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सतरेंगा पर्यटन केंद्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने शासन के मंसूबों पर इस आदेश के बाद लगा ग्रहण, पूर्व गृहमंत्री ननकीराम बोले मनमानी नहीं चलने देंगे होगा आंदोलन, सतरेंगा को सवारने अब तक 30 करोड़ खर्च, एक कंपनी को फायदा पहुंचाने एनजीटी के सारे नियम कायदे ताक पर

छत्तीसगढ़/कोरबा :- सतरेंगा के 22 एकड़ निजी भू- भाग में बालको से उत्सर्जित राखड़ डम्प करने ब्लैक स्मिथ कंपनी को दी अनुमति ,मचा बवाल,बोले ननकीराम करेंगे आंदोलन,
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी एवं कोरबा एसडीएम ने विश्व पटल पर सतरेंगा को शानदार पर्यटन केंद्र बनाने के शासन के मंसूबों पर पानी फेर दिया। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की अनुशंसा एवं एनओसी पर एसडीएम कोरबा ने मुहर लगाते हुए बालको के ताप विद्युत संयत्रों से उत्सर्जित राखड़ के परिवहन का कार्य करने वाली फर्म ब्लैक स्मिथ कार्पोरेशन माइनिंग एंड एलाइड प्राइवेट लिमिटेड को ग्राम पंचायत सतरेंगा में 6 किसानों के
स्वामित्व वाली साढ़े 22 एकड़ भू-भाग में फ्लाई एश(राखड़) फिलिंग( भराव) की अनुमति दे दी है। इस आदेश की प्रति वायरल होते ही शासन प्रशासन के उन दावों की हवा निकल गई है जिसमें जिले सतरेंगा को प्रदूषण मुक्त शानदार पर्यटन केंद्र बनाने का सपना दिखाया गया था। अब यहां के निवासी राखड़ भरी धूल के गुब्बार के बीच अपनी जिंदगी व्यतीत करेंगे वहीं पर्यटकों के लिए भी आने वाले दिनों में संबंधित कंपनी द्वारा डम्प किए जाने वाला राखड़ मुसीबत लेकर आएगी।

यहाँ बताना होगा कि एक तरफ राज्य शासन जहां पर्यटन केंद्र सतरेंगा को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में जुटी हुई है । सतरेंगा को संवारने विकास योजनाओं में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं वहीं जिले में पदस्थ पर्यावरण अधिकारी एवं एसडीएम कोरबा शासन के ही मंसूबों पर पानी फेर रहे है । बालको के ताप विद्युत संयत्रों 4 गुणा 135 मेगावाट बालको कैप्टिव पॉवर प्लांट एवं 4 गुणा 300 मेगावाट थर्मल पॉवर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ के परिवहन का कार्य करने वाली फर्म ब्लैक स्मिथ कार्पोरेशन माइनिंग एंड एलाइड प्राइवेट लिमिटेड को ग्राम पंचायत सतरेंगा में 6 किसानों के स्वामित्व वाली 22 एकड़ के विशाल भू-भाग में फ्लाई एश(राखड़) फिलिंग( भराव) की अनुमति दे दी है। इसके लिए अनुमति आदेश में उल्लेख किया गया है कि –


ग्राम सतरेंगा हल्का नंबर 5 स्थित भूमि खसरा नंबर 593 / 56 /क रकबा 0.809 हे०, दामिनी पिता गनपत लाल देवांगन,खसरा नंबर 593/21/ख /1,593/क,593/24/ख/1 रकबा क्रमशः 0.350 हे० ,0 .267 हे० 0.445 हे०सुखसिंह पिता ननका के नाम पर दर्ज है । खसरा नम्बर 593 /58 रकबा 2.2023हे०,कन्हैया व मिलनसाय फुलकुंवर के नाम पर दर्ज है। खसरा नम्बर 582/2 रकबा 2.023 हे०श्री सूरजमल पिता महेत्तर के नाम पर दर्ज है। खसरा नम्बर 593/60 रकबा 2.023 हे० बंधनसाय ,मंगलसाय पिता प्रेमसाय के नाम पर दर्ज है। खसरा नम्बर 593/56 /ख रकबा 1.215 हे० रंजीत तिवारी पिता चन्द्रशेखर तिवारी के नाम पर दर्ज है। खसरा नम्बर 593/35/ख /1 रकबा 0.195 हेक्टेयर सुखसिंह । खसरा नम्बर 594/10/ख /1रकबा 0.070 हे०सुखसिंह के नाम पर दर्ज है। इस तरह 10 विभिन्न खसरा नंबर में कुल 9.1543 हेक्टेयर (22.611 एकड़)भूमि इन 6 भू स्वामियों के नाम पर दर्ज है।

एसडीएम कार्यालय द्वारा जारी आदेश अनुसार उक्त भूमि में बड़े गढ्ढे हैं एवं दलदलीय है । उक्त भूमि को समतल करने के लिए भूमि स्वामियों द्वारा फ्लाई एश(राखड़) एवं मिट्टी फिलिंग (भराव) ब्लैकस्मिथ कारपोरेशन एण्ड अलाईड (ओपीसी) प्राईवेट लिमिटेड से कराना चाहते हैं। जिसके लिए क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल जिला कोरबा से अभिमत प्रदाय किया गया। प्राप्त अभिमत अनुसार भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी ऑफिस मेमोरेंडम दिनांक 28/08 /2019 एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली द्वारा मार्च 2019 में जारी गाइडलाइन की कंडिका 5.0 का अवलोकन करने के उपरांत उक्त कंडिका में उल्लेखित शर्तों के अनुसार फ्लाई एश भराव की अनुमति दे दी है। 12 दिसंबर 2021 को एसडीएम कार्यालय कोरबा से आदेश जारी हो चुका है। हालांकि वर्तमान में सोनपुरी से गढ़ उपरोड़ा तक पीएमजीएसवाई द्वारा तकरीबन 20 करोड़ की लागत से तैयार की जा रही 35 किलोमीटर सड़क का कार्य प्रगतिरत होने की वजह से डामरीकरण होने तक संबंधित कंपनी राखड़ भराव का कार्य शुरू नहीं कर पाई है। लेकिन इस आदेश की प्रति वायरल होते ही पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच चुका है ।अब प्रदूषित फिजा में लोगों को सांसे लेनी पड़ेंगी। एसडीएम कार्यालय एवं क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल की कार्यशैली चर्चा में है। कोरबा पांचवी अनुसूची में आता है। यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है। लिहाजा किसी भी तरह की उत्खनन , परिवहन ,भंडारण या नए कार्यों के लिए ग्राम सभा की अनुमति आवश्यक है लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने इसकी भी जरूरत नहीं समझी। सतरेंगा बांगों का कैचमेंट एरिया है ,यहाँ अथाह जल राशि है ,यहाँ छतीसगढ़ शासन ने पूर्व में सी प्लेन उतारने की भी योजना बनाई थी। ताकि अथाह जलराशि के बीच फ्लोटिंग हाउस तक पहुँचकर आंनद ले सकें। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पूरे पूरे कैबिनेट के साथ सतरेंगा की अथाह जलराशि मोटर बोट एवं फ्लोटिंग हाउस के जरिए आनंद उठा चुके हैं। लिहाज इस तरह के आदेशों पर सवाल उठना लाजिमी है। पूर्व गृहमंत्री व क्षेत्रीय विधायक ननकीराम कंवर भी अधिकारियों के इस कार्यशैली से खासे नाराज हैं उनकी मानें तो जल्द ही वे इस मामले में ठेका कंपनी व जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने आंदोलन करेंगे।

जानें फ्लाई एश कितना नुकसानदेह

फ्लाई ऐश में मौजूद घटक पानी को विषैला बना देते हैं. इसमें भारी धातु, सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड, आर्सेनिक, बोरान, क्रोमियम तथा सीसा, पॉर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और ब्लैक कार्बन होते हैं, जो हवा के साथ उड़ते हुए 20 किमी तक फैल जाते हैं। नदी, नाले और तालाबों का पानी भी इससे जहरीले हो जाते हैं।फ्लाई एस यानी राखड़ वह राख होती है जो कोयले के जलाए जाने के बाद निकलती है । जिले में सभी थर्मल पावर प्लांट कोयले पर आधारित हैं ।स्थानीय कोयले की खानों से यहां पर कोयला पहुंचाया जाता है और उसी कोयले को जलाकर ऊर्जा पैदा की जाती है। राखड़ पाउडर की तरह होती है जो पावर प्लांट की फर्नेस के निचले भाग में एकत्र हो जाती है । इस राख में आर्सेनिक, पारा यानी मरकरी ,शीशा यानी लेड, वैनेडियम, थैलियम मॉलीबेडनम, कोबाल्ट,मैंगनीज, बेरीलियम ,बेरियम एंटीमनी एल्युमिनियम, निकेल, क्लोरीन और बोरान जैसे तत्व पाए जाते हैं इन्वारेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से अधिकांश तत्व हेवी मेटल यानी भारी धातु है ,जिनकी जद में निरंतर आने से किसी भी व्यक्ति को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है यानी एश -पाण्ड के आसपास रहने वाले लोगों को हमेशा गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है।

सतरेंगा को संवारने 30 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर चुका शासन

यह बताना होगा कि सतरेंगा को विश्व पटल पर बेहतर पहचान दिलाने मिनी गोवा की तर्ज पर डेवलप करने शासन पानी की तरह पिछले 3 साल से पैसा बहा रही है। सतरेंगा बोट क्लब एंड रिसॉर्ट का गत वर्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुभारंभ किया था। सतरेंगा में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट्,क्रूज बोट, ओपन ऑडिटोरियम गार्डन, कैफे जैसी सुविधाएं उपलब्ध है। पर्यटन मंडल छत्तीसगढ़ शासन के अधीन इसका संचालन किया जा रहा है। कलेक्टर श्रीमती रानु साहू भी सतरेंगा ,बुका जैसे पर्यटन स्थल को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयत्नशील हैं जिले में पदस्थापना के दौरान ही उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं में इसे शामिल किया था । सतरेंगा तक सुगमता से पहुंचने के लिए सोनपुरी से गढ़ उपरोड़ा तक के लिए 37 किलोमीटर लंबी टू लेन सड़क पीएमजीएसवाई तैयार कर रही है। जिसके लिए 23 करोड़ रुपए से से अधिक की राशि खर्च की जा रही है। सड़क दो माह में तैयार हो जाएगा। इन सुविधाओं के बाद सतरेंगा आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है ।नववर्ष के दिन ही हजारों लोगों की भीड़ सतरेंगा में उमड़ी थी । निश्चित तौर पर सतरेंगा की फिजा प्रदूषित होने पर पर्यटकों को भी काफी निराशा होगी।

बालको के शतप्रतिशत राखड़ यूटिलाइजेशन पर उठे सवाल,एनजीटी के नियमों का ब्लैक स्मिथ कंपनी ने उड़ाया माख़ौल,

बालको प्रबंधन ने क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा को गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में अपने दोनों ताप विद्युत संयंत्रों से कुल जनरेट राखड़ का शत-प्रतिशत यूटिलाइजेशन की जानकारी दी है। बालकों की कागजों में लूटी गई यह वाह वाही जमीनी स्तर पर साफ नजर आ रही है। बालकों के एश पांड भर चुके हैं वह राखड़ का सुरक्षित निबटान में पूरी तरह फेल साबित हो रही है यही वजह है कि बालको के राखड़ परिवहन में लगे ठेका कंपनी नियम कायदे कानूनों को ताक में रखकर जिले की सुरक्षित आबोहवा को बर्बाद करने पर तुला हुआ है। एनजीटी के नियमों के अनुसार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, कृषि भूमि क्षेत्र, वन भूमि क्षेत्र के 2 मीटर की दूरी तक राख नहीं फेंकी जा सकती है जिससे इन भूमि क्षेत्रों को नुकसान न पहुंचे लेकिन ब्लैक स्मिथ कंपनी कृषि भूमि पर बेखौफ बड़े पैमाने पर रिस्दा, बरबसपुर, नटकीखार, सलिहाभांठा तरदा आदि जगहों पर नियम कायदों को ताक में रखकर राख डंप किया है ।नोनबिर्रा में तो प्रतिबंध के बावजूद राख डंप किया गया नियम के अनुसार भले ही वह भूमि कृषि के उपयोग में ना आती हो लेकिन बगैर लैंडयूस बदले राखड़ वहां नहीं फेंका जा सकता है ।इसी प्रकार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बनी हो तो वहां राख नहीं डंप किया जा सकता है लेकिन रिस्दा नाले के समीप भारी मात्रा राख डंप किया गया है, वही वन भूमि की जमीनों पर भी जहां-तहां राख डंप की गई है जिससे जमीनों पर कब्जा तो हुआ ही है साथ में पेड़ों को नुकसान भी पहुंचा है ।

ननकीराम बोले नहीं चलेगी मनमानी ,जिले को बर्बाद करने वाले ठेका कंपनी व अधिकारियों पर कार्रवाई करने ,शीघ्र करेंगे आंदोलन

पूर्व गृहमंत्री एवं वर्तमान रामपुर विधानसभा के विधायक ननकीराम कंवर ने कहा कि गांव की सुरक्षित आबोहवा को प्रदूषित करने शासन की शह पर बालकों की ठेका कंपनी की यह मनमानी हम नहीं चलने देंगे ।राखड़ डम्प करने से व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषित होगा ,राखड़ उड़कर लोगों की सेहत खराब करेगी यही नहीं राखड़ डंप करने की आड़ में मिलीभगत से शासकीय जमीन को कब्जा करने का खेल चल रहा है खेत को कब्जा कर लिया जा रहा है ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे। जल्द ही इस मामले में ठेका कंपनी सहित जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने आंदोलन करेंगे।

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