उत्तरकाशी :- उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 12 नवंबर से फंसे सभी 41 मजदूरों का बाहर निकल लिया गया है। पहला मजदूर शाम 7.50 बजे बाहर निकाला गया था। 45 मिनट बाद रात 8.35 बजे सभी को बाहर निकाल लिया गया। सभी को एम्बुलेंस से अस्पताल भेजा गया। मजदूर 399 घंटे तक टनल में फंसे रहे। रेस्क्यू टीम के सदस्य हरपाल सिंह ने बताया कि शाम 7 बजकर 5 मिनट पर पहला ब्रेक थ्रू मिला था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाहर निकाले गए श्रमिकों से बात की। उनके साथ केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी थे। रेट स्नेपर्स वाली कंपनी नवयुग के मैन्युअल ड्रिलर नसीम ने कहा- सभी मजदूर स्वस्थ्य हैं। मैंने उनके साथ सेल्फी ली। उन्होंने बताया कि जब आखिरी पत्थर हटाया गया तो सभी मजदूरों ने जयकारे लगाए। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी मजदूरों के बाहर निकलने पर खुशी जतायी। उन्होंने ट्विट कर कहा कि रेस्क्यु टीम में लगे सभी सदस्यों को भारत की ओर से बधाई और टनल में फंसे मजदूरों के परिजनों को भी बधाई देते हुए कहा कि यह खुशियों का क्षण है। सभी स्वस्थ हैं, यह बहुत बड़ी बात है और हमारी रेस्क्यु टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया, सभी का धन्यवाद।
जानिए कब क्या हुआ, एक नज़र हादसे के पूरे घटनाक्रम पर –
12 नवंबर- सुरंग का एक हिस्सा ढह गया और 41 मज़दूर उसमें अंदर फंस गए
13 नवंबर- मज़दूरों से संपर्क स्थापित हुआ और एक पाइप के ज़रिए उनतक ऑक्सीजन पहुंचाया जाने लगा
14 नवंबर- 800-900 मिलीमीटर डायमीटर के स्टील पाइप को ऑगर मशीन के ज़रिए मलबे के अंदर डालने की कोशिश की गई. लेकिन मलबे के लगातार गिरते रहने से दो मज़दूरों को थोड़ी चोट भी लगी…इस दौरान मज़दूरों तक खाना, पानी, आक्सीजन, बिजली और दवाएं पहुंचती रहीं
15 नवंबर- ऑगर मशीन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं होने की वजह से एनएचआईडीसीएल ने नई स्टेट ऑफ़ द आर्ट ऑगर मशीन की मांग की जिसे दिल्ली से एयरलिफ़्ट किया गया
16 नवंबर- नई ड्रिलिंग मशीन ने काम शुरू हुआ
17 नवंबर- लेकिन इसमें भी कुछ रुकावट आई जिसके बाद इंदौर से एक दूसरी ऑगर मशीन मंगाई गई. लेकिन फिर काम रोकना पड़ा.
18 नवंबर- पीएमओ के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने एक नई योजना पर काम शुरू करने का आदेश दिया
19 नवंबर- ड्रिलिंग बंद रही और इस दौरान केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बचावकार्यों का ज़ायज़ा लिया.
20 नवंबर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बचाव कार्यों का जायज़ा लेने के लिए सीएम धामी से फ़ोन पर बात की.
21 नवंबर- मज़दूरों का वीडियो पहली बार सामने आया
22 नवंबर- 800 एमएम की मोटी स्टील पाइप लगभग 45 मीटर तक पहुंची. लेकिन ड्रिलिंग में शाम के समय कुछ बाधा आ गई.
23 नवंबर – दरार दिखने के बाद ड्रिलिंग को फिर से रोकना पड़ा
24 नवंबर- शुक्रवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू हुई लेकिन फिर रोकनी पड़ी
25 नवंबर- मैनुअल ड्रिंलिग शुरू की गई
26 नवंबर- सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की गई.
27 नवंबर- वर्टिकल खुदाई जारी रही
28 नवंबर- दोपहर में रेस्क्यू टीम के लोग मज़दूरों तक पहुंचे और सुरंग में पाइप डालने का काम पूरा हुआ. मज़दूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाना शुरू किया गया.