हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर के अफसर का कमाल, विभाग की जमीन का निजी खरीददार को दे दिया एनओसी, कलेक्टर के बोर्ड लगाने के निर्देश के बाद एसएन साय और वासनिक का झूठ आया सामने
छत्तीसगढ़/कोरबा :- जिले की बेशकीमती शासकीय जमीनों पर बेजा कब्जा आम बात है, बात खास तब हो जाती है जब इसमें जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता हो।जिनके शह में करोड़ों अरबों की जमीन बेच दी जाती है। कुछ इसी का सनसनीखेज मामला हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर क्षेत्र में सामने आया है। जहां विभाग के एक अधिकारी ने विभागीय जमीन पर एनओसी जारी कर दिया है। उनकी देखा देखी बाद आए अधिकारी ने भी विभागीय जमीन को अपनी बेजा कमाई का जरिया बना लिया। कलेक्टर अजीत वसंत ने खाली पड़ी शासकीय जमीनों पर संबंधित विभागों को बोर्ड लगाने का निर्देश दिया, जिसके बाद अधिकारियों का झूठ और करोड़ों की जमीन अफरा तफरी का मामला सामने आ गया है। जिले के नव पदस्थ कलेक्टर अजीत वसंत ने चार्ज लेने के साथ ही शासकीय जमीनों पर हो रहे बेजा कब्जा पर कार्रवाई को लेकर सख्त निर्देश दिए हैं। इस कड़ी में उन्होंने खाली पड़ी शासकीय जमीनों पर संबंधित विभागों को अपने विभाग के बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। निर्देश का परिपालन करते हुए जल संसाधन विभाग द्वारा भी अपनी जमीनों पर बोर्ड लगाया गया है। विभाग ने उस जमीन पर बोर्ड लगाया है जिसे पहले अधिकारी अपनी जमीन नहीं बताते थे। जल संसाधन विभाग द्वारा कोहड़िया चारपारा के पास दर्री जाने वाले रोड किनारे इस तरह का बोर्ड लगाया गया है। जहां पहले व्यापक पैमाने पर राखड़ डाला गया है। पूर्व में अधिकारी इस जमीन को विभाग की नहीं बताते थे। अब इस जमीन पर बोर्ड लगाकर विभाग की बताते हुए राखड़ डालते पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इस कृत्य के बाद विभाग के अधिकारियों का कारनामा सामने आया। जिसमें रूमगरा क्षेत्र की भूमि पर निजी के्रता को एनओसी जारी किया गया है। यानी कि इस भूमि को विभाग ने अपना नहीं मानते हुए खरीद बिक्री पर कोई आपत्ति नहीं होना बताया है। यह कारनामा शिवनारायण साय अनुविभागीय अधिकारी हसदेव बरॉज जल प्रबंध उपसंभाग दर्री ने किया है। वे कार्यपालन अभियंता हसदेव बरॉज जलप्रबंध संभाग रामपुर/कोरबा के प्रभार में थे। इस दौरान उन्होंने जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है। उसके बाद छत्तीसगढ़ शासन ने 16 अगस्त 2019 से 23 सितंबर 2021 तक पीके वासनिक को प्रभारी कार्यपालन अभियंता का प्रभार दिया था। 24 सितंबर 2021 से पीके वासनिक कार्यपालन अभियंता का दायित्व संभाल रहे है। तब से लेकर आज तक विभाग की जमीन पर बेतहाशा बेजा कब्जा और खरीद बिक्री कराई जाती रहीं। विभाग की अरबो रूपए की जमीन को भगवान भरोसे छोड़कर अधिकारी कहते रहे कि यह विभाग की जमीन नहीं है। अब जब कलेक्टर ने बोर्ड लगाने के लिए निर्देश दिए तो कार्यपालन अभियंता पी.के.वासनिक को अचानक याद आया कि यह जमीन हमारे विभाग की है और सीधे बोर्ड लेकर चले गए। ऐसे में सवाल उठता है कि विभाग द्वारा जिन लोगों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए गए थे। उस पर भी बोर्ड लगा दिया गया है। विभाग के अधिकारियों की इस दोहरी नीति के कारण शासकीय जमीन पर पहले तो कब्जा हो गया और अब जमीन पर अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया गया तो लोगों ने इसकी खरीद बिक्री भी कर ली। मामले में गंभीरता से जांच की जरूरत है। जांच में करोड़ों अरबो की जमीन की अफरा तफरी उजागर हो सकती है। इस पूरे मामले में प्रभारी कार्यपालन अभियंता रहे एस.एन.साय और मौजूदा कार्यपालन अभियंता पी.के.वासनिक की भूमिका सवालों के घेरे में है।