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फतेहपुर : जातीय समीकरण साधने में लगे प्रत्याशी, चुनाव खर्च में भाजपा प्रत्याशी अव्वल, दूसरे पर सपा

उत्तर प्रदेश/फतेहपुर :-  लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों ने चार दिन धनवर्षा की है। चार दिन में सभी दलीय प्रत्याशियों का चुनाव खर्च में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है। भाजपा प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति अब तक सबसे अधिक 33,88,285 रुपये खर्च कर चुकी हैं। लोकसभा चुनाव के चार दिन में प्रत्याशियों के चुनाव खर्च में खासी बढ़ोत्तरी हुई है। नौ मई को प्रस्तुत चुनाव ब्यौरे में यह धनराशि में दस लाख से ज्यादा का इजाफा हुआ है। सपा प्रत्याशी ने नौ मई के बाद के चार दिन दो गुना धनराशि खर्च कर 18 लाख पांच हजार 433 रुपये खर्च कर चुके हैं। तीसरे नंबर में बसपा प्रत्याशी मनीष सिंह सचान 17,92,711 रुपये खर्च का ब्योरा प्रस्तुत किया है। निर्दलियों के खर्च के मामले में रामकिशोर दो लाख 77 हजार 836 रुपये खर्च का ब्यौरा प्रस्तुत किया है।

अब तक लोकसभा प्रत्याशियों के खर्च का विवरण

1-साध्वी निरंजन ज्योति भाजपा 3388285
2-नरेश चंद्र उत्तम सपा 1805433
3. मनीष सिंह सचान बसपा 1792711
4-वीरेंद्र सिंह निर्दलीय 147057
5-जितेंद्र कुमार मौर्य निर्दलीय 25000
6-नीरज कुमार निर्दलीय 34467
7-राजबहादुर निर्दलीय 15200
8-कमलेश कुमार सिंह निर्दलीय 36917
9-रामबिहारी निर्दलीय 116823
10-जयचंद्र कुमार निर्दलीय 37584
11-रामकिशोर निर्दलीय 277836
12-नीरज लोधी निर्दलीय 45730
13-राजेश कुमार पटेल निर्दलीय 25000
14-पंकज अवस्थी निर्दलीय 92868
15-कुलदीप निर्दलीय 25000

अब तक दौरे में भाजपा सबसे आगे

भाजपा की ओर से अब तक सबसे अधिक स्टार प्रचारक आए हैं। इसमें दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सभा को संबोधित कर चुके हैं। इसके साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी सभा कर चुके हैं। वहीं सपा और बसपा का अब तक कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं पहुंचा है।

फतेहपुर में जातीय समीकरण ही दिलाएगी फतह

फतेहपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने साध्वी निरंजन ज्योति को तीसरी बार टिकट दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को उम्मीदवार बनाया है। फतेहपुर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण हावी हैं। यहां जिसने जातियों को जोड़ने में कामयाबी पा ली, उसी को जीत मिलने की संभावना है। देश के सबसे पिछड़े जिलों में एक फतेहपुर की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाइए कि मंडल आयोग की राजनीति के दौर में 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह फतेहपुर लोकसभा सीट से जीतकर प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद बदलाव हुआ और कई दलों ने फतेहपुर का प्रतिनिधित्व किया। 2014 और 2019 में लगातार दो बार चुनाव जीतकर साध्वी निरंजन ज्योति सांसद बनीं।

जीत को हार और हार को जीत मे बदलने में कुर्मी समाज की रही है अहम भूमिका

फतेहपुर में कुर्मी मतदाताओं की अनुमानित संख्या 2 लाख से अधिक है जिसे राजनीति में जीत को हार और हार को जीत में बदलने मे प्रमुख भूमिका मानी जाती है यमुना पट्टी के कई गांवों में कुर्मियों का वर्चस्व है। फतेहपुर की राजनीति में भी कुर्मी समाज का इतना प्रभाव है कि धाता ब्लॉक के नरसिंहपुर कबरहा गांव के मंदिर में कुख्यात डकैत ददुआ की मूर्ति लगाई गई। लोग इन्हें देवता की तरह पूजते आए हैं जिसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश 2016 में की गई थी लेकिन इसका चुनावी फायदा नहीं मिला। कुर्मी बिरादरी के एक वकील का कहना है कि 90% कुर्मी सपा को वोट देंगे, लेकिन प्रत्याशी हमारे मन का होना चाहिए बीजेपी ने कुर्मियों को विधायक तो बना दिया पर सम्मान नहीं दिया। इस क्षेत्र में 42 गांव कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र है आजादी के बाद से धाता क्षेत्र का विकास नहीं हुआ यहां की सड़क आज भी गड्ढढों से पटी हुई है, जो भी सांसद विधायक बने सब अपने स्वार्थ की राजनीति किया, करीब 200 गांवों को जोड़ने वाली गाजीपुर-विजयीपुर रोड तीन दशक से नहीं बनी। खनन के चलते यमुना की कटान से 13 हजार बीघा जमीन खो गई। इससे 100 से ज्यादा किसान भूमिहीन हो गए। यमुना पट्टी के बीहड़ी गांवों में हालात बुंदेलखंड जैसे हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं। फतेहपुर की सियासत दो हिस्सो में बंटी है। एकतरफ कुर्मी, लोध और मौर्य बिरादरियां हैं तो दूसरी तरफ निषाद सहित क्षत्रिय, ब्राह्मण और ओबीसी का बचा हिस्सा है। सपा को कुर्मियों से बढ़ती नजदीकी का फायदा विस चुनावों में सदर सीट से चंद्रप्रकाश लोधी और मौर्य बिरादरी से करीबी का फायदा हुसैनगंज से ऊषा मौर्य की जीत से मिला। बीजेपी की चुनौती नाराज वोटरों को मनाने के अलावा अपने कोर वोटरों को बनाए रखने की है। 19 लाख वोटरों वाले जिले में अनुमानित 4 लाख दलित, 3 लाख क्षत्रिय, 1.50 लाख निषाद, 2.50 लाख ब्राह्मण 2 लाख यादव, 1.25 लाख वैश्य और 2 लाख कुर्मी वोटर हैं। मुस्लिम मतदाता करीब 2 लाख हैं।

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