छत्तीसगढ़/कोरबा :- फ्लोरा मैक्स कंपनी ने स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रलोभन के जाल में फंसा कर, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के माध्यम से लोन फाइनेंस करवा कर, खड़ा किया ठगी का साम्राज्य, फ्लोरा मैक्स के द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का झांसा देकर कर्जदार बना दिया गया है। यह पहला मौका नहीं है जब महिलाएं इस तरह के झांसे में आकर कर्जदार बनी हों बल्कि वर्षों से ऐसे वित्तीय संस्थान जो आसानी से समूह का हवाला देकर लोन फाइनेंस करते हैं और हर हफ्ते किस्त के रूप में इसकी वसूली मोहल्ले-मोहल्ले, घर-घर जाकर की जाती है। इसमें भी ऐसे धोखे हो चुके हैं कि समूह की कोई सदस्य महिला हजारों-लाखों का कर्ज उठाकर फरार हो गई और फिर उसकी किस्त अदायगी का भार उस समूह की दूसरी सभी महिलाओं के कंधे पर पड़ा। ऐसे तमाम शिकवा-शिकायतों के बीच फ्लोरा मैक्स ने जो जाल फैलाया, उसमें हजारों महिलाएं फंस गई हैं।
सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्व सहायता समूह के गठन पर जोर दिया, फिर समूह को रोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करने के साथ-साथ इन्हें शासकीय सहयोग भी उपलब्ध कराया। समूह का गठन करने के बाद महिलाओं में इस बात को लेकर उत्सुकता हमेशा से रही कि उन्हें कुछ कामकाज मिल जाए ताकि वह अपने घर परिवार को चलाने में सहयोग कर सकें। उनकी यह आत्मनिर्भर बनने की चाह ने उलझा कर रख दिया है। विभिन्न समूह के माध्यम से ही सशक्त हो चुकी और हो रही महिलाओं के अपवाद स्वरूप कई महिलाएं आज भी ठगों के लिए सॉफ्टकॉर्नर के रूप में उपयोग आ रही हैं। वह बड़ी ही आसानी से किसी भी स्कीम पर विश्वास कर लेती हैं, चाहे वह माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का जाल हो या फ्लोरा मैक्स जैसी कंपनी जो उन्हें घर बैठे ब्याज के रूप में आमदनी देने का वादा की हो। इसमें सबसे बड़ी बात उन वित्तीय संस्थाओं की जांच करने की भी है जिनके द्वारा नियम-कायदों का पालन किए और कराए बगैर ही लोन पर लोन दिए गए। बैंकों में यूं ही आसानी से कर्ज तो उनको भी नहीं मिलता जो काफी जरूरतमंद होते हैं। बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे,बिना अमानत के बैंक लोन नहीं देता लेकिन यहां तो बिना किसी गारंटी के बिना किसी एनओसी के और किसी भी बैंक में कर्जदार नहीं होने का प्रमाण पत्र लिए बगैर ही एक महिला के नाम पर 6 से 7 बैंकों से लोन बांट दिए गए। आखिर यह साजिश इन वित्तीय बैंकों के शाखा प्रबंधकों की फ्लोरा मैक्स के संचालक से सांठगांठ का ही परिणाम है। इसका पूरा ठीकरा अब कर्ज लेने वाली महिलाओं पर फूट रहा है, जबकि उनके हाथ में कर्ज की रकम तो आई ही नहीं। बैंकों से दलालों के माध्यम से उनके नाम पर जारी हुई कर्ज की रकम सीधे कंपनी के स्थानीय कर्ताधर्ता तक पहुंची और उसके द्वारा महिलाओं को 10% की राशि प्रदान कर दी गई। उत्पाद को बेचने से होने वाली आय का भी एक प्रतिशत देने का वादा किया गया।शुरुआती दिनों में घर बैठे आय और कर्ज खुद ही चुका देने का दिखाकर व चंद रुपए देकर भरोसे में लेने के बाद ना तो इन्हें अगली किस्त मिली और ना ही उनके कर्ज के एवज में बकाया राशि जमा हुई। जब राशि का आना बंद हो गया और कर्ज देने वाले बैंकों से घर पहुंचकर तगादे शुरू हुए तब पूरा भंडाफोड़ हुआ। फ़्लोरा मैक्स के द्वारा पिछले महीनों में उसके यहां हुई डकैती में नुकसान की आड़ लेकर बचने का प्रयास किया जा रहा है जबकि डकैती हुई रकम की तो रिकवरी भी हो चुकी है। कहीं ना कहीं एक पूरा जो जाल इन्होंने फैला कर रखा है, उसके लिए सूक्ष्म जांच करते हुए फ्लोरा मैक्स कंपनी की संपत्ति की नीलामी करने के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों के शाखा प्रबंधकों से लेकर जिम्मेदार लोगों पर भी एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता है, जिनके द्वारा जानबूझकर योजनाबद्ध तरीके से साजिश पूर्वक और आरबीआई के गाइडलाइन का पालन किए बगैर ही हजारों-लाखों रुपए यूं ही बांट दिए गए और महिलाओं को कर्जदार बनाकर उनके परिवार में तनाव पैदा करने का काम किया गया है।