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कोयला ही नहीं जनाब डीजल और कबाड़ पर भी  माफिया की है नजर रोजाना कोरबा की कोयला खदानों से लाखों का होता है डीजल और कबाड़ का खेला

कोरबा की खदानों से काला हीरा ही नही डीजल और कबाड़ की भी चोरी जोरों पर हैं. एक दिन में इससे एसईसीएल को लाखों रुपए का चूना लग रहा

 छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोयला चोरी के वायरल वीडियो का असर राज्य से लेकर राजधानी तक हुआ है. कोयला चोरी के मंजर को वायरल वीडियो ने बया कर दिया है.  वही कोरबा की एसईसीएल की खदानों से डीजल चोरी कबाड़ चोरी भी भारी मात्रा में हो रही है डीजल चोरी का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है गेवरा खदान में उत्खनन के लिए काम में लिए जाने वाले डंपर से कैंपर वाहन के माध्यम से कुछ युवक डीजल निकालते हुए दिख रहे हैं. कोयला चोरी पर लगाम कसने आईजी ने जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सूत्रों के अनुसार सिर्फ कोयला चोरी ही नहीं, कोरबा की कोयला खदाने डीजल चोरी और कबाड़ चोरी के लिए भी प्रदेश में एक बड़ा हब हैं. प्रतिदिन यहां से हजारों लीटर डीजल और भारी मात्रा में एसईसीएल के कबाड़ की भी चोरी हो रही है. जिसका टर्नओवर करोड़ों में है. पुलिस ने 1 दिन पहले ही यहां से 700 लीटर डीजल जब्त भी किया है. इस तरह की छिटपुट कार्रवाई जारी रहती है.

एसईसीएल खदानों से कितने की डीजल और कबाड़ की चोरी प्रतिदिन होती है

जिस सूत्र से खदान के भीतर से डीजल चोरी का वीडियो उपलब्ध कराया है. उसी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर डीजल चोरी की पूरी कहानी से पर्दा उठाया. सूत्र के अनुसार दीपका, गेवरा और कुसमुंडा खदान डीजल चोरी के कारोबार का केंद्र है. कुसमुंडा खदान से 10 हजार, तो दीपका और गेवरा को मिलाकर प्रतिदिन लगभग 20 हजार लीटर डीजल की चोरी हो रही है. तीनों खदानों से प्रतिदिन लगभग 30 हजार लीटर डीजल की चोरी होती है. जिसकी कीमत खुले बाजार में 30 लाख रुपए है.

इसी प्रकार खदानों के अंदर से कबाड़ की चोरी भी लाखों में होती है जहां पर भारी भरकम वाहन कबाड़ हो चुके होते हैं धीरे-धीरे उनके पार्ट्स की चोरी कर बाहर में कबाड़ी को बेच दिया जाता है जिले में सभी कबाड़ियों को संरक्षण देने वाला एक कबाड़ माफिया है जो कबाड़ का पूरा नेटवर्क चला रहा है । सूत्रों की मानें तो यहां तक की नीलाम हो चुकी 2 हंड्रेड पावर प्लांट से भी दो यूनिट जो नीलाम नहीं हुई थी उससे नीलाम दो यूनिट का स्क्रैप लेने वाले ठेकेदार से मिलीभगत कर उसी की आड़ में करोड़ों का कबाड़ यह कबाड़ माफिया पार कर चुका है ।

 चोरी का डीजल कहां खपाया जाता है, सुरक्षाकर्मी भी चोरी रोकने में फेल हैं

चोरी के इस डीजल को खपाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती. बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टर यहां तक के पेट्रोल टंकियों को भी यह डीजल बेचा जाता . डीजल चोर माफिया इससे 80 से 90 रुपये प्रति लीटर तक की कीमत पर, बाजार भाव से 10 से 20 रुपये कम दाम में उपलब्ध कराते हैं. संगठित तौर पर एक माफिया राज चल रहा है. जिसमें सफेदपोश लोग भी शामिल हैं, क्योंकि बिना संरक्षण इस तरह का अपराध संभव ही नहीं है. इस मामले में एटक के राष्ट्रीय सचिव और ट्रेड यूनियन नेता दीपेश मिश्रा का कहना है ”त्रिपुरा राइफल किसी काम की नहीं हैं. कहने को तो खदानों की सुरक्षा के लिए बड़ा ढोल पीटकर इनकी तैनाती की गई. लेकिन हम देख रहे हैं कि इसके बाद भी इनके नाक के नीचे कोयला, डीजल और लोहे की चोरी हो रही है. कोरबा जिले की कोयला खदानों में चोरी की घटना आम बात हो गई है. सुरक्षा एजेंसी सुरक्षा ही नहीं दे पा रही है, तो फिर किस काम की रह गई है? एसईसीएल इनके वेतन पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. बावजूद इसके धड़ल्ले से चोरी जारी है. इसलिए हम त्रिपुरा राइफल की टीम को को हटाने की मांग कर रहे हैं.”

हथियारों की जगह डंडा के जोर पर सुरक्षा, जबकि डीजल और कबाड़ चोर हथियारों से लैस होते हैं कई घटनाएं सामने आ चुकी है 

खदानों के भीतर अब संघर्ष वाली स्थिति बन गई है. जिसका प्रमाण है कि कोयला उत्खनन में लगे कर्मचारी डंडा लेकर ड्यूटी कर रहे हैं. कर्मचारियों ने खदान के भीतर हाथ में डंडा पकड़े हुए फोटो भी जारी किया है. जिनका कहना है कि डीजल चोर लाठी डंडा और हथियार लेकर खदान में प्रवेश करते हैं. ऐसे में सुरक्षा कैसे हो सकती है उत्खनन में लगे भारी वाहनों को रोककर जबरदस्ती डीजल निकाल लेते हैं. इससे निपटने के लिए अधिकारी कर्मचारियों ने खुद ही मोर्चा संभाला है. अपनी सुरक्षा के लिए डंडा लेकर खदानों में ड्यूटी दे रहे हैं. खदान के भीतर डंडा लेकर ड्यूटी देने के फोटो जारी होने के बाद गुरुवार को ही दीपका पुलिस ने 700 लीटर डीजल जब्त किया. 35 लीटर क्षमता वाले 20 जरीकेन जब्त किए गए हैं. पुलिस ने दावा किया है कि घेराबंदी करके चोरी का डीजल पकड़ा गया है. लेकिन डीजल चोरी करने वाले चोर भाग निकले. सिर्फ डीजल ही हाथ लगा जिसकी कीमत 3 लाख 70 हजार रुपए है.

मिलीभगत का है खेल  

खदान के भीतर डीजल चोर और कर्मचारियों के बीच संघर्ष होता रहता है. कई बार गोली चलने तक की घटनाएं हो चुकी हैं. हाल ही में एसईसीएल के दीपका खदान में 2 कर्मचारियों पर चोरों ने हमला कर दिया था. दीपक खदान में तैनात माइनिंग स्टाफ ओमप्रकाश और डंपर ऑपरेटर फैयाज अंसारी रोज की तरह अपने काम में लगे हुए थे. तभी डीजल चोर आए और डीजल चोरी करने लगे. कर्मचारियों ने मना किया तो उनके साथ मारपीट की. कर्मचारियों ने इसकी शिकायत थाने में भी की थी.

चोरी के वीडियो से उड़े होश, खदानों की सुरक्षा पर उठे सवाल

कोयला चोरी के वायरल वीडियो के बाद बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी ने जांच के आदेश दिए हैं. कोरबा, रायगढ़ एसपी को भी आवश्यक कार्रवाई के निर्देश हैं. जांच के एक बिंदु में यह भी उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस में कैसा तालमेल है? यह बात सदैव चर्चा में रहती है। केंद्रीय सुरक्षा बल सीआईएसएफ और त्रिपुरा राइफल्स को खदान के भीतर सुरक्षा देनी है. जबकि स्थानीय पुलिस का काम कानून व्यवस्था को संभालने का होता है. अक्सर दोनों के मध्य टकराव जैसी परिस्थितियां निर्मित होती है. कहां की सुरक्षा कौन करेगा? इसे लेकर हमेशा परिस्थितियां अस्पष्ट रहती हैं. पुलिस कहती है कि खदान के भीतर की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों की है. जबकि केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान कहते हैं कि पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया. आईजी ने जब यह जांच का बिंदु अपने जांच आदेश में शामिल किया । खदानों की सुरक्षा पर सवालिया निशान, वायरल वीडियो, कोयला और डीजल चोरी के प्रश्न पर एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ सनीश चंद्र ने प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि ”खदानों के सुरक्षा के लिए सीआईएसफ जैसे पेशेवर सुरक्षा बल तैनात हैं. जो औद्योगिक इकाइयों के सुरक्षा में अत्यंत अनुभवी कार्य बल हैं. कबाड़, डीजल और किसी भी प्रकार के अन्य गैरकानूनी गतिविधियों की रिपोर्ट तत्काल पुलिस को दे दी जाती है. एक व्यवस्था है जो राज्य शासन के साथ समन्वय में काम करती है. हालांकि वायरल वीडियो की जांच पुलिस की टीम कर रही है.”

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