छत्तीसगढ़/कोरबा :- अडानी समूह आज पूरे देश में पैर पसारता जा रहा है इन दिनों हसदेव अरण्य का मामला छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में गूंज रहा है जहां घने जंगलों को देश के विकास और कोयला भंडारण के नाम पर उजाड़ने की कोशिश अडानी समूह द्वारा की जा रही है जिसका छत्तीसगढ़ के आदिवासी लगातार विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि अगर इस जंगल को काट दिया जाएगा तो वन्य जीवो के लिए भारी परेशानी होगी व ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में जंगली जानवर प्रवेश कर लोगों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं इसके साथ साथ पर्यावरण संतुलन भी छत्तीसगढ़ में असंतुलित हो सकता है ।
इसी मुद्दे को लेकर अड़ानी समूह के द्वारा कोयला खनन के खिलाफ बिलासपुर 31 मार्च 2022 हसदेव आहरण जंगलों में कोयला खनन के खिलाफ 2012 से एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव द्वारा कोरबा प्रेस क्लब में प्रेस आज 5 जून को कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए बताया कि देश में घने जंगलों के बाहर पर्याप्त कोयला उपलब्ध है अतः हसदेव जैसे घने जंगल जो हाथियों का निवास और बांगो बांध का जल ग्रहण क्षेत्र है उसे उजाड़ना पूरी तरह अनावश्यक है ।
उन्होंने अडानी समूह और केंद्र व राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अडानी समूह पिछले 20 वर्षों में राकेट की तरह बढ़ने वाला समूह है राजस्थान में प्रत्येक वर्ष 700 से 800 करोड़ का अतिरिक्त मुनाफा अदानी समूह को हो रहा है उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति 20 गुना प्रगति की रफ्तार से बढ़ता है तो उसकी प्रगति में कहीं न कहीं अपराध छुपा होता है गॉडफादर नोबेल में एक डायलॉग है विहान एवरी फार्च्यून वेयर इज क्राइम इस पैमाने से जाने तो इनकी प्रगति में कहीं ना कहीं कोई ना कोई अपराध छुपा होता है कोयले में जो राजस्थान की डील अड़ानी ग्रुप की हुई है उनसे प्रत्येक वर्ष एक खदान से लगभग 700 से 800 करोड़ मुनाफा अदानी ग्रुप को हो रहा है जो नॉर्मल मुनाफा से अधिक है वहीं अतिरिक्त तीन खदान और खुल जाने से यह मुनाफा अदानी ग्रुप को 3000 करोड़ अतिरिक्त मुनाफा होगा जो कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार और अपराध की श्रेणी में आता है ।
उन्होंने आगे बताया इन दिनों जो पूरे छत्तीसगढ़ में आदिवासियों द्वारा जंगी प्रदर्शन किए जा रहे हैं हसदेव अरण्य खनन को लेकर जो बिजली चाहिए तो हमें जंगल कटवाने पड़ेंगे जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि देश में कुल कोयले का भंडारण 85% घने जंगलों के बाहर है वह इतनी बड़ी मात्रा में है कि आप 80 साल से 100 साल तक इसे खोद नहीं सकते वहीं बिजली बनाने के लिए दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं 1 लाख 10 हजार मेगा वाट का तो विंडो सोलर का पावर प्लांट लगा हुआ है उसका 10 परसेंट भी इस्तेमाल नहीं हो रहा है कोयले पर आधारित बिजली के कारण पूरे छत्तीसगढ़ में रेलगाड़ियां बंद हो रही हैं लोगों को उजाड़ा जा रहा है जंगल काटे जा रहे हैं बांध को नुकसान पहुंचाया जा रहा है ।
तो यह जो पूरी की पूरी कोयले पर आधारित पालिसी है वह क्वेश्चनेबल है जिसमें राज्य और केंद्र सरकार को पुनः विचार करना चाहिए हमारे पास विकल्प हैं छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बिजली बचत को लेकर घर की बिजली बंद करने के बयान पर उन्होंने हमला करते हुए कहा कि ऊर्जा बचत में यह कहना बच्चों के जैसा होगा कि जो विरोध कर रहे हैं वह घर की बिजली बंद कर दें लोगों को बिल्कुल बिजली बंद करने की जरूरत नहीं है बिजली के सोर्सेस दूसरे भी मौजूद हैं कोयला भी चाहिए तो दूसरे ब्लॉक मौजूद हैं राजस्थान को कोयला चाहिए तो छत्तीसगढ़ से कोयला क्यों ले रहा है, मध्य प्रदेश से 35000 मिलियन टन डिपॉजिट है वहां से ले सकते हैं लेकिन ऐसा लगता है एक जगह पर अडानी ग्रुप ने अपनी पैठ बना ली है उन्होंने अपनी रेल लाइन प्राइवेट बना ली है उनको लगता है हमारे आसपास सब कुछ हो उस कंपनी के पावर प्लांट छत्तीसगढ़ में है जो मूल कोल ब्लॉक एलाइटेड हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में लगे इनके पावर प्लांट पर कोयला लाने दूसरे प्रदेशों से दूर पड़ रहा है इसी कारण जो ठेकेदार कोयला खोदने वाला है उसको छत्तीसगढ़ में ही कोयला नजदीक पड़ेगा अपने प्लांट के लिए । उन्होंने आगे केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह व्यवस्था केवल एक आदमी के लिए बनाई गई है ऐसा लगता है इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार बराबर की जिम्मेदार है बी के बी ब्लॉक में 3 लाख 68000 पेड़ कटे हैं 2009 की गणना के अनुसार, वही परसों में 2 लाख पेड़ और जो अभी जन सुनवाई होने वाली है कहते एक्सपेंशन में वहां wii की रिपोर्ट के अनुसार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 400 से अधिक पेड़ हैं उस हिसाब से 7 लाख पेड़ काटे जाएंगे जो पर्यावरण और स्थानीय आदिवासियों के हिसाब से कतई हित में नहीं होगा ।
आदिवासियों द्वारा हसदेव अरण्य को लेकर जो विरोध किया जा रहा है उसमें अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने आशंका जताते हुए बताया कि सरकार आदिवासियों के इस विरोध को लेकर बल प्रयोग भी कर सकती है ।