छत्तीसगढ़/कोरबा :- मौसम बदलने के साथ ही इंसान ही नहीं जानवर भी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं इन दिनों कोरबा जिले में सैकड़ों आवारा एवं पलतू कुत्ते पार्वो वायरस की चपेट में है कई कुत्ते इस वायरस के चलते दम तोड़ चुके हैं लेकिन कोरबा के पशु चिकित्सालय में इस गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है इसके साथ साथ जिन डॉक्टरों की चिकित्सालय में ड्यूटी लगी हुई है वह भी समय पर नहीं रहते एक असिस्टेंट के भरोसे पशु अस्पताल मे पहुंचने वाले बीमार कुत्तों व पशुओं का इलाज किया जा रहा है पशु चिकित्सालय मे दवा ना होने के कारण पालतू कुत्तों के मालिकों से बाहर मेडिकल से दवा मंगाई जाती है वही लापरवाह डॉक्टर फोन तक नहीं उठाते एक डॉक्टर तो अपने घर में ही कुत्तों की क्लीनिक खोल रखे हैं । दवाई पशु चिकित्सालय में ना होने के कारण और समय पर पशु डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने के कारण डॉग के मालिक परेशान हो रहे हैं और मजबूरन प्राइवेट पशु चिकित्सकों से इलाज कराने पर मजबूर हैं ।
निहारिका स्थित लीला पेड शॉप के संचालक आनंद सिंह ने बताया की कुत्तों में होने वाली यह बीमारी हर वर्ष मौसम बदलने के समय जनवरी और फरवरी माह में आती है कुत्तों में फैलने वाले पार्वो वायरस एक वायरल अटैक है जो ज्यादातर आवारा कुत्तों के माध्यम से फैलती है जो कुत्ते पार्वो वायरस से संक्रमित हो जाते हैं उन्हें बचाना मुश्किल होता है वह 2 दिन में ही दम तोड़ देते हैं इसके लिए जरूरी है कि उनका समय पर टीकाकरण होना चाहिए जिन कुत्तों को टीका समय पर लगा होता है वह इस बीमारी की चपेट में आने के बाद भी समय पर इलाज मिलने से ठीक हो जाते हैं ।
क्या है पार्वो के लक्षण
पार्वो वायरस से पीड़ित कुत्ते के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है। बीमार पड़ने से पहले कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं, जिससे आप आसानी से जान सकते हैं कि आपका डॉगी वायरल बीमारी से पीड़ित है। पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ता खांसने लगता है। छींकें आती हैं। कुत्ता भोजन नहीं करता। पानी नहीं पीता और उसकी नाक में सूखापन आ जाता है।
क्या है पार्वो वायरस
जानवरों में तमाम तरह की संक्रामक बीमारियां होती है। इनमें कुत्तों में होने वाली बीमारियों में पार्वो वायरस बेहद घातक है। यह एक वायरल बीमारी है और समय पर उपचार न मिलने से जानवरों की मौत तक हो जाती है। वायरस से कुत्तों को बचाने के लिए तीन टीके लगाए जाते हैं। इनमें पहला टीका पिल्ले को डेढ़ महीने की उम्र में, दूसरा ढाई और तीसरा टीका साढ़े तीन महीने की उम्र में लगाया जाता है। पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ते की आंतों में गंभीर संक्रमण हो जाता है। बाजार में पार्वो वायरस के एक टीके की कीमत तकरीबन दो सौ रुपये है। वायरस से बचाव के लिए शुरूआत से ही कुत्तों का टीकाकरण बेहद जरूरी है।
पार्वो को कैसे रोकें
क्योंकि पर्वो इतनी घातक और छूत की बीमारी है, रोकथाम महत्वपूर्ण है। अपने कुत्ते या पिल्ला को परवो से बचाने का तरीका यह है कि अपने पिल्लों और वयस्क कुत्तों का टीकाकरण करें। सुनिश्चित करें कि आप अपने पशु चिकित्सक को नियमित रूप से देखते हैं और आप समय पर बीमारी के किसी भी लक्षण की रिपोर्ट करते हैं। अपने पिल्ला को 17 सप्ताह की उम्र तक पहुंचने से पहले सार्वजनिक स्थानों या अज्ञात कुत्तों के आसपास न ले जाएं और पूरी तरह से टीका लगाया जाए। एक पिल्ला की प्रतिरक्षा लगभग 16 सप्ताह की उम्र तक अज्ञात है, और टीका प्रेरित प्रतिरक्षा टीका के पांच से 10 दिनों के बाद तक पूरी तरह से प्रभावी नहीं है। जबकि सभी कुत्ते प्रभावित हो सकते हैं, पिल्लों पर्वो वायरस के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। सभी नस्लें खतरे में हैं, लेकिन कुछ नस्लें जिन्हें परवो के लिए पूर्वनिर्धारित किया जा सकता है उनमें रोट्टवेइलर , डोबर्मन पिंसर और अमेरिकी पिट बुल टेरियर शामिल हैं।