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थाना सिटी कोतवाली अंतर्गत क्षेत्र सीतामणी में रेत घाट को मंजूरी न प्रस्ताव फिर भी दिन-रात मशीन से खोद रहे नदी, जगह-जगह नदी खोद कर हादसों को निमंत्रण दे रहे रेत चोरों से सरकार और प्रशासन की किरकिरी

छत्तीसगढ़/कोरबा :-  कांग्रेस के शासन काल में रेत की कालाबाजारी, रेत की चोरी, रेत की तस्करी, महंगे दाम पर रेत बेचने को लेकर हाय-तौबा मचाने वाले लोग अब भाजपा की सरकार में रेत चोरियों के मामले में खामोश बैठ गये हैं। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों की शामत आ गई है और उनके बेजा कब्जा ढहाये जा रहे हैं लेकिन जो लोग नदी का सीना चीरकर उसे अधिक्रमित कर हर दिन हजारों रुपए की राजस्व हानि कर रेत की चोरी कर रहे हैं, उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अतिक्रमण पर बुलडोजर चलवाने वाली सरकार का प्रशासन तंत्र रेत माफियाओं के मामले में गंभीर नहीं है। इसके दुष्परिणाम स्वरूप मशीन लगाकर नदियों से रेत दिन-रात खोदी जा रही है।

इसमें प्रमुख रूप से थाना सिटी कोतवाली अंतर्गत शहर के भीतर सीतामणी रेत घाट प्रमुख है जहां निर्धारित मात्रा से काफी अधिक मात्रा में रेत की चोरी पिछले ठेकेदार जय कुमार सोनी ने कराया तो अब इस घाट को खोलने की न तो मंजूरी दी गई है और न ही भविष्य में सीतामणी रेत घाट के लिए कोई प्रस्ताव भेजा गया है, फिर भी यहां से रेत बेधडक़ निकल रही है। वैसे तो रेत चोरी के मामले में पुलिस में एफआईआर कराने का भी प्रावधान है किन्तु जब सांठगांठ हो तो एफआईआर कहां से होगी, ऐसा नगरजनों की धारणा बन गई है। सीतामणी में रेत चोरी रोकने खनिज विभाग ने कई बार बड़े-बड़े गड्ढे खुदवा दिए, बेरियर भी लगवा दिया लेकिन चोरों पर एफआईआर आज तक दर्ज नहीं हुई। यहां दफन हुए दिवंगतों के कब्र भी रेत चोरों ने खोद दिए, फिर भी उनका मन नहीं भरा। नदी और इसके आसपास के इलाके से रेत खोदने के कारण बड़े-बड़े गड्ढे निर्मित हो रहे हैं। पानी के नीचे यह गड्ढे आसानी से नजर नहीं आते और जो लोग खासकर बच्चे और युवा दिनचर्या के लिए नदी का उपयोग करते हैं, उनके लिए रेत चोर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। ये तस्वीर और वीडियो आज की है।
ठाकुर घाट के सामने भी रेत चोरी
कमला नेहरू महाविद्यालय के पीछे ठाकुर घाट हसदेव नदी के तट पर स्थित है।ै इसके ठीक सामने नदी के दूसरे तट पर एसईसीएल की डंपिंग क्षेत्र है जहां से रेल लाइन बिछाने का काम हो रहा है। सरकारी काम की आड़ में बिना रायल्टी, बिना राजस्व भुगतान किए रेत का अवैध खनन कर उपयोग में लिया जा रहा है। इसकी आड़ में कुछ रेत चोर भी सक्रिय हो गये हैं। रात भर यहां से रेत का खनन होना स्थानीय लोगों ने बताया है। दिन दहाड़े भी इस इलाके से रेत चोरी की जा रही है। बता दें कि ठाकुर घाट और उस पार आने-जाने के लिए कुछ लोग नदी को पार करते हैं। लंबी दूरी से बचने के लिए यह एक सीधा रास्ता भी है। नदी की गहराई का अंदाजा स्थानीय लोगों को है लेकिन रेत चोरों के कारण जगह-जगह गड्ढे कर दिए जाने से गहराई का अंदाजा नहीं लग पाता है और हादसे की संभावना बढ़ जाती है

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