दीपिका से हल्दी बाजार आने-जाने जर्जर बाईपास मार्ग के अलावा लोगों के आने जाने के लिए कोई मार्ग नहीं, भारी भरकम कोयला लोड वाहनों और धूल भरे मार्ग से लोग जान जोखिम में डालकर करते हैं आना-जाना, दिन भर लगा रहता है जाम।
छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोरबा जिले के कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में बीते 5 साल में विकास की तस्वीर साफ होने के बजाय बदहाल हो रही है। पिता की विरासत से विधायक बने पुरूषोत्तम कंवर पिछली बार कांग्रेस की लहर में विधायक बन गए और लोगों को उम्मीद थी कि युवा एनर्जी से कटघोरा विधानसभा क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी और खदान प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा लेकिन बीते 5 साल में क्षेत्र में और बदहाली का आलम देखने को मिला है। पिता पुत्र ने इस क्षेत्र में 40 साल राज किया, लेकिन जनता की आवाज विधान सभा तक नहीं पहुुंची और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र अपनी बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा है। बीते 5 साल में विधायक के तौर पर पुरूषोत्तम कंवर ने एसईसीएल प्रभावित लोगों की सुध तक नहीं ली। यहां तक कि कई वर्षों से भू-विस्थापित आंदोलन कर रहे हैं, उनके आंदोलन को आज तक पिता पूर्व विधायक बोधराम कंवर एवं वर्तमान विधायक पुरूषोत्तम कंवर ने समर्थन देना तो दूर, उनके आंदोलन में कभी शिरकत तक नहीं की और आज भू-विस्थापित अपने बल पर आंदोलन को जारी रखा है। आचार संहिता लगने के बाद अभी आंदोलन को शिथिल रखा गया है और आचार संहिता खत्म होने के बाद फिर से आंदोलन चालू होगा।
घर के बजाय तंबू में कट रहा भू-विस्थापितों का जीवन
कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में खदानों की भरमार है। एशिया की सबसे बड़ी खदान गेवरा प्रोजेक्ट, दीपका, कुसमुण्डा, सुराकछार, ढेलवाडीह, बांकीमोंगरा, लक्ष्मण प्रोजेक्ट जैसी बड़ी-बड़ी खदानें इसी क्षेत्र में आती हैं और पूरे प्रदेश में कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता से यहां की समस्या विकराल होती जा रही है और भू-विस्थापितों का आंदोलन घटने के बजाय आए दिन तेज हो रहा है। श्री कंवर ने आज तक न तो शासन-प्रशासन से पहल की और न ही केन्द्र में विपक्ष की सरकार होने के बावजूद कभी आंदोलन किया, बल्कि आंदोलनकारियों को कई बार पुलिस और सीआईएसएफ-बीएसएफ के जवानों ने कुचलने की कोशिश की और कई बार तम्बुओं को उखाड़ फेंका, लेकिन पुरूषोत्तम कंवर ने कभी इसका विरोध नहीं किया और न ही आंदोलनकारियों का साथ दिया।
पुरूषोत्तम कंवर को भू-विस्थापितों का विरोध
बीते 5 साल में भू-विस्थापितों का न जाने कितने बार आंदोलन हुआ, त्रिपक्षीय वार्ता हुई लेकिन पुरूषोत्तम कंवर ने इनके आंदोलन की तरफ से कभी शामिल नहीं हुए। अब जब प्रचार करने जा रहे हैं तो कई भू-विस्थापित ग्रामों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है और कई जगह विरोध को देखते हुए श्री कंवर उस गांव तक पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। भू-विस्थापित एवं किसान सभा के अध्यक्ष तथा सीपीआई से कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी जवाहर कंवर ने बताया कि कांग्रेस नेता एवं कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी एवं विधायक पुरूषोत्तम कंवर ने 5 साल क्षेत्र की सुध नहीं ली और फिर से 5 साल बाद चुनाव में पुरूषोत्तम कंवर को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
जयसिंह का साथ मिला भू-विस्थापितों को
कोरबा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी एवं कोरबा विधायक एक ऐसे जन प्रतिनिधि हैं, जो अपने क्षेत्र से बाहर के लोगों की भी समस्या दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं। गंगा नगर के पास जब एसईसीएल प्रबंधन गरीबों की झोपड़ी तोड़ रहे थे वह भी बिना मुआवजा तो देर किए बिना स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद जयसिंह अग्रवाल भू-विस्थापितों के बीच पहुंचे और एसईसीएल अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। श्री अग्रवाल के तेवर देखकर एसईसीएल अधिकारी वहां से नौ दो ग्यारह हो गए, लेकिन पुरूषोत्तम कंवर ने कभी अपनी जिम्मेदारी का वहन नहीं किया और आज परिणाम सामने है, और आज वे भू-विस्थापित ग्रामों में प्रचार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
भू-विस्थापितों की भी आवाज विधानसभा तक नहीं पहुंची
40 साल के पिता-पुत्र के राज में भू-विस्थापितों की समस्या क्षेत्र के अंदर ही गुंजती रही और उनकी आवाज विधानसभा तक नहीं पहुंची। आखिर विधायक ने अपने ही क्षेत्र के भू-विस्थापितों की समस्या का निदान करने के लिए रूचि क्यों नहीं ली, विधानसभा में आवाज क्यों नहीं गूंजी, इसकी प्रतिक्रिया जानने विधायक को फोन लगाया गया, उनसे संपर्क नहीं हो सका, वैसे भी विधायक बनने के बाद कंवर फोन तक नहीं उठाते।
5 साल सोते रहे विधायक, हरदीबाजार-दीपका बायपास का निर्माण अब तक नहीं
हरदीबाजार से दीपका की दूरी अधिकतम 5 किलो मीटर है, लेकिन हरदीबाजार से दीपका जाने वाली रोड में जाना मुश्किल हो गया है और अब आम लोगों के लिए यह रास्ता लगभग बंद हो गया है और अब 10 मिनट के रास्ते को लोगबाग एक घंटे में तय करने मजबूर हो रहे हैं। बीते 5 साल में क्षेत्र के लोगों ने कई बार पुरूषोत्तम कंवर को इस बात से अवगत कराया लेकिन आज तक हरदीबाजार-दीपका बायपास रोड नहीं बन पाया।
कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में अपराध बढ़े लेकिन एमएलए आवाज तक नहीं उठाई
बीते 5 साल में विधायक की निष्क्रियता यहां की जनता ने देखी है। गेवरा खदान में गोली चली, लेकिन विधायक ने विधानसभा में आवाज तक नहीं उठाई। कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में कोयले की चोरी, डकैती होती रही, लेकिन विधायक ने विधानसभा में आवाज तक नहीं उठाई। यहां की खदानों में डीजल चोरी होती रही, लेकिन विधायक ने एक बार भी विधानसभा में आवाज नहीं उठाई। आखिर जनता किसके लिए उन्हें जनप्रतिनिधि चुना, इसका जवाब तो देना ही होगा।
विधायक से कई बार मांग की गई, थक कर एसईसीएल की शरण में जाने से जगी
ग्रामीणों ने कई बार हरदीबाजार दीपका बायपास रोड के लिए विधायक पुरूषोत्तम कंवर से गुहार लगाई, थक हार कर एसईसीएल की शरण में गए और 5 साल बाद अब एसईसीएल ने हरदीबाजार – दीपका बायपास के लिए 17.5 करोड़ रूपए की निविदा निकाली। एसईसीएल प्रबंधन की हिटलरशाही से खदान प्रभावित क्षेत्र के लोग नरक की जिंदगी बिता रहे हैं। लेकिन जनप्रतिनिधि की निष्क्रियता से आज भी लोग नरक का जीवन जी रहे हैं। बायपास रोड तो दूर की बात है, हरदीबाजार जो विधायक का निवास स्थान है, वहां की मुख्य सड़क से ड्रैगन की आवाजाही से लोगों की जाने जा रही है, लेकिन विधायक को कोई फर्क नहीं पड़ता।
पिता-पुत्र ले लिए करोड़ों का मुआवजा लेकिन पीडि़त आज भी भटक रहे
मलगांव, पाली-पड़निया, भठोरा सहित कई ग्राम हाल ही में एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित किया गया है। मलगांव क्षेत्र में अधिग्रहित जमीन में बोधराम कंवर, पुरूषोत्तम कंवर सहित परिवार का कई एकड़ जमीन अधिग्रहित हुई, यहां तक की एनएच में भी इनकी जमीन गई और अरबों का मुआवजा बिना परेशानी के मिल गया, लेकिन कंवर समाज के ही गरीब तबके के लोग आज भी नौकरी और मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।
दीपका गौरव पथ में भारी वाहनों की आवाजाही की समस्या आज तक नहीं सुलझा पाए एमएलए
छत्तीसगढ़ शासन ने लोगों की सुविधा के लिए नगर पालिका दीपका के मुख्य मार्ग को नगर पालिका को एजेंसी बनाकर गौरवपथ का निर्माण कराया था। एसईसीएल की हिटलरशाही से भारी वाहन इसी मार्ग से गुजर रहे हैं, लेकिन विधायक ने भारी वाहनों के लिए आज तक न तो एसईसीएल से पहल की और न ही आम जनता की सुविधा के लिए कभी सड़क पर उतरे। एसईसीएल दीपका क्षेत्र के लोगों को सुविधा देने के बजाय आम रास्ता को ही बंद कर दिया, लेकिन आंदोलन उग्र होने की आशंका पर प्रशासन को सामने आना पड़ा और तात्कालीन कलेक्टर ने एसईसीएल अधिकारियों को फटकार लगाई, तब जाकर दीपका चौक से कालोनी जाने वाले रास्ते को खोला, लेकिन यहां के विधायक घर में आराम फरमाते रहे और कभी जनता के साथ खड़ा नहीं हुआ। दीपका में भी पुरूषोत्तम को लीड के लिए संकट खड़ा हो सकता है।
सड़क पर धूल से आवागमन हुआ दुश्वार
यह तस्वीर हरदीबाजार मुख्य सड़क की है। हरदीबाजार से दीपका एवं हरदीबाजार से बलौदा रोड पर रोजाना सैकड़ों भारी वाहन गुजर रहे हैं, लेकिन आज तक विधायक ने हरदीबाजार बायपास के लिए न तो पहल की और न ही यहां के रहवासियों के लिए आवागमन के लिए कोई विकल्प तैयार किया। मुख्य मार्ग पर उड़ती धूल के कारण पैदल एवं दोपहिया वाहन चालकों का आवागमन दुश्वार हो गया है। रोजाना ड्रैगन के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोगों की जान जा रही है, एमएलए बेफिक्र हैं।