कहीं बंटे नहीं , कहीं इंस्टाल नहीं हुए तो कहीं कार्यकर्ताओं के घर में सामाग्री
पड़ताल में जिले के विभिन्न क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों में सक्षम योजना की सामाग्री को लेकर हैरान करने वाली स्थिति नजर आई। पोंडी परियोजना के रावा सेक्टर के धौराभांठा,कोरबा ग्रामीण के बेंदरकोना ,करमंदी(बाँधपारा )में एलईडी इंस्टाल (चालू )ही नहीं हुए है। वहीं ,पसान परियोजना के नवापारा समलाई,पुरानी बस्ती क्रमांक 1में सामाग्री ही नदारद मिली।कार्यकताओं ने बताया कि जगह के अभाव में उन्होंने सामाग्री घर पर रखा है । वहीं पोंड़ी उपरोड़ा के जटगा सेक्टर के माँझीपारा ,कोरबा शहरी के मुड़ापार क्रमांक -3 में कार्यकर्ता ने सामाग्री ही प्राप्त नहीं होने की बात कही।
तो भौतिक सत्यापन गुणवत्ता परीक्षण की दरकार !
नियमानुसार 30 फीसदी सामाग्री का तकनीकी जानकार अधिकारियों से भौतिक सत्यापन कराया जाना चाहिए ,जिसमें आईटीआई के प्राचार्य या महाप्रबंधक उद्योग विभाग के अधिकारी हो सकते हैं। लेकिन विश्वस्त सूत्रों के अनुसार किसी एक आईटीआई के प्राचार्य ने फर्म से रिश्तेदारी निभाने पूरे जिले के सभी दसों परियोजनाओं के लिए प्राप्त सामाग्री का नियम विरुद्ध भौतिक सत्यापन कर संतुष्टि प्रमाणपत्र दे दिया। पृथक पृथक प्राचार्य अपने क्षेत्रों की सामाग्रियों का सत्यापन करते। निश्चित तौर मामला गम्भीर है,पूरे प्रदेश में करीब 100 करोड़ रुपए से भी अधिक की खरीदी का मामला है ।फर्नीचर ,अलमीरा ,पेटी ,रेक की गुणवत्ता दोयम दर्जे की होने की जानकारी मिल रही। लिहाजा नए सिरे से गुणवत्ता परीक्षण कर भौतिक सत्यापन किए जाने की दरकार है। छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार अब इस प्रकरण पर संज्ञान लेकर आवश्यक जांच कार्रवाई सुनिश्चित करती है या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा ,यह आने वाले वक्त में देखना दिलचस्प होगा।
डीएमएफ से लाभान्वित हो चुके ,फिर भी लाभान्वित कर रहे
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल में किस कदर आंगनबाड़ी केंद्रों को संवारने के नाम पर शासकीय फंड की लूट मची थी इसकी बानगी पड़ताल में देखने को मिली। पड़ताल के दौरान कई केंद्र ऐसे मिले जहां साल भर पूर्व 30 करोड़ की लागत से अलमीरा,वाटर प्यूरीफायर ,बुक सेल्फ,पेटी प्रदाय किया जा चुका है ,जो आज तंगहाल में हैं व शो पीस बने हैं। बावजूद इसके उन केंद्रों को सक्षम योजना से भी लाभान्वित कर पुनः अलमीरा ,पेटी ,फर्नीचर प्रदाय किया जा रहा।पोंडी परियोजना के रावा सेक्टर के धौराभांठा,,पसान परियोजना के नवापारा समलाई, कोरबा शहरी के पुरानी बस्ती ,पथर्रीपारा ,कोरबा ग्रामीण के भैसमा सेक्टर के केंद्रों में यह तस्वीर देखी जा सकती है। सवाल यह है कि क्या इन केंद्रों के चिन्हांकन से पहले इस बात का ख्याल रखा गया या फिर चुनाव पूर्व आबंटन खत्म करने मनमाने तरीके से करोड़ों के सामाग्री की आपूर्ति कर दी गई। केंद्रों में प्रदाय सामाग्रियों की सुरक्षा की भी चिंता कार्यकर्ताओं को सता रही है।
शो पीस बने आरओ वाटर प्यूरीफायर
पूर्ववर्ती सरकार ने जर्जर आंगनबाड़ी केंद्रों की जगह नवीन आंगनबाड़ी भवन निर्माण ,जीर्णोद्धार की दिशा में सार्थक पहल करने की जगह केंद्रों में सामाग्री आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया। नतीजन आज सक्षम योजना से भी लाभान्वित अधिकांश केंद्र जर्जर अवस्था मे हैं कइयों में बाउंड्रीवाल नहीं ,कई भवन तंग हाल में अत्यंत जर्जर हैं। डीएमएफ से लगे करोड़ों के वाटर प्यूरीफायर जल स्रोत नहीं होने की वजह से विद्युतीकरण के अभाव में शो पीस बने हैं। हसदेव की पड़ताल में प्रायः सभी जगह लगे वाटर प्यूरीफायर खराब मुंह चिढ़ाते मिले ।
संचालनालय से सामाग्रियों की आपूर्ति हो रही है। लिहाजा इस विषय में अधिक जानकारी नहीं दे सकते।
प्रीति खोखर चखियार,डीपीओ ,मबावि ,कोरबा