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प्रभारी DEO का कमाल : सरकारी खंडहर भवन को नियम विरुद्ध दे दिया निजी शैक्षणिक संस्थान को, खंडहर भवन में शिक्षण के दौरान अगर कोई अप्रिय घटना घटी तो उन बच्चों का जिम्मेदार कौन होगा, कुछ दिन पूर्व न एकल शिक्षकीय न एकल शिक्षक विहीन स्कूल फिर भी नियम विरुद्ध इन्होंने 106 शिक्षकों का किया था संलग्नीकरण 

कोरबा में अगर आपको सरकारी भवन चाहिए तो विधायक से अनुशंसा करा लीजिए शिक्षा विभाग देने को तैयार है

छत्तीसगढ़/कोरबा-कटघोरा :- कोरबा जिले में शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता की कमी नजर आ रही है जहां पर सभी कार्यों को मनमाने ढंग से किया जा रहा है यहां शासन के आदेशों को दर किनार करते हुए प्रभारी DEO और कांग्रेस के शासनकाल से जमे कोरबा BEO शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने में लगे हुए हैं कुछ दिन पूर्व इनके द्वारा 106 शिक्षकों का संलग्नीकरण किया गया था जिसमें प्राथमिक शाला के 87 तो माध्यमिक शाला के 19 शिक्षक शामिल हैं जबकि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में संलग्नीकरण अटैचमेंट का खेल बीते दो वर्षों से बंद है, बावजूद इसके शासन के आदेशों के नियमों को तक में रखकर शिक्षकों का संलग्नीकरण किया गया, और बाद में सफाई दी गई की व्यवस्था के तहत शिक्षकों का अटैचमेंट किया गया, अब भला इनको कौन बताएं की व्यवस्था के तहत ही अटैचमेंट किया जाता है, जबकि इन्हें शिक्षकों का अटैचमेंट ना कर शासन को इस विषय की जानकारी देनी चाहिए थी, की इन स्कूलों में इतने शिक्षकों की आवश्यकता है, लेकिन इस मामले में शिक्षा विभाग द्वारा मनमानी करते हुए 106 शिक्षकों को संलग्नीकरण किया गया, अब प्रभारी DEO ने एक और कमल दिखाते हुए विधायक के अनुशंसा पर सरकारी खंडहर भवन को ही एक निजी संस्थान को शिक्षण व्यवस्था के लिए दे दिया है, अगर इस खंडहर भवन में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कुछ घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, या फिर वह निजी संस्थान इस सरकारी भवन को क्यों और कब तक के लिए बनवाएगा यह सारे सवाल समझ से परे हैं, शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह के कारनामों के कारण जिले में शिक्षा के क्षेत्र में परिदृश्यता नजर नहीं आ रही है वही इन मामलों को देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में भारी भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट को नजर अंदाज भी नहीं किया जा सकता है ।

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ताजा मामला इस प्रकार है … शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी का एक आदेश काफी चर्चा के साथ सवालों और संशय का विषय बना हुआ है। उन्होंने एक मांग पर कटघोरा विधायक की अनुशंसा से मुख्य मार्ग स्थित एक खंडहर हो चुके सरकारी स्कूल के रिक्त भवन को सरस्वती शिशु मंदिर को विद्यालय संचालन हेतु प्रदान करने का आदेश जारी किया है। आदेश के बाद से स्थानीय लोगों में यह संशय बना है कि विद्यालय का संचालन किन शर्तों और परिस्थितियों में किया जाएगा, सरकारी जमीन पर निर्मित सरकारी भवन का पुनर्निर्माण/ नया निर्माण/जीर्णोद्धार आदि के कार्य किस तरह से होंगे, राशि कौन खर्च करेगा, इस पर किसका आधिपत्य होगा..? आदि कई महत्वपूर्ण बातों का जिक्र इस आदेश में नहीं है। वैसे विभागीय लोगों का ही कहना है कि इस तरह से किसी सरकारी स्कूल को निजी विद्यालय के संचालन हेतु दिया जाना कई तरह के सवाल उठा रहा है। कटघोरा नगर में भी इस आदेश की चर्चा है और विरोध भी। हालांकि यह भी कहा गया है कि विभाग को भविष्य में यदि भवन की आवश्यकता होगी तो सरस्वती शिशु मंदिर संस्था कटघोरा को विभाग को भवन उपलब्ध कराना होगा, लेकिन क्या शिशु मंदिर संचालन की सूरत में ऐसा सम्भव हो पाएगा?

गौरतलब है कि सरस्वती शिक्षा समिति,कटघोरा के अध्यक्ष द्वारा शासकीय बेसिक प्राथमिक शाला कटघोरा में सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कटघोरा के कक्षा संचालन करने हेतु अनुमति के लिए आवेदन 22 अक्टूबर 2024 को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को दिया गया था जो प्राप्त हुआ। इस आवेदन पर त्वरित कार्रवाई करते हुए 23 अक्टूबर को जिला शिक्षा अधिकारी टीपी उपाध्यक्ष ने आदेश जारी कर दिया कि-उक्त वर्तमान में बेसिक प्राथमिक शाला कटघोरा को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय कटघोरा में समायोजित करके नवीन भवन में संचालन किया जा रहा हैं, इस कारण सरस्वती शिशु मंदिर संस्था कटघोरा को उक्त खाली भवन में अस्थाई रूप से अध्यापन कार्य के लिये अनुमति प्रदान की जाती है। यह भी कहा है कि विभाग को भविष्य में यदि भवन की आवश्यकता होगी तो सरस्वती शिशु मंदिर संस्था कटघोरा को विभाग को भवन उपलब्ध कराना होगा।

स्थानीय लोग कर रहे दुरुपयोग

जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि उक्त विद्यालय आत्मानंद स्कूल में मर्ज हो जाने के कारण बच्चे नए स्कूल में पढ़ रहे हैं। यह भवन बंद होने के कारण खंडहर होता जा रहा है।स्थानीय लोगों के द्वारा अपने निर्माण सामग्री यहां रखकर इसका दुरुपयोग किया जा रहा है और गंदगी भी बढ़ रही है। यदि शिशु मंदिर ने अतिरिक्त कमरा के लिए संचालन की अनुमति मांगी है तो उसे देने में कोई हर्ज नहीं है। विधायक की अनुशंसा पर हमने आदेश जारी किया है, भविष्य में जब कभी भी आवश्यकता होगी, भवन वापस ले लिया जाएगा।

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