छत्तीसगढ़/कोरबा :– राज्य गठन के सवा दो दशक बाद भी आकांक्षी जिला कोरबा के कुदमुरा से श्यांग मार्ग के श्यांग से चिर्रा तक 12 किलोमीटर सड़क नहीं बन सकी। इस दौरान 15 साल भाजपा शासन काल एवं 7 साल कांग्रेस सत्ता में ( है) रही।जिले की सीमावर्ती बीहड़ जंगलों के बीच इस हाथी प्रभावित पथरीली जर्जर मार्ग में लोग जान हथेली पर लेकर आवागमन कर रहे। जबकि हर वर्ष कोरबा जिले में अरबों का डीएमएफ फंड आता है, बावजूद इसके इस ओर किसी का ध्यान नहीं । इस डीएमएफ फंड से क्या कार्य कराए जाते हैं कौन से विकास कार्य किए जाते हैं इसकी जानकारी भी प्रशासन द्वारा नहीं दी जाती है, DMF फंड में पारदर्शिता नहीं होने के कारण हरदम जिला प्रशासन पर फंड में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं ।
यहां बताना होगा कि देश के 110 पिछड़े आकांक्षी जिलों में शामिल कोरबा जिले की सीमावर्ती क्षेत्र श्यांग से कुदमुरा मार्ग में चिर्रा से श्यांग 12 किलोमीटर तक की सड़क आजादी के 7 दशक बाद भी नहीं बन सकी। अविभाजित मध्यप्रदेश शासनकाल से लोक निर्माण विभाग के इस सड़क के डामरीकरण की आश इंतजार में बढ़ती चली गई। पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ राज्य के गठन से क्षेत्र के बाशिंदों में उम्मीद की किरण जागी । लेकिन राज्य गठन के 22 साल बाद भी चिर्रा से श्यांग 12 किलोमीटर का हिस्सा आज भी तैयार नहीं हो सका। स्थानीय जानकार ग्रामीणों की माने तो लोक निर्माण विभाग ने इस मार्ग पर राज्य गठन के बाद दो बार 2004 -05 एवं 2013 -14 में मार्ग में डब्ल्यूबीएम किया,लेकिन बीटी (डामरीकरण)आज पर्यन्त नहीं हो सकी। इसके पूर्व 1986 -87 में भी मार्ग में डब्ल्यूबीएम किए जाने की बात बताई जा रही है। डामरीकरण नहीं होने की 12 किलोमीटर पथरीली मार्ग में आवागमन अत्यंत जटिल एवं जानलेवा बना हुआ है। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो सक्ति से करतला -कुदमुरा -बरपाली -चिर्रा श्यांग कुटुरुवां होते हुए उदयपुर तक सड़क निर्माण के लिए भी सर्वे हुआ था। लेकिन वो भी ठंडे बस्ते में चला गया।
दर्जनों गांव की 20 हजार की आबादी प्रभावित ,हाथी प्रभावित मार्ग ,अनहोनी की बनी रहती है आशंका
यहां बताना होगा कि इस मार्ग से चिर्रा,पतरापाली ,एलांग ,सिमकेंदा ,गुरमा, ढेंगुरडीह,ठेंगरीमार,श्यांग, छिरहुट,बलसेंघा ,अमलडीहा ,तीतरडांड,
नकिया ,विमलता ,सरसाडेवा की 20 हजार की आबादी प्रयत्क्ष तौर पर प्रभावित है।यहाँ बताना होगा कि यह क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र है । दर्जनों ग्रामीण इस मार्ग में आवागमन करते जान गंवा चुके हैं। पथरीले मार्ग की हालत इस कदर खराब है कि बैलगाड़ी भी चलना मुश्किल है। ऐसे में आपात स्थिति में स्वाथ्यगत सेवाओं के लिए गए चारपहिया वाहनों की इस मार्ग में दम निकल जाता है। गलती से वाहन खराब हो जाए तो वाहन को ठीक करने से ज्यादा मार्ग में हाथी व भालू न आ जाए इसका भय लोगों को सताता रहता है।