छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोरोना काल में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाई गई योजना पढ़ाई तुम्हर द्वार कार्यक्रम में कोरबा जिला शिक्षा विभाग पूरी तरह फेल है शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था और भ्रष्टाचार की वजह से कोरोना काल में सरकार द्वारा चलाई गई योजना का लाभ कोरबा जिले के विद्यार्थियों को नहीं मिला है यही कारण है कि आज कोरबा जिला पहली बार टॉप 10 में जगह बनाने मे फिसड्डी की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया, हालांकि द्वितीय स्थान में कोरबा जिले के कुछ विद्यार्थी शिक्षा के नाम पर जिले का मान बढ़ाने में अपना अहम योगदान दिए हैं ।
कोरोना महामारी की वजह से सीजी बोर्ड की 2 वर्ष बाद परीक्षाएं ऑफलाइन हुई बोर्ड ने अध्ययनरत विद्यार्थियों के स्कूल को परीक्षा केंद्र बनाया बावजूद इसके हायर सेकेंडरी की परीक्षा में 18.35 फीसदी और हाई स्कूल में 33.67 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गए लेकिन द्वितीय स्थान पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या इनमें भी अधिक है परिणामों को देखते हुए कोरबा जिला शिक्षा विभाग की ऑनलाइन कक्षाओं सहित शिक्षा तुंम्हर द्वार कार्यक्रम की पोल खोल कर रख दी है कोरबा जिला शिक्षा विभाग सरकार के कार्यक्रम में भूमिका निभाने में फेल हुआ है बताया जा रहा है जिला शिक्षा विभाग ने मुख्य परीक्षा के पहले बेहतर अंक प्राप्त करने वाले विशेष परीक्षार्थीयों की कक्षाएं नहीं लगाई, इसलिए शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है और कोरबा जिला पहली बार टॉप 10 की सूची से बाहर हो गया है, कोरोना काल के पहले हर वर्ष कोरबा जिले का रिकॉर्ड रहा है कि हर वर्ष दो से तीन बच्चे टॉप टेन में अपनी जगह बनाते आ रहे हैं ।
परीक्षा परिणाम में संभाग स्तर पर कोरबा दूसरे स्थान पर और प्रदेश में 13वें स्थान पर रहा, कोरबा में जिला टॉपर के नाम पर गौरव पांडे ने हासिल किया 96.33% अंक सौरभ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीतामढ़ी के छात्र हैं जिनके पिता कोरबा पुराना बस स्टैंड मे स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक हैं इसी तरह इसी प्रकार बालकों क्षेत्र में स्थित एमजीएम स्कूल में पढ़ने वाले छात्र शशांक 93% अंक हासिल किया जिले का मान बढ़ाया, बताया जा रहा है कि शशांक के पिताजी की मृत्यु हो चुकी है और उनकी माताजी एक ग्रहणी है इनके भविष्य बनाने की जिम्मेदारी अब इनके दादाजी की है जो एक सिक्योरिटी गार्ड के पद पर पदस्थ हैं ।