छत्तीसगढ़/कोरबा :- लगातार हो रही भारी बारिश ने कोरबा जिले में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, लेकिन सबसे ज्यादा मार पड़ी है एसईसीएल की एशिया की सबसे बड़ी गेवरा कोयला खदान पर। खदान परिसर में भारी जलभराव और मलबा भर जाने से कोयला उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया है। करोड़ों की मशीनें, डंपर और मोटर पंप पानी और कीचड़ में दब गए हैं — जिससे न सिर्फ उत्पादन पर असर पड़ा है, बल्कि सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, खदान में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई थी। हर साल की तरह इस बार भी बारिश से पहले ड्रेनेज और सुरक्षा इंतजाम अधूरे छोड़े गए। नतीजा यह हुआ कि थोड़ी सी लगातार बारिश ने खदान को तालाब में तब्दील कर दिया।
मजदूरों और कर्मचारियों ने बताया कि कई क्षेत्रों में पानी इतना भर गया कि भारी मशीनें तक बंद करनी पड़ीं। वहीं, खदान में काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि बारिश के दौरान सुरक्षा के कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए — जिससे जानमाल के नुकसान का खतरा लगातार बना हुआ है।
खदानों में कोयला उत्खनन और परिवहन दोनों ही प्रभावित हो चुके हैं। इससे एसईसीएल को करोड़ों रुपए का नुकसान होने की संभावना है। स्थानीय नागरिकों और कर्मचारी संगठनों ने एसईसीएल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि “हर साल यही कहानी दोहराई जाती है, लेकिन प्रबंधन सीखने को तैयार नहीं।”
अब सवाल यह उठता है —क्या एसईसीएल हर साल होने वाली इस जलभराव की समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस योजना बनाएगा, या फिर खदानें यूं ही प्रबंधन की लापरवाही में डूबती रहेंगी?