस केस में पुलिस की टीम पहली बार डी-5 कोठी तक पहुंची थी। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को कोठी के आगे नाले और पीछे खाली जगह में कई कंकाल मिले थे। इसके बाद दोनों जांच एक ट्रैक पर शुरू हो गई थी। सीबीआई ने इन हत्याओं में मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया था। कई केस में हत्या की सजा भी सीबीआई कोर्ट से सुनाई गई।

निठारी कांड में कब क्या हुआ

29 दिसंबर 2006 : कोठी के पीछे और आगे नाले में बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे, मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार।
8 फरवरी 2007- कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया।
मई 2007 – सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। दो महीने बाद कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे फिर सहअभियुक्त बनाया।
13 फरवरी 2009- विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। यह पहला फैसला था।
3 सितंबर 2014- कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट भी जारी किया।
4 सितंबर 2014 – कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया।
12 सितंबर 2014 – से पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी। वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा।
12 सितंबर 2014 – सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई।
28 अक्तूबर 2014 – सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया। 2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी।
28 जनवरी 2015 – हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया।

पेश हुए 38 गवाह

निठारी कांड के अन्य मामलों का खुलासा होने पर इस मामले को भी सीबीआई ने 11 जनवरी 2007 को अपने हाथ में ले लिया था। सीबीआई ने 26 जुलाई 2007 को अदालत में चार्जशीट पेश की थी। मामले में सीबीआई कोर्ट में 305 दिन सुनवाई हुई। इस दौरान कुल 38 गवाह पेश किए गए।

शवों से रेप, मानव मांस खाया, 19 महिलाओं-बच्चों से बलात्कार और हत्या- 14 साल से फांसी की सजा झेल रहे सुरेंद्र-मोनिंदर बरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार  16 अक्टूबर 2023 को नोएडा के बहुचर्चित निठारी मामले में मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को राहत देते हुए बरी कर दिया. इसके साथ ही सह अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को भी दो मामलों में हाई कोर्ट ने बरी कर दिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से दोनों को फांसी की सजा देने के आदेश पर रोक लग गई. हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में दोनों अभियुक्तों को बरी किया. सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को ट्रायल कोर्ट ने हत्या और बलात्कार के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई थी. पंढेर और कोली ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपने मामले को सिद्ध करने में विफल रहा. आइए जानते हैं कि नोएडा के निठारी कांड से जुड़े तमाम सवालों के जवाब…

शवों से रेप करता था आरोपी

इस मामले की जांच के दौरान आरोपी कोली के ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट किए गए. टेस्ट के दौरान उसने कहा कि सभी मौतें गला घोंटने से हुई थीं. शवों को अपने निजी शौचालय में ले जाने और उनके टुकड़े-टुकड़े करने से पहले वह उनके साथ बलात्कार करता था.

मानव मांस खाया

निठारी का सनसनीखेज मामला उस समय सामने आया था, जब 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी में पंढेर के मकान के पीछे ड्रेन में आठ बच्चों के कंकाल पाए गए. कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, सुरेंद्र कोली पर पीड़ितों के शरीर के अंगों को खाने के आरोप भी लगे.

19 महिलाओं-बच्चों से बलात्कार और हत्या का आरोप

मोनिंदर सिंह पंढेर के मकान के पास से बरामद किए गए मानव अवशेषों के आधार पर दोनों आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं कई मामले दर्ज किए गए थे. कोली और पंढेर पर 19 महिलाओं-बच्चों से बलात्कार और हत्या का आरोप लगा था.

14 साल से फांसी की सजा झेल रहे सुरेंद्र-मोनिंदर बरी

13 फरवरी 2009 को सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बलात्कार और हत्या के आरोपों में दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई.

2006 में खुला था मामला

2005 और 2006 के बीच नोएडा में निठारी कांड की आहट सुनाई दी. इन दो सालों में कई बच्चे और महिलाओं के गायब होने की खबरें आती रहीं. इसी दौरान दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी में एक मकान के पास नाले में मानव कंकाल पाए गए थे.

सीबीआई ने की थी केस की जांच

मोनिंदर सिंह पंढेर इस मकान का मालिक था और सुरेंद्र कोली उसके यहां नौकरी करता था. पंढेर के मकान के आसपास के क्षेत्र में ड्रेन में तलाशी के बाद और कंकाल पाए गए. इनमें से ज्यादातर कंकाल गरीब बच्चों और युवतियों के थे, जो उस इलाके से लापता थे. दस दिनों के भीतर ही सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया.

19 मामले हुए थे दर्ज

कोली और पंढेर के खिलाफ सीबीआई की जांच के बाद अलग-अलग धाराओं में 19 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें रेप, कत्ल, अपहरण, सबूतों से छेड़छाड़ जैसे संगीन आरोप थे.

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