कोरबा जिले के कुसमुंडा स्थित एसईसीएल के कोयला खदान में 27 जुलाई को एक हादसे में इंजीनियर की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद एसईसीएल कुसमुंडा ने एक आदेश जारी किया, जिसमें इंजीनियर को ही उसके मौत का जिम्मेदार ठहरा दिया गया था. इस आदेश के सामने आते ही एसईसीएल प्रबंधन की जमकर किरकिरी हुई. अब 31 जुलाई को फिर आदेश जारी कर पहले वाले आदेश को वापस लिया गया है.
छत्तीसगढ़/कोरबा :- एसईसीएल कुसमुंडा कोयला खदान में 27 जुलाई को तेज बारिश से निर्मित जल सैलाब में बहकर एक इंजीनियर की मौत हो गई थी. हादसे के बाद एसईसीएल प्रबंधन ने जांच के आदेश दिए थे. इस बीच 29 जुलाई को एसईसीएल कुसमुंडा के जीएम राजीव सिंह ने एक आदेश जारी किया. इस आदेश में कहा गया था कि हादसे के वक्त जितेंद्र नागरकर मोबाइल पर वीडियो गेम खेल रहे थे. इसी वजह से पानी में बहने से उनकी मौत हुई. इस आदेश के सामने आते ही प्रबंधन की जमकर किरकिरी हुई. जिसके बाद 31 जुलाई के दिन आदेश को प्रबंधन ने वापस ले लिया.
इंजीनियर की मौत को लेकर 29 जुलाई को जीएम की ओर से आदेश जारी किया गया था. महाप्रबंधक के इस आदेश में सहायक प्रबंधक (खनन) जितेन्द्र नागरकर को ही उनकी मौत का जिम्मेदार ठहराया गया था. आदेश में कहा गया कि 27 जुलाई को खदान में तेज बारिश के बीच ओवर बर्डन में पानी के ओवर फ्लो होने के कारण लैंडस्लाइड जैसी घटना हुई थी. इस हादसे में जितेन्द्र नागरकर बह गए थे और उनकी मौत हो गई थी. आदेश में आगे कहा गया कि, दुर्घटना की जांच में पता चला कि भारी बारिश के समय कार्यपालक मोबाइल पर गेम खेल रहा था. गुमटी में मौजूद लोगों ने उसे बार-बार स्थिति के भयावह होने की चेतावनी दी, लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया और गेम खेलना जारी रखा. इसी का नतीजा है कि खतरनाक घटना घटी और उनकी मृत्यु हो गई. आदेश में कर्मचारियों के लिए गाइडलाइन जारी करते हुए कहा गया कि, जांच से प्राप्त निष्कर्षों और तथ्यों के मद्देनजर, फील्ड, वर्कशॉप और कार्यालयों में काम करने वाले सभी कार्यपालकों, पर्यवेक्षकों और कर्मचारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे कार्यस्थल पर मोबाइल पर गेम खेलने से बचें. सभी अपने काम के प्रति सजग और गंभीर रहें. मोबाइल पर गेम खेलने के संबंध में किसी भी प्रकार की लापरवाही या शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा. दोषी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
एसईसीएल ने नया आदेश जारी किया : एसईसीएल ने नए आदेश में 29 जुलाई को जारी आदेश को वापस लेते हुए उसे अमान्य कर दिया है. नए आदेश में कहा गया है कि, जांच के दौरान फ्रंट लाइन सुपरवाइजर के बयान के आधार पर इस कार्यालय से जारी कार्यालय आदेश संख्या एसईसीएल/जीएम/केए/24-25/84 दिनांक 29.07.2024 को वापस लिया जाता है. इसे अमान्य माना जाएगा. जितेन्द्र नागरकर बेहद कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे. चुंकि कुसमुंडा क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है. अत: प्रबंधन द्वारा हर प्रकार की सतर्कता बरतने का आग्रह करते हुए एक आदेश जारी किया गया था. प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए निश्चय किया गया है कि इस हेतु एरिया स्तर पर जागरूकता प्रसार के कई कदम उठाये जा रहे हैं. अत: उक्त आदेश को वापस ले लिया गया है.” – डॉ सनीश चन्द्र, पीआरओ, एसईसीएल
गलती छुपाने इंजीनियर पर ही मढ़ा था दोष, हुई किरकिरी : कोरबा के कोयला खदान में हुए इस घटना के विषय में पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भी सीएमडी को पत्र लिखा था. उन्होंने कहा था कि भारी भरकम राशि खर्च करने के बाद भी अधिकारियों को ही खदान में सुरक्षा नहीं मिल रही है. लेकिन इसके बाद एसईसील प्रबंधन के एक आदेश में मृतक इंजीनियर को ही इसके लिए दोषी ठहराया. एसईसीएल के इस आदेश की जमकर आलोचना हुई. जिसके बाद एसईसीएम प्रबंधन बैकफुट पर आ गया और अब नया आदेश निकाला गया है. लापरवाही पर पर्दा डालने का एसईसीएल का प्रयास सबके सामने आ गया है. हालांकि, इस घटना की जांच अभी चल रही है.
बता दे की बीते 27 जुलाई की शाम लगभग साढ़े 4 बजे एसईसीएल की कुसमुंडा कोयला खदान में इंजीनियर नागरकर के साथ 6 लोग बारिश से बचने के लिए खदान क्षेत्र में बने एक गुमटी में रूके थे. इसी बीच ओवर बर्डन की मिट्टी और जल सैलान तेजी से बहकर नीचे की ओर आने लगी. पांच लोग किसी तरह मलबे के बहाव से बाहर निकल आए. लेकिन ओवर बर्डन के मलबे की चपेट में सहायक प्रबंधक (माइनिंग) जितेन्द्र नागरकर आ गए और मलबे में दबकर उनकी मौत हो गई. शाम को ही एसईसीएल प्रबंधन ने एसडीआरएफ के साथ तत्काल बचाव कार्य शुरु किया. रात तक चले 15 घण्टे के रेस्क्यू के बाद दूसरे दिन उनकी लाश मलबे में मिली थी.