छत्तीसगढ़/कोरबा :- देश के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में एक अडानी समूह का दबदबा पावर सेक्टर में बढ़ने वाला है। अडानी समूह की बिजली कंपनी अडानी पावर के लिए एक नई डील का रास्ता साफ हो गया है। पिछले कई सालों से वित्तीय संकटों से जूझ रही कोरबा की पावर कंपनी लैंको अमरकंटक के लिए रिजॉल्यूशन प्रोसेस में अडानी पावर को विनर मान लिया गया है। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार कर्ज में फंसी कंपनी लैंको अमरकंटक पावर के लिए बुधवार को अडानी पावर को विनर चुन लिया गया। रिपोर्ट में मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि अडानी पावर ने लैंको अमरकंटक पावर के लिए 4, 101 करोड़ रुपये का ऑफर पेश किया था। अडानी पावर को नीलामी में रिलायंस इंडस्ट्रीज और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन की अगुवाई वाले एक कंसोर्टियम से टक्कर मिलने की उम्मीद थी, लेकिन दोनों प्रतिस्पर्धियों ने नीलामी में हिस्सा नहीं लिया. हालांकि अभी इस बारे में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न तो रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल सौरभ कुमार टिकमणि ने इस बारे में कुछ कहा है, न ही अडानी समूह की ओर से अभी कोई अपडेट दिया गया है।अडानी समूह ने पिछले साल नवंबर में सबसे पहले 3, 650 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था। उसके बाद अडानी ने अपने ऑफर में सुधार करते हुए दिसंबर में उसे बढ़ाकर 4, 101 करोड़ रुपये कर दिया था। वहीं नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल पावर ने प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाते हुए 12 जनवरी को आवेदन किया था। जिंदल पावर ने 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी के साथ 16 जनवरी को 4, 203 करोड़ रुपये का ऑफर पेश किया था, लेकिन बाद में कंपनी अपनी बोली वापस लेते हुए पीछे हट गई थी।
खरीददारों की लिस्ट में थे कई दिग्गज
लैंको अमरकंटक पावर की रिजॉल्यूशन की प्रक्रिया और अडानी के विनर बनने की कहानी काफी दिलचस्प है। लैंको अमरकंटक पावर को खरीदने में कई कंपनियां दिलचस्पी ले रही थीं। दक्षिण भारतीय बाजार में काम कर रही लैंको अमरकंटक के पास एक्टिव पावर प्लांट हैं, जिसके चलते नीलामी प्रक्रिया में कई दिग्गज दिलचस्पी दिखा रहे थे। कंपनी के लिए अडानी के अलावा वेदांता के अनिल अग्रवाल, मुकेश अंबानी और नवीन जिंदल ने भी दिलचस्पी दिखाई थी।
रिजेक्ट हुआ था एक कंपनी का ऑफर
लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड के लिए कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया सितंबर 2019 में शुरू हुई थी। 2022 में अनिल अग्रवाल की कंपनी ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज ने 3000 करोड़ रुपये की बोली पेश की थी, जिसे कर्जदाताओं ने काफी कम बताते हुए रिजेक्ट कर दिया था। उसके बाद जब दोबारा प्रोसेस को शुरू किया गया तो अडानी और अंबानी ने सेल प्रोसेस के उल्लंघन का हवाला देते हुए नीलामी में हिस्सा नहीं लिया था। तब सिर्फ पीएफसी कंसोर्टियम ने 3, 020 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।