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कोरबा : फलों के राजा आम की सरकारी उद्यान में ऐसी दुर्दशा, 50 कैरेट से ज्यादा आम सड़ा दिया गया, पौधे लगाने बनाए गए डोम में उग रही घास,  शासन के करोड़ों खर्च करने के बाद किसानों को उद्यानिकी का नहीं मिल रहा लाभ, देखिए वीडियो

पताढ़ी के सरकारी उद्यान में 50 कैरेट से ज्यादा आम सड़े,  नहीं आए लोगों के काम, मार्केट रेट से 2 गुना रेट पर आम की बिक्री की जा रही, लोग सरकारी उद्यान के आम खरीदने नहीं दिखा रहे रुचि, गोपालपुर उद्यान मे पौधे लगाने बनाए गए डोम में उगी घास डोम के रखरखाव में भी कमी, शासन की उद्यानिकी एवं बागवानी की योजना से किसान हो रहे वंचित

छत्तीसगढ़/कोरबा :- लोगों को उद्यान लगाने उद्यान के प्रति जागरूक करने जहां शासन द्वारा उद्यान विभाग की स्थापना की गई है इस विभाग के माध्यम से जिले में सरकारी उद्यान लगाकर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी अधिकारियों को दी गई है जहां उद्यान से संबंधित अनेक प्रकार के पौधे तैयार कर लोगों को कम कीमत पर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी विभाग की है जिससे लोगों को उद्यान लगाने के लिए प्रेरित किया जा सके और बागवानी के प्रति किसानों की रूचि बढ़ाई जा सके जिससे उद्यान लगाकर किसान खुशहाल, समृद्ध और स्वरोजगार उत्पन्न कर सके, इसके साथ साथ इस सरकारी उद्यान में उत्पन्न होने वाले फल फूल को कम रेट में सैंपल के तौर पर उपलब्ध कराने की शासन की योजना पर कोरबा जिले में अधिकारियों द्वारा पानी फेरा जा रहा है उद्यानिकी विभाग की योजनाएं यहां के किसानों को मिलती नहीं दिखाई दे रही हैं शासन जहां इस विभाग में हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर किसानों को उद्यान के प्रति जागरूक करना चाह रहा है वही विभाग के अधिकारीयों के लापरवाही के कारण शासन द्वारा चलाई जा रही उद्यानिकी विभाग की योजनाएं किसानों तक नहीं पहुंच पा रही हैं केवल खानापूर्ति नजर आ रही है ।

कोरबा जिले के पताढ़ी उद्यान में अधिकारियों की मानिटरिंग की कमी और उद्यान अधीक्षक की लापरवाही के कारण इस उद्यान के आम लोगों के खाने के काम ना आ सके यहां लगभग 50 कैरेट से ज्यादा आम सड़ गया, अधीक्षक का कहना है कि हमारे द्वारा आम की नीलामी कर दी गई है अब ठेकेदार की जिम्मेदारी है ,  हमें शासन के खजाने भरने से मतलब ।

लोग कह रहे हैं ऐसे सरकारी उद्यान किस काम के जहां मार्केट रेट से दोगुना आम बेचे जा रहे हैं समय पर बिक्री नहीं होने के कारण आम सड़ रहे हैं सूत्रों की माने तो अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत से कम रेट में ठेकेदार को फायदा पहुंचाते हुए आम का टेंडर किया गया था अधिकारियों की मानिटरिंग और ठेकेदार पर अंकुश नहीं होने के कारण आम सड़ रहे हैं जो लोगों के काम नहीं आ रहे हैं जबकि शासकीय उद्यानिकी में लोगों को कम कीमत पर आम व पौधे दिए जाने चाहिए जिससे लोग बागवानी के प्रति आकर्षित हो लेकिन शायद उद्यान अधीक्षक और अधिकारियों की उदासीनता पूर्ण गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण शासन के करोड़ों खर्च करने के बाद शासन की इस उद्यानिकी की योजनाओं में पानी फिरता दिखाई दे रहा है ।

गोपालपुर उद्यानिकी का हाल बेहाल

गोपालपुर उद्यानिकी में लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए पौधे लगाने के डोम बद से भी बेबदतर दिखाई दे रही है जहां पौधे उगाने की जगह घास फूस और बंजर नजर आ रहा है इन डोम की रक्षा भी अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं, वह जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़े नजर आ रहे हैं । इस प्रकार शासन के मनसा अनुरूप किसानों को उद्यानिकी का फायदा नहीं मिल पा रहा है जिससे किसान उद्यान और बागवानी लगाने ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं भले ही शासन द्वारा इनके रखरखाव और अनेक उपकरणों के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाने और जागरूक करने की योजना चलाई जा रही हो लेकिन अधिकारियों की मनमानी के कारण यह योजना धरातल में नहीं उतर पा रही हैं और किसान बागवानी और उद्यान लगाने रुचि नहीं दिखा रहे हैं । छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा बोला जाता है लेकिन सरकार किसानों को अन्य फसलों उद्यान बागवानी से जोड़ने का प्रयास कर रही है लेकिन ऐसा लगता है कोरबा जिले में अधिकारियों की उदासीनता और मॉनिटरिंग की कमी के कारण सरकार की इन योजनाओं का लाभ किसानों को आसानी से नहीं मिल पा रहा है । और मजबूरन जानकारी के अभाव में लोग धान की फसल लगाने के लिए मजबूर हैं ।

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