छत्तीसगढ़/कोरबा-दीपका :- दीपका क्षेत्र में हाल ही में कोयला मंत्री के आगमन के दौरान एसईसीएल प्रबंधन द्वारा लगाए गए पर्दों को लेकर उठे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि इस मुद्दे के समाचार उजागर होने के बाद उन पर परोक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ पत्रकारों के परिजनों को नियमानुसार आवंटित आवास खाली करने के नोटिस दिए गए, जिसे बाद में खाली भी कर दिया गया। इस घटनाक्रम ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
“क्या भ्रष्टाचार की पोल खुलने पर दबाव बनाने की कोशिश?”
कर्मचारी संगठनों और स्थानीय सूत्रों का आरोप है कि लंबे समय से दीपका क्षेत्र की विभिन्न शाखाओं—जैसे रोड सेल, सिविल, परचेज़, विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग—में खरीद-फरोख्त और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
इसी संदर्भ में उल्लेखनीय है कि पूर्व में दीपका सिविल विभाग के एक अधिकारी को सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। यह मामला उस समय भी चर्चाओं में रहा था और भ्रष्टाचार के आरोपों को और मजबूत करता है।
नागरिकों और कर्मचारियों की राय
स्थानीय नागरिकों और कर्मचारियों का कहना है कि यदि आरोपों में सच्चाई है तो पारदर्शी जांच होनी चाहिए, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके और निर्दोषों को बेवजह परेशान न किया जाए। उनका मानना है कि सच्चाई सामने लाने वाले पत्रकारों पर दबाव डालना लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए चिंताजनक संकेत है।
आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे मामले पर एसईसीएल दीपका प्रबंधन से आधिकारिक प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया। हालांकि समाचार लिखे जाने तक प्रबंधन की ओर से कोई बयान उपलब्ध नहीं हो सका।