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कोरबा जिले में कबाड़ चोरी, कोयला चोरी, डीजल चोरी पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा जबकि खदानों में सीआईएसफ की टीम मौजूद, जिले में पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन की टीम मुस्तैद, हर माह सुरक्षा में 2.99 करोड़ खर्च के बावजूद 35 करोड़ की हो रही चोरी, सूत्र : 6 मई को कोयला चोरों पर सीआईएसफ ने बरसाई लाठी लेकिन संबंधित विभाग जानकारी देने से बचते नजर आए

छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोरबा जिले में इन दिनों कबाड़ चोर कोयला चोर और डीजल चोरों का बोलबाला है बीते कई वर्षों की तुलना में इस वर्ष यह पहली बार ऐसी परिस्थिति बन रही है कि जिले में कोयला चोरों और कबाड़ चोरों और डीजल चोरों पर अंकुश लगाने सभी केंद्रीय और राज्य स्तरीय तंत्र फेल हो रहे हैं ऐसा क्या है कि जिले में इन सब अवैध कार्यो पर अंकुश लगाने राज्य एवं केंद्रीय प्रशासनिक तंत्र फेल हो रहे हैं सूत्रों की माने तो बीते 6 मई को गेवरा एसईसीएल में सीआईएसएफ की तरफ से कोयला चोरों पर लाठी बरसाई गई है बावजूद इसके इन सभी अवैध कार्यों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है अब क्या यह समझने की जरूरत है कि एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कोयला खदानों में लगी सी आई एस एफ की ओर से चूक हो रही है या पुलिस एवं जिला प्रशासन की ओर से इन अवैध कार्यों को रोकने भरपूर एसईसीएल प्रबंधन को सहयोग नहीं मिल पा रहा है वजह कुछ भी हो लेकिन जिस प्रकार से इन दिनों बीते 1 वर्ष में कोयला, कबाड़ और डीजल चोरों को संरक्षण मिलता दिखाई दे रहा है जो आने वाले स्थानीय युवाओं के भविष्य लिए बहुत ही घातक है क्योंकि जानकारों की मानें तो जब किसी व्यक्ति की एक बार किसी  बुरे कार्यों में लत लग जाती है तो उसे सुधारना मुश्किल होता है, आज जरूरत है अवैध कार्यों को रोकने के लिए एसईसीएल प्रबंधन के केंद्रीय सीआईएसएफ और प्राइवेट सुरक्षा गार्डों व जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन के सहयोग की , सभी के सहयोग से इन अवैध कार्यों पर अंकुश लगाया जा सकता है, कोरबा जिले की भौगोलिक परिस्थितियों और बुद्धिजीवियों की माने तो कोरबा जिले की ऐसी स्थिति पहले नहीं हुई थी जहां अवैध कार्यों में हजारों की तादाद में ग्रामीणों को उतार दिया गया हो बुद्धिजीवियों और निष्पक्ष कार्य करने वाले समाजसेवी संस्थाओं की मानें तो आज जिस प्रकार से अवैध कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है उससे आने वाला युवाओं का भविष्य अंधकार मय हो जाएगा जिसे उस समय वर्तमान प्रशासन को संभालना मुश्किल होगा क्योंकि किसी व्यक्ति की लत छुड़ाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन कार्य होता है । अब फैसला एसईसीएल प्रबंधन जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर जाता है इन अवैध कार्यों को रोक कर कानून का राज लाना है या कानून के साथ ऐसे ही खिलवाड़ होता रहेगा । अब सवाल यह उठता है कि क्या कोयला ,डीजल, और कबाड़ माफिया कानून से बढ़कर हो गए हैं । क्या कानून का भय भूपेश सरकार में समाप्त हो रहा है ।

हर माह सुरक्षा में 2.99 करोड़ खर्च के बावजूद 35 करोड़ की चोरी

साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) में सुरक्षा व्यवस्था पर हर माह 2.99 करोड़ रुपये वेतन पर खर्च किए जा रहे। इसके बावजूद कोयला, कबाड़ व डीजल चोरी की घटनाओं पर अंकुश नही लग पा रहा। यह जानकर हैरत होगी कि हर माह 35 करोड़ से अधिक का नुकसान चोरी की घटनाओं की वजह से प्रबंधन को हो रहा। केंद्रीय औद्यागिक साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) में सुरक्षा व्यवस्था पर हर माह 2.99 करोड़ रुपये वेतन पर खर्च किए जा रहे। इसके बावजूद कोयला, कबाड़ व डीजल चोरी की घटनाओं पर अंकुश नही लग पा रहा। यह जानकर हैरत होगी कि हर माह 35 करोड़ से अधिक का नुकसान चोरी की घटनाओं की वजह से प्रबंधन को हो रहा। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के 1360 जवान पहले ही तैनात थे। जवानों की संख्या बढ़ाने त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) के 1007 जवान और खदान में उतारा जाना है, जिसमें अब तक 515 आ चुके हैं। इस कवायद के बाद भी एसईसीएल के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैय्ये की वजह से चोरी की घटनाओं का सिलसिला जारी है।
एसईसीएल की 67 कोयला खदानों में अकेले कोरबा जिले में एक दर्जन कोयला खदान संचालित है। यूं तो सभी खदानों में अपराधियों का बोलबाला है। प्रमुख रूप से तीन मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा, गेवरा व दीपका निशाने पर हैं। डीजल चोरों के कई गिरोह सक्रिय हैं। कैंपर वाहन में खाली जरीकेन लेकर खदान के अंदर प्रवेश करते हैं और एसईसीएल कर्मियों को डरा धमका कर भारी वाहनों से डीजल निकाल ले भागते हैं। दिन हो रात, चोर गिरोह को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दो बड़ी सुरक्षा बल के जवानों के अलावा एसईसीएल की अपनी विभागीय सुरक्षा कर्मी भी खदानों में तैनात रहते हैं। बावजूद इसका ऐसा एक दिन भी नहीं गुजरता, जब चोरी की वारदात को अपराधी अंजाम न देते हों, रहा सवाल पुलिस का तो शहर की सुरक्षा व्यवस्था के अलावा वीआइपी ड्यूटी समेत कई महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी पुलिस के कंधे पर है। अगर यह अपेक्षा की जाए कि पुलिस के जवान पूरे टाइम हजारों हेक्टेयर में फैले खदान की सुरक्षा करें, तो यह संभव दिखाई नहीं दे रहा। ऐसे में प्रबंधन के अधिकारियों को ही अपने सुरक्षा बल का पूरी क्षमता से उपयोग करना होगा। जब तक प्रबंधन के अधिकारी निगरानी नहीं करेंगे, अपराधिक वारदातों को रोक पाना मुश्किल होगा। वर्तमान में हो यह रहा है कि जवानों को बंदूक थमा कर खदानों में उतार दिया गया है, पर आपातकालीन स्थिति में भी हथियार चलाने की अनुमति प्रदान नहीं की गई है। बीते दो साल पहले सीआइएसएफ के एक सहायक उपनिरीक्षक ने डीजल चोरी कर बोलेरो में भाग रहे अपराधियों पर गोली बरसा दी थी। एक आरोपित के पीठ में गोली लगी। इस मामले में पुलिस ने सीआइएसएफ के अधिकारियों के खिलाफ धारा 307 हत्या का प्रयास का मामला पंजीबद्ध किया था। कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि परिस्थितियां अपराधियों को अपराध करने की छूट दे रही है। यही वजह है कि करोड़ों रुपये सुरक्षा में बहाए जाने के बाद भी करोड़ों रुपये का नुकसान प्रबंधन को झेलनी पड़ रही है ।

क्यूआरटी की यह कैसी निगरानी
त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के जवानों से अनुबंध करने से पहले एसईसीएल ने 300 से अधिक नगर सैनिकों को खदानों में तैनात किया था। बाद में नगर सैनिकों की जगह त्रिपुरा के जवानों को सुरक्षा की जवाबदारी सौंप दी गई है। सीआइएसएफ ने त्वरित कार्रवाई बल (क्यूआरटी) का गठन किया, जो 24 घंटे किसी भी अपराधिक कृत्य को रोकने के लिए निगरानी कर रहे हैं। इसके बावजूद चोर पूरे सुरक्षा बल पर भारी पड़ रहे। लंबे समय से चोर गिरोह एसईसीएल को चूना लगा रहे हैं और इसका हिस्सा सभी को बंट रहा। बिलासपुर मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी भी इस से अवगत है फिर भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

इधर मची है लूट, उधर उद्योगों में कोयले का संकट
जवानों को दिए जाने वाले वेतन के अलावा आवास और स्वास्थ्य पर भी एसईसीएल प्रबंधन खर्च कर रही। यह सब केवल इसलिए है कि एसईसीएल की संपत्ति की हर हाल में सुरक्षा किया जा सके, पर ऐसा नहीं हो पा रहा। एक तरफ कोयला उत्पादन कम होने की वजह से गैर बिजली क्षेत्र के उद्योगों में कोयला संकट गहरा गया है। कई उद्योग तालाबंदी के कगार पर हैं। एकतरफ कोयले का संकट और दूसरी तरफ लूट मची हुई है। ऐसे में एसईसीएल को तो आर्थिक नुकसान हो ही रहा, साथ ही जरूरतमंद उद्योगों तक कोयला भी नहीं पहुंच पा रहा है।

खदान में कोयला चोरी करने उमड़ती है भीड़
खदानों में कोयला चोरी करने आसपास के ग्रामीणों का मेला लगा रहता है। तड़के ही घरों से निकल कर ग्रामीण खदान के अंदर स्टाक से कोयला बोरियों में भर कर खदान के मुहाने में ले आते हैं और यहां तस्कर दो सौ रुपये बोरी में इसे खरीद लेते हैं। एक साथ एक ट्रक कोयला एकत्रित होने पर उसे उंचे दाम में खपा देते हैं। यह कोयला एसईसीएल से प्रदान किए जाने वाले कोयले से अधिक बेहतर होता है। वजह यह है कि नियम के अनुसार छांट कर कोयला किसी भी कंपनी को प्रदान नहीं किया जाता। लोडर गाड़ी से कोयला उठा कर सीधे ट्रकों में लोड करते हैं। जबकि ग्रामीण अलग से स्टीम कोयला छांट कर बोरियों में भरते है।
रोज 10 से 12 चोरी की घटना, रिपोर्ट 10 दिन में एक बार
दीपका खदान में लगे वाहनों से डीजल चोरी कर बाहर निकल रहे दो युवक राजकुमार रोहिदास व रोहित को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया है। इनके पास से छह जरीकेन में 210 लीटर डीजल जब्त किया। खदानों में प्रतिदिन10 से 12 गिरोह डीजल की चोरी करते हैं, पर इक्के- दुक्के घटनाओं की शिकायत प्रबंधन की ओर से की जाती है। नतीजा यह होता है कि 10-15 दिन में एक बार क्षेत्र की पुलिस गिरफ्तारी की औपचारिकता पूरी कर लेती है।
फैक्ट फाइल
खदान- 67
सीआइएसएफ-1360 जवान
त्रिपुरा स्टेट राइफल्स-515
प्रति माह वेतन में खर्च-2.99 करोड़
प्रतिमाह चोरी में नुकसान- 35 करोड़
विभागीय सुरक्षाकर्मी- 332

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