छत्तीसगढ़/कोरबा :- जिले के कोल माइंस से हर रोज हजारों लीटर डीजल की चोरी एक बार फिर से शुरू हो गई है। कुछ दिनों तक बंद रहने के बाद अवैध कारोबार विस्तार कर रहा है। लगातार दूसरे दिन एसईसीएल के दीपका माइंस से चोरों ने बड़ी मात्रा में डीजल पार कर दिया। तीन डोजर को चोरों ने टारगेट किया। इससे पहले कि पकड़ने के लिए सुरक्षा कर्मी मौके पर आते, चोर सामान के साथ भाग चुके थे।
जानकारी के अनुसार एसईसीएल दीपका क्षेत्र की दीपका माइंस में सोमवार के बाद मंगलवार को फिर से डीजल की चोरी हुई। दो दिन पहले चोरों ने यहां पर दो डोजर को निशाने पर लिया था जबकि अगले दिन यानि मंगलवार की रात उन्होंने तीन डोजर संख्या 12078, 12079 और एक अन्य से डीजल पार किया। तीन अलग-अलग मौके पर चोरों का समूह यहां पर पहुंचा। लगभग 20 की संख्या में ये लोग थे। हर बार की तरह चोर कैम्पर के साथ यहां पहुंचे। वे अपने साथ 15 से अधिक जेरीकेन रखे हुए थे और दूसरा सामान। उनका उपयोग इन घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया जाता रहा है। सूत्रों ने बताया कि रात्रि 8.30 से लेकर 11.50 के बीच इन घटनाओं को यहां पर अंजाम दिया गया। चोरों ने दीपका माइंस के रडार क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज कराने के साथ यह सब कारनामा किया। सबसे खास बात ये है कि यह वह जगह है जहां से मॉनिटरिंग सिस्टम काम करता है। एक तरह से डीजल चोरों ने प्रबंधन को चुनौती देने का काम किया। बताया जा रहा है कि अगली शिफ्ट के लिए इन डोजर में डीजल भरा गया था लेकिन एसईसीएल के कर्मियों के बजाय उसे चोरों ने उपयोग में ले लिया। चोरों ने पूरी तसल्ली के साथ इस वारदात को अंजाम दिया और भाग निकले। अब तक सुरक्षा विभाग के पास लिखित रूप से जानकारी नहीं पहुंची है।
एसईसीएल द्वारा कोरबा जिले की विभिन्न खदानों में सुरक्षा की जिम्मेदारी अर्धसैनिक बल सीआईएसएफ और त्रिपुरा राइफल्स को जरूर दी गई है लेकिन उनके हाथ बांध दिए गए हैं। वे अपने क्षेत्र के साथ-साथ आसपास में खास कार्रवाई नहीं कर सकते जिसके लिए उन्हें संसाधन मुहैया कराए गए हैं। खदान क्षेत्र से भागने वाले चोरों को दूसरे इलाके में न तो वे पकड़ सकते हैं और न ही रोक सकते हैं। खबर है कि ऐसा करने पर कई तरह के पचड़े फंस जाते हैं और उल्टे उन्हें ही दोषी ठहराए जाने की कोशिश की जाती है। शायद इसलिए भी खदानों में चोर.उच्चकों की बदमाशियों को खुली आंखों से देखने के लिए वे मजबूर हो रहे हैं।
देश के 118 आकांक्षी जिलों में कोरबा को भी शामिल किया गया है। केंद्रीय योजनाओं की प्रगति जानने के लिए एक दिन पहले यहां दौरे आये केंद्रीय राज्यमंत्री अश्वनी कुमार चौबे का ध्यान मीडिया ने खदानों से हो रही चोरी की तरफ आकृष्ट किया था। इस पर उन्होंने हैरानी जताने के साथ अधिकारियों को निर्देशित किया था कि खदानों की संपत्ति राष्ट्र की है और इसकी सुरक्षा करने की जवाबदेही आपकी है। इसलिए इस दिशा में सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। कोरबा से मंत्री की रवानगी के कुछ घंटे बाद ही चोरों ने दीपका माइंस में उपस्थिति दर्ज कराकर बड़ी मात्रा में डीजल पार कर दिया और एसईसीएल के साथ भारत सरकार के उपक्रम कोल इंडिया को चपत लगा दी। लंबे समय से एसईसीएल की खदानें संगठित गिरोह के निशाने पर बनी हुई है। न केवल कोरबा बल्कि एसईसीएल के अंतर्गत आने वाले विभिन्न क्षेत्रों की खदानों में यही कारनामा चल रहा है। जानकारों का कहना है कि गिरोह के लिए काम करने वाले मजदूरों को रात्रि ड्यूटी करने के एवज में 700 से 1000 रुपए तक का पारिश्रमिक दिया जाता है। प्राइवेट सेक्टर के तहत जोखिम वाला काम करने वाले इन लोगों के लिए ईपीएफ जैसी कोई व्यवस्था नहीं दी गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस तरह का अपराध बढ़ क्यों रहा है।