छत्तीसगढ़/कोरबा :- दीपका खदान साइलो से प्रतिदिन 10 से 15 ट्रेनों के माध्यम से विभिन्न राज्यों तक कोयले की आपूर्ति की जा रही है। लेकिन बिना तिरपाल ढंके कोयला परिवहन पर अब स्थानीय नागरिकों और श्रमिक संगठनों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
नागरिकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइन है कि कोयले की ढुलाई बिना तिरपाल के नहीं की जा सकती, इसके बावजूद खुले में कोयला लादकर ट्रेनों को रवाना किया जा रहा है। इससे न केवल वातावरण में धूल और प्रदूषण फैल रहा है, बल्कि रेल पटरियों पर कोयले के गिरने से दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी रहती है।
सामाजिक संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि खुले में कोयला ले जाने के दौरान चोरी की घटनाएं भी होती रही हैं। वहीं, ऊपरी हिस्से से गुजर रही हाई टेंशन बिजली लाइनों के संपर्क में कोयला आने का खतरा गंभीर हादसों को आमंत्रण दे सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि निर्धारित पर्यावरणीय व सुरक्षा मानकों का पालन कड़ाई से किया जाए तो इन खतरों से बचा जा सकता है और आसपास के लोगों को राहत मिलेगी।
स्थानीय संगठनों ने प्रबंधन से अपील की है कि कोयले की ढुलाई में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए। अन्यथा वे इस मुद्दे पर बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं।