छत्तीसगढ़/कोरबा :- इन दिनों बांकीमोगरा क्षेत्र अंतर्गत सुराकछार में दिनदहाड़े कोयला चोरी हो रही है तस्करों के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं, सुराकछार खदान के कोयला साइडिंग से बड़े पैमाने पर कोयले की तस्करी हो रही है ।
मिली जानकारी के अनुसार कोयला माफिया रात के अंधेरे में कोयले को ठिकाने लगाते हैं दिन रात सैकड़ों की भीड़ से डम्प किए हुए कोयले को बोरी के माध्यम से कोयला तस्करी को अंजाम दिया जाता है। कोल माफिया बेखौफ हो कर अवैध कोयला तस्करी कार्य को अंजाम दे रहें हैं,अगर ऐसी स्थिति रही तो आने वाले भविष्य में जिले सहित प्रदेश भर में कोयला संकट और गहरा सकता है। वर्तमान में देश के कई पावर प्लांट कोयले के संकट से जूझ रहे हैं दिनों दिन कोयले का संकट गहराता जा रहा है कोयला चोरी नहीं रुकी तो आने वाले समय में भी प्रदेश में भी कोयले की समस्या पैदा होने के आसार नजर आ रहे हैं जिसका जिम्मेदार कौन होगा ।
इस क्षेत्र में कोयला तस्करी का खेल शाम होते ही शुरू हो जाता है जहां आसपास के मजदूरों से कोयला डीपो व कोयला खदानों से चोरी करा कर 30 रुपये प्रति बोरी खरीदा जाता है और एक जगह डम्प कर पिकअप में भर कर सीधे अगारखार में ट्रक मे लोड कर प्रदेश से बाहर सांठगांठ के माध्यम से बिक्री के लिए भेजा जाता हैं, जहां कोल माफियाओं को अच्छी कीमत अवैध कोयला बिक्रीकर मिलती हैं। सभी को अच्छी प्रॉफिट होने के चलते जिले में कोयला तस्करी पर लगाम नहीं लग पा रही है और यह धंधा फल-फूल रहा है, आपको बता दें सुराकछार एरिया में हजारों की संख्या में मजदूरों से रोजाना कोयला चोरी कराया जाता हैं, जहां प्रति बोरी 30 रुपये की दर से लिया जाता है, जहां कम से कम एक मजदूर रोजाना एक हजार से 2 हजार रुपए स्ट्रा अवैध कोयला तस्करी से कमाते हैं सिंडिकेट बड़ी मात्रा में जिले के सभी खदानों में भारी मात्रा में फल -फूल रहा है सूत्रों की माने तो सिंडिकेट में संलिप्त लोगों द्वारा कोयला तस्करी करने वाले माफियाओं की सेटिंग उच्च लेबल तक है कार्यवाही कब तक होती है या यूं ही ऊंची पहुंच का हवाला देते हुए कोयले का यह अवैध कारोबार ऐसे ही फलता फूलता रहेगा ।
प्रबंधन भी कुछ दिन पूर्व भारी मात्रा में कोयला चोरी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए नौकरी बचाने खदान बंद करने की बात कही थी
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) कोरबा क्षेत्र की सुराकछार खदान के कोयला साइडिंग से लगातार कोयले की चोरी हो रही है। इससे प्रबंधन खासा चिंतित हो चुका है। पिछले दिनों महाप्रबंधक ने श्रमिक संघ प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित कर खदान से कोयला चोरी नहीं होने पर अपनी मंशा जताते हुए कहा था कि स्थिति में सुधार नहीं होने पर नौकरी बचाने के लिए खदान बंद करना पड़ेगा। महाप्रबंधक के इस बयान के बाद श्रमिक संघ प्रतिनिधियों में कोयला चोरी को लेकर नाराजगी व्याप्त है।