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न्यू कोरबा हॉस्पिटल (NKH)ने 7 दिन में मरीज के इलाज का बिल बना दिया 7 लाख 50 हजार रुपए, 5 लाख देने के बावजूद भी इलाज में लापरवाही, परिजनों ने किया हंगामा, आयुष्मान कार्ड से इलाज करने में भी पारदर्शिता नहीं

छत्तीसगढ़/कोरबा :- डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है लेकिन घोर आर्थिक और भागम भाग के इस दौर में मानव सेवा के नाम पर इलाज करने वाले प्राइवेट अस्पताल अब पूर्ण रूप से व्यवसायिक हो चुके हैं जो मरीज से इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण 28 अक्टूबर को न्यू कोरबा हॉस्पिटल में देखने को मिला जहां एक मरीज 21 अक्टूबर को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो जाता है जिसे न्यू कोरबा हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता है जिसका इलाज एक हफ्ता यनी 28 अक्टूबर तक चलता है इस दौरान मरीज के इलाज का बिल अस्पताल द्वारा 7 लाख ₹50000 बना दिया जाता है जिसमें से परिजनों ने 5 लाख रुपए अस्पताल प्रबंधन को बिल पेमेंट कर देते हैं लेकिन मरीज की स्थिति में कुछ ज्यादा सुधार ना दिखने के कारण परिजन परेशान हो जाते हैं और वह अन्यत्र अस्पताल रेफर करने की मांग करते हैं लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा फिर उनसे 2 लाख ₹50000 इलाज के बकाया की बात करते हैं इसके बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ता है और परिजनों द्वारा अस्पताल के अंदर जमकर हंगामा किया जाता है परिजनों का आरोप है कि इलाज के नाम पर 5 लाख रुपए ले लिए गए हैं लेकिन मरीज की हालत में सुधार नही हो रहा था मरीज का इलाज सही ढंग से नही किया जा रहा था जिससे मरीज की हालत गंभीर और गंभीर हो गई इसी दौरान 29 अक्टूबर को मरीज की तबीयत बिगड़ने और शरीर में इंफेक्शन फैलने की जानकारी अस्पताल प्रबंधन ने देते हुए उन्हें दूसरी जगह रेफर करने की बात कही गई तब परिजनों ने वहां पर हंगामा खड़ा कर दिया। बता दे की कुलदीप सिंह कटघोरा निवासी 21 अक्टूबर को सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे जिनका इलाज न्यू कोरबा हॉस्पिटल चल रहा था

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परिजनों ने जब इस संबंध में उचित जानकारी प्रदान करने की बात की तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें गोलमोल जवाब दिया गया जिससे आक्रोशित होकर लोगों ने वहां पर हंगामा शुरू कर दिया। फिलहाल पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामले को शांत कराया गया और मरीज को परिजन इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले कर रवाना हो गए,

इस पूरे घटनाक्रम में यह बात भी निकाल कर सामने आई है की अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से इलाज में पारदर्शिता नहीं है आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने पर भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा विभिन्न जांच और इलाज के नाम पर मरीज से पैसा वसूलते हैं जबकि आयुष्मान कार्ड से इलाज निशुल्क करने का प्रावधान है लेकिन जिले के प्राइवेट अस्पतालों द्वारा यह बोलकर आयुष्मान कार्ड से इलाज करते हुए मरीज से पैसा ले लेते हैं कि यह इलाज या यह जांच आयुष्मान कार्ड से नहीं किया जाता, जबकि शासन की गाइडलाइन साफ है कि अस्पताल में भर्ती मरीज की आयुष्मान से इलाज के दौरान कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा और आयुष्मान से इलाज की जानकारी हेतु अस्पताल के गेट के पास एक काउंटर बनाया जाएगा और उसे काउंटर के पास अस्पताल के द्वारा विभिन्न इलाजों में लिए जा रहे शुल्क की जानकारी चसपा की जाएगी लेकिन जिले के अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के रेट को छुपाया जाता है और मरीजों से भारी भरकम रकम इलाज के नाम पर वसूली जाती है जो शासन के नियम के विरुद्ध है और गैरकानूनी भी है ।

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