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जेल प्रहरी बिलासपुर के खिलाफ दूसरी शादी का मामला, आयोग ने एस.पी. व जेल अधीक्षक को लिखा पत्र

महिला आयोग कर्मचारियों को जान से मारने की धमकी, थाना गोलबाजार में की गई शिकायत, घर बर्बाद करने वाली दूसरी महिला को आयोग ने भेजा नारी-निकेतन, कांकेर यूनियन बैंक के ब्रांच मैनेजर ने फर्जी व्यक्ति को लोन दिया

छत्तीसगढ़/रायपुर :-  छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 284 वी. सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 135 वी. जनसुनवाई।

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आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका के पति ने आवेदिका से बिना तलाक लिये दूसरी महिला से विवाह कर लिया है। और आवेदिका व तीनों बेटियों को घर से निकाल दिया है। भरण-पोषण भी नही देता और मारपीट करता है। दूसरी महिला व आवेदिका का पति अच्छी तरह जानते है कि बिना तलाक लिये दूसरा विवाह करना गैर-कानूनी है। और उनका विवाह शून्य व अवैध है। आवेदिका को सुरक्षा की दृष्टि से 2 माह के लिए नारी निकेतन भेजने का आदेश आयोग ने दिया।

एक अन्य प्रकरण में आज दिनांक 26.09.2024 को दोनो पक्षों की सुनवाई होनी थी, लेकिन कल दिनांक 25.09.2024 को शाम 6 बजे आयोग कार्यालय में आयोग के कर्मचारियों से अभद्र व्यवहार, गाली-गलौच कर मारपीट किये जाने का प्रयास किया गया। आयोग की क्लर्क के मोबाईल नं. पर फोन कर धमकाने का प्रयास भी किया गया। जिसे आयोग की अध्यक्ष के द्वारा रिकॉर्ड में लिया गया और गोलबाजार थाना की प्रधान आरक्षक सीता चौधरी को दिया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने मूलतः शिकायत किया था कि वह अपने भतीजे के साथ संयुक्त संपत्ति का विभाजन कराना चाहती है क्योंकि भतीजा आवेदिका के साथ मारपीट व गाली-गलौच करता है और संयुक्त खाते की संपत्ति के आधार पर बैंक से 9 लाख 90 हजार रू. का लोन निकाला है जिसकी जानकारी आवेदिका को होने पर उसने बैंक से दस्तावेज निकालकर आयोग में प्रस्तुत किया। आवेदिका के नाम के सामने किसी अन्य महिला का फोटो लगा हुआ था और उसी महिला ने बैंक दस्तावेज में अपना अंगूठा लगाया था। अनावेदक ने आयोग के समक्ष यह स्वीकार किया कि उसने बैंक में बैठी एक महिला जिसे वह नहीं जानता उसका आधार कार्ड व अंगूठे का निशान लगाकर दस्तावेज प्रस्तुत किया। इससे यह स्पष्ट है कि आवेदिका ने लोन के दस्तावेज में स्वयं हस्ताक्षर नहीं किया और दस्तावेज में फोटो भी उसकी नहीं है। इस आधार पर अनावेदक के विरूध्द धोखाधड़ी, छल कपट व दस्तावेजों में हेरा-फेरी का अपराध दर्ज किये जाने के संपूर्ण तथ्य मौजूद है।तथा जिस ब्रांच मैनेजर ने लोन स्वीकृत किया उन्होंने भी यह स्वीकारा की जिस महिला का फोटो दस्तावेज में लगा है वह वास्तव में आवेदिका नहीं है। लेकिन इस बात का स्पष्ट उत्तर आयोग को प्राप्त नहीं हुआ कि लोन देते समय उन्होंने आवेदिका को पहचानने में त्रुटि किया है और अनावेदक को 9 लाख 90 हजार का लोन स्वीकृत कर दिया। आयोग ने कहा कि अनावेदक ब्रांच मैनेजर के खिलाफ अनावेदक के साथ मिलकर षड्यंत्र व धोखाधड़ी के अपराध दर्ज किये जा सकते है। आयोग में वर्तमान ब्रांच मैनेजर भी उपस्थित हुए जिन्हें आयोग की ऑर्डरशीट के आधार पर विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये, तथा अनावेदक ने 2 माह के भीतर लोन की राशि बैंक में वापस जमा करने की स्वीकृति दी। अनावेदक द्वारा हिला-हवाला किये जाने पर उसके विरूध्द अपराधिक मामले दर्ज करने के निर्देश जारी किया जायेगा।

एक प्रकरण में अनावेदक नगर-निगम का जिम्मेदार अधिकारी होने के बाद भी और सूचना मिलने पर भी आयोग की सुनवाई में अनुपस्थित रहा। आवेदिका को उसकी मां की अनुकंपा राशि 59 हजार रूप्ये दिलाये जाने का निर्णय सहायक श्रम आयुक्त ने किया था जिसका भुगतान आज दिनांक तक नगर पालिका निगम रायपुर द्वारा नहीं किया गया है। अनावेदक लगातार आवेदिका को कार्यालय के चक्कर लगवा रहे है। आयोग द्वारा आगामी सुनवाई में अनावेदक को थाना प्रभारी के माध्यम से उपस्थिति के निर्देश दिये।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक जेल प्रहरी केंद्रीय जेल में पदस्थ है और शासकीय सेवा में रहते हुए दूसरी महिला से विवाह कर लिया है। आवेदिका और उसकी बच्ची को बिना तलाक लिये छोड़ दिया है। शासकीय सेवा में रहते हुए और सूचना मिलने के बाद भी अनावेदक आयोग की सुनवाई में अनुपस्थित रहा है। आगामी सुनवाई में अनावेदक को एस.पी. के माध्यम से आवश्यक उपस्थिति का निर्देश आयोग के द्वारा दिया गया।

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