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कोरबा में शिक्षाकर्मी भर्ती के सरकारी दस्तावेज दीमक खा गये, 10 घोटाले बाज शिक्षाकर्मी में 4 निलंबित 6 को अभय दान

छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोरबा जिले में कालांतर में हुई शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती को लेकर उस समय से उठे गड़बडिय़ों के सवाल 17 साल बाद भी शांत नहीं हो पाए हैं। संबंधित अधिकारियों और चयन सूची में शामिल लोगों के द्वारा आज तक कुछ न कुछ लीपापोती करते हुए छिपाने का काम किया जा रहा है, जिसका ज्वलंत उदाहरण पिछले महीने 10 में से मात्र 4 प्रधान पाठकों का निलंबन के रूप में सामने आया है। प्राप्तांकों में अंतर के कारण कार्रवाई की सूची में शामिल 10 में से मात्र 4 को निलंबित कर 6 लोगों को अभयदान देने का काम बड़ी दिलेरी से हो रहा है। शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की 2007 में हुई भर्ती से जुड़ा यह सारा मामला है जिसकी परतें प्याज के छिलकों की तरह सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारियों में उखड़ रही हैं। इस पर यह भी विचारणीय और हास्यास्पद है कि कई मामलों के तो रिकॉर्ड ही गायब बताए जा रहे हैं।
सरकारी दस्तावेजों को काफी संभाल कर रखा जाता है ताकि वक्त-बे-वक्त जरूरत पड़े तो काम आ सकें। लेकिन इनके रख-रखाव में बरती जाने वाली लापरवाही के कारण अधिकारी निशाने पर आ जाते हैं। ताजातरीन मामला जिले के कोरबा, कटघोरा और पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में सामने आया है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी में वित्तीय वर्ष 2005 में चयनित शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के सभी संकायों के मेरिट सूची, चयन सूची, प्रतीक्षा सूची, गठित चयन समिति की सूची/दस्तावेज कोरबा जनपद कार्यालय में उपलब्ध ही नहीं हैं। जनपद कार्यालय कटघोरा से जब वर्ष-2007 में चयनित हुए शिक्षाकर्मी वर्ग-3 से संबंधित जानकारियां चाही गईं तो शिक्षक भर्ती से संबंधित समस्त दस्तावेज जनपद पंचायत कटघोरा के पुराने भवन के ध्वस्त होने के कारण नष्ट हो जाने की जानकारी सीईओ द्वारा दी जाती है। उक्त जानकारी कार्यालय में उपलब्ध नहीं होना बताया जाता है। इससे भी बड़ी चौकाने वाली बात जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा के जन सूचना अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताई जिसमें यहां वर्ष-2005 व 2011 में चयनित हुए शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के सभी संकायों से जुड़ी जानकारी मांगी गई तो शिक्षाकर्मी स्थापना शाखा के प्रभारी आरके उपाध्याय ने लौटती डाक से जवाब दिया कि नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज प्राकृतिक प्रकोप दीमक लगने के कारण नष्ट हो चुके हैं, जिसके कारण अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। अब अगर मामला कोर्ट में गया और दस्तावेज मंगाए गए तब क्या होगा?
चयन समितियां सवालों में, बाबुओं का बोलबाला
जिले में शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती को लेकर शिकायतें सामने आई हैं। कोरबा ब्लॉक में नियुक्ति के समय जनपद में और सेवा पुस्तिका तैयार करते समय खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अलग-अलग प्राप्तांकों को दर्ज किया/कराया जाना पिछले दिनों उजागर हुआ। इसी तर्ज पर और भी गड़बडिय़ां भविष्य मेंं उजागर होने के आसार हैं जिसके लिए कुछ आरटीआई कार्यकर्ता शिद्दत से जुटे हैं। मजे की बात यह है कि प्रधान पाठकों का निलंबन तो कर दिया जाता है लेकिन चयन समिति और इसमें शामिल लोगों पर जरा सी भी आंच नहीं आती। किसी भी तरह की जांच अब तक नहीं बिठाई गई है कि आखिर प्राप्तांकों में घालमेल किसके कहने पर किसके द्वारा किया गया है? बताते चलें कि भर्ती के दौर में जनपद और शिक्षा विभाग के बाबुओं का काफी बोलबाला रहा और सारे दस्तावेज/रिकार्ड इनके हाथों में होने के कारण मनमर्जी की जाती रही। इनकी मनमानी का खामियाजा कहीं न कहीं शासन-प्रशासन को अपनी भद्द पिटवा कर चुकाना पड़ रहा है।

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