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अनदेखी : देख लो सरकार कोरबा जिले में आदिवासियों का हाल, राष्ट्रपति की दो दत्तक पुत्रियां 12 वर्षों से जमीन पर लेटी हुई स्वास्थ्य सुविधा व संसाधनों के अभाव में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही, उखड़ रही सांसे, सरकारी विभागों के दावों की पोल खोलती तस्वीरें

गांव में बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल की सुविधा नहीं, प्रधानमंत्री आवास, शौचालय केवल कागजों में बनाए गए, मोबाइल टावर का नेटवर्क गायब

छत्तीसगढ़/कोरबा :- एक तरफ छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल जहां आदिम जाति तथा अनुसूचित जन जाति के उत्थान एवं विकास के लिए लगातार प्रयासरत है और इसके लिए वे सख्त निर्देश भी प्रशासनिक अधिकारियों को समय-समय पर देते रहे हैं लेकिन उनके निर्देशों का पालन जिले के अधिकारी सिर्फ कागजों में कर रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले मे पाई जाने वाली पहाड़ी कोरवा जनजाति जो कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाते हैं और विशेष संरक्षित जाति का दर्जा भी प्राप्त है इनकी जवाबदारी एवं इनके विकास के लिए एक प्रमुख विभाग भी बनाया गया है जोकि आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विकास के नाम से जाना जाता है इस विभाग में इनके उत्थान के लिए करोड़ों रुपयों का योगदान आता है और इन जनजातियों की देखभाल की जिम्मेदारी खुद जिले के कलेक्टर की भी होती है बावजूद इसके इन संरक्षित जनजातियों की दुर्दशा सुधारने का नाम नहीं ले रही राज्य व केन्द्र की योजनाओं का भले ही प्रशासनिक अमला ढिंढोरा पीट रहा हो पर आज भी वास्तविकता उससे कोसो दूर हैं। घने जंगलों व पहाड़ की वादियों में जीवन यापन करने वाले कोरवा आदिवासियों के लिए सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट की योजनाओं से उनकी जीवनशैली बदलने का दावा कागजों में ही नजर आता है।

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आज जहां देश 73 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है वही एक पहाड़ी कोरवा परिवार ऐसा है जो आज भी अपने अधिकारों से वंचित है उनकी परिस्थिति ऐसी है कि देखकर आप भी कहेंगे हे भगवान  इससे अच्छी मौत दे दे …

ऐसी ही कुछ तस्वीरें आज हम आपको दिखा रहे हैं जहां पिछले 12 सालों से दो पहाड़ी कोरवा बच्चियां जमीन में पड़ी जिंदगी की जंग लड़ रही है दोनों सगी बहने हैं जो पहले हंसी खुशी स्कूल भी जाती थी लेकिन अचानक कक्षा तीसरी में और कक्षा दूसरी में पढ़ने वाली दोनों पहाड़ी कोरवा बच्चियों की तबीयत बिगड़ी जिसके बाद आज तक दोनों बच्चियां उठ कर खड़ी नहीं हो पाई और 3 फिट जमीन मे ही उनकी सारी दुनिया सिमट कर रह गई बताया जा रहा है कि दो बूंद जिंदगी की उनके पास नहीं पहुंच पाई और बच्चियां पोलियो का शिकार हुई है जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत लेमरू के आश्रित ग्राम सरई बहरा में कुल 17 पहाड़ी कोरवाओं का परिवार निवासरत है इन तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर दूर घने जंगलों से गुजरती पैदल पगडंडी और विशाल नाले को पार करके जाना होता है यहां निवासरत टिकैत राम अपने बीवी 5 लड़कों और दो लड़कियों के साथ निवासरत था लेकिन अचानक 12 साल पहले दोनों बच्चियों की तबीयत खराब हुई सड़क व अन्य संसाधन नहीं होने के कारण बच्चों का इलाज पहाड़ी कोरवा परिवार नहीं करा पाया और मात्र जड़ी बूटी के इलाज से बच्चियों को ठीक करने की कोशिश करते रहे लेकिन आज 12 साल होने को है पहाड़ी कोरवा बच्चियां जो अब 18 और 15 साल की हो गई हैं लेकिन उनका शारीरिक विकास नहीं होने के कारण अभी भी छोटी बच्चियां नजर आतीं हैं पिछले 12 सालों से मात्र दो से 3 फीट की जमीन में यह दोनों बच्ची लाचारी और बेबसी बीमारी से ग्रसित अपनी जिंदगी की सांसे गिन रही है जिसे देख शायद आपको भी लगे कि भगवान इससे अच्छा तो मौत ही दे दे जहां आज तक प्रशासन की टीम भी नहीं पहुंच पाई है ।

पिता हुआ लाचार तो दो बेटे दलालों के चंगुल में फंस कर कर लिए पलायन

पहाड़ी कोरवा टिकैत राम इन दोनों बच्चियों सहित पांच और लड़कों के पिता है पिछले 1 साल से टिकैत राम के पैर मे लोहे से चोट लगने से इंफेक्शन फैला हुआ है जिसके बाद कुछ ना कर पाने की स्थिति में परिवार के भूखे मरने की स्थिति आ गई तब टिकैत राम के दो बेटो को  पिछले 4 महीने पहले दलालों के चंगुल में फंसकर कर्नाटक बोरवेल में मजदूरी के लिए पलायन कर चुके हैं जिसके लिए परिवार चिंतित रहता है क्योंकि बच्चों से किसी प्रकार का संपर्क नहीं हो पा रहा है ।

क्षेत्र में पहाड़ी कोरवाओं की स्थिति खराब, पहाड़ी कोरवा प्रधानमंत्री आवास, शौचालय, उज्जवला गैस व अन्य सुविधाएं देने के विभागों के सारे दावे हुए फेल

एक ओर जहां टिकैत राम का परिवार इतनी गंभीर परिस्थिति से जूझ रहा है वही लेमरू एवं अन्य पंचायत के मोहल्लों में भी निवासरत पहाड़ी कोरवा परिवारों के पास मूलभूत सुविधाओं का अभाव देखने को मिला भले ही सरकार दावे कर रही है कि उनका उत्थान किया जा रहा है लेकिन यहां संबंधित विभागों ने आंख में पट्टी बांध रखी है और उनके हिस्से में आने वाले फंड को खुद डकार रहे हैं उनके पास ना तो प्रधानमंत्री आवास है आज भी खुले छत में कड़कड़ाती ठंड के बीच रहने को मजबूर हैं वहीं पीने का पानी नदी से लाना पड़ रहा है पथरीली सड़कों से जंगलों के बीच गुजर कर 14 किलोमीटर दूर राशन लेने जाना पड़ता है स्वच्छ भारत मिशन के शौचालय भी कागजों में बना दिए गए है स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए जाने वाले शिविर भी इन तक नहीं पहुंच पाते कुल मिलाकर ट्राइबल विभाग जिसकी जवाबदारी होती है इनके संरक्षण और उत्थान की यह विभाग इन पहाड़ी कोरवा के नाम से आने वाले पैसे को पूरी तरह अपने उत्थान में लगा रहा है क्योंकि अगर ट्राइबल विभाग इन पहाड़ी कोरवा की और ध्यान देती तो आज राष्ट्रपति की दत्तक पुत्र कहे जाने वाली यह दो पहाड़ी कोरवा बच्चियां 3 फीट जमीन में जिंदगी की जंग नहीं लड़ रही होती और इनके दो भाई पलायन के लिए मजबूर नहीं होते ।

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र के बीच पहुंचने पर कोरवाओं के जीवन का हकीकत सामने आता है। शासन की मंशा के अनुरूप उनका विकास आज भी कोसों दूर है आज भी इनका रहन-सहन व खान-पान जंगली वस्तुओं पर निर्भर

कोरवाओं के बीच पहुंचने पर पता चला कि उनका रहन-सहन ही नहीं खान पान भी पारंपरिक ही है। जब हम पहुंचे तो हमें सामूहिक रूप से दोना पत्तल में बदबूदार चावल की माड़ी जिसमें हल्का सा नशा होता है और कुछ अजीब सा भोजन पत्तल में देखने को मिला जिससे साफ जाहिर हो रहा था की इनके खान पान में भी अभी बदलाव नहीं हुआ है

ट्रायबल रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार कोरबा जिले में 1148 पहाड़ी कोरवा परिवार के लोग 64 मजरे, टोलों में बसे हैं, जिनकी कुल आबादी 4012 के लगभग है। यह आंकड़ा वर्ष 2004-05 के बाद 14-15 में हुए सर्वे के अनुसार है।

शासन की मंशा के अनुरूप उनका विकास आज भी कोसों दूर है। उन्हें आज भी न तो पीने का पानी मुक्कमल है न ही चलने के सड़क। कहीं पगडंडियों तो कहीं कुछ दूर पक्की सड़क के बीच से होकर उबड़ खाबड़ रास्तों से उनकी बस्तियों में आज भी पहुंचना होता है। पगड्‌डी व नाला पार कर पहुंचना पड़ता है। उनके जीवन में न तो कोई बदलाव आया है न ही विकास की कोई ईंट नजर आती है जिससे यह कहा जा सके कि उनके बीच प्रशासन की पहुंच है।

आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास के मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को दी गई जानकारी

कोरबा जिले के प्रभारी मंत्री एवं आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास स्कूल शिक्षा सहकारिता विभाग छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण के लिए कोरबा पहुंचे हुए हैं उनसे राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी संरक्षित जनजाति की दयनीय स्थिति के बारे में चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों के इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उन्हें सख्त से सख्त व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए जाएंगे जरूरत पड़ी तो संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही भी की जाएगी ।

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