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हसदेव बराज की अरबों की शासकीय भूमि पर राखड़ पाटकर भूमाफिया कुंडली मारकर बैठे, कलेक्टर के निर्देश पर कटघोरा एसडीएम ने 15 एकड़ शासकीय भूमि को अवैध कब्जा धारियों से कराया मुक्त, लेकिन कोरबा एसडीएम को शायद कलेक्टर के स्पेशल आदेश का इंतजार

छत्तीसगढ़/कोरबा :-  प्रशासन तंत्र के मुखिया कलेक्टर की आदेश का पालन करना हर अधिकारी कर्मचारी का कर्तव्य है, लेकिन शायद कोरबा एसडीएम के लिए यह बात फिट नहीं बैठती। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि अतिक्रमण कार्रवाई को लेकर उनकी भूमिका यह सवाल खड़ा कर रही है। तभी तो एक तरफ कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम कटघोरा ने 15 एकड़ शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई की है और दूसरी तरफ तमाम शिकायतों के बाद भी हसदेव बराज जल प्रबंधन संभाग रामपुर कोरबा जल संसाधन विभाग की जमीन पर किया गया बेजा कब्जा अभी कायम है। शायद कोरबा एसडीएम को अलग से आदेश का इंतजार है। अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कलेक्टर के निर्देश पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए कटघोरा एसडीएम की कार्यवाही हुई है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि फिर कोरबा एसडीएम को कलेक्टर के अलग से निर्देश का इंतजार क्यों है? क्या उन्हें हसदेव बराज जल प्रबंधन संभाग रामपुर/कोरबा, जल संसाधन विभाग की जमीन पर बेजा कब्जा कर बनाए गए मकान दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। कलेक्टर अजीत वसंत द्वारा शासकीय भूमि पर किये गए अतिक्रमण को हटाने के निर्देश उपरांत एसडीएम कटघोरा सुश्री ऋचा सिंह द्वारा तहसीलदार दर्री के साथ मिलकर ग्राम गेरवा (हसदेव नदी के पास) तहसील दर्री पटवारी हल्का नम्बर 28, राजस्व निगम मंडल अगारखार के खसरा नम्बर 854/1 से लगभग 15 एकड़ शासकीय भूमि जिसमें बाउंड्रीवाल कर स्टोर के रूप में उपयोग किया जा रहा था,उसे तोड़ दिया गया है। एसडीएम ने बताया कि उक्त भूमि शासकीय है और इसका उपयोग राखड़ डम्प करने के साथ अन्य गतिविधियों के लिए की जा रही थी।अतिक्रमण की सूचना पर जेसीबी के माध्यम से जिला प्रशासन की टीम द्वारा कार्यवाही की गई। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर द्वारा अतिक्रमण पर कार्यवाही के साथ ही विभागीय जमीन पर सूचना बोर्ड लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं। इस आदेश का पालन करते हुए जल संसाधन विभाग में भी अपनी जमीनों पर बोर्ड तो लगा दिए हैं, लेकिन अतिक्रमण हटाने की कवायद केवल बोर्ड लगाने तक ही सीमित रह गई है। हसदेव बराज जल प्रबंधन संभाग रामपुर/कोरबा, जल संसाधन विभाग की जमीन पर व्यापक पैमाने पर अवैध कब्जा हो चुका। इसके बाद भी कोरबा एसडीएम के द्वारा बेजा कब्जा हटाने कार्रवाई नहीं किया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है।

जल संसाधन के अधिकारी पहले बताते रहे कि यह जमीन हमारे विभाग की नहीं, लेकिन कलेक्टर के निर्देश के बाद उसमें जल संसाधन का बोर्ड लगाकर जल संसाधन की जमीन बताया, अब कलेक्टर के निर्देश के बाद भी कार्यवाही नहीं होना संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा

हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर क्षेत्र में विभाग के एक अधिकारी ने विभागीय जमीन पर एनओसी जारी कर दिया है। उनकी देखा देखी बाद आए अधिकारी ने भी विभागीय जमीन को अपनी बेजा कमाई का जरिया बना लिया। कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश के बाद विभाग द्वारा भी अपनी जमीनों पर बोर्ड लगाया गया है। विभाग ने उस जमीन पर बोर्ड लगाया है जिसे पहले अधिकारी अपनी जमीन नहीं बताते थे। जल संसाधन विभाग द्वारा कोहड़िया चारपारा के पास दर्री जाने वाले रोड किनारे इस तरह का बोर्ड लगाया गया है। जहां पहले व्यापक पैमाने पर राखड़ डाला गया है। पूर्व में अधिकारी इस जमीन को विभाग की नहीं बताते थे। अब इस जमीन पर बोर्ड लगाकर विभाग की बताते हुए राखड़ डालते पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इस कृत्य के बाद विभाग के अधिकारियों का कारनामा सामने आया। जिसमें रूमगरा क्षेत्र की भूमि पर निजी क्रेता को एनओसी जारी किया गया है। यानी कि इस भूमि को विभाग ने अपना नहीं मानते हुए खरीद बिक्री पर कोई आपत्ति नहीं होना बताया है। यह कारनामा शिवनारायण साय अनुविभागीय अधिकारी हसदेव बरॉज जल प्रबंध उपसंभाग दर्री ने किया है। वे कार्यपालन अभियंता हसदेव बरॉज जलप्रबंध संभाग रामपुर/कोरबा के प्रभार में थे। इस दौरान उन्होंने जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है। उनकी देखा देखी कार्यपालन अभियंता पीके वासनिक भी इसमें पीछे नहीं रहे और बहती गंगा में हाथ धोने की तर्ज पर काम किया।

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