छत्तीसगढ़/कोरबा :- एसईसीएल के खनन प्रभावित क्षेत्रों में मुआवजा और पुनर्वास को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। मुआवजे की मोटी रकम के लालच में कई रसूखदार और सफेदपोश लोग प्रभावित गांवों में जमीन खरीदकर करोड़ों के आलीशान मकान खड़े कर चुके हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ बीपीएल कार्डधारी भी इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं, जिन्होंने लाखों रुपये खर्च कर पक्के मकान बना लिए हैं। अब इस पूरे मामले पर सीबीआई की पैनी नजर है।
खनन क्षेत्रों में फर्जी मुआवजा रैकेट सक्रिय
सूत्रों के मुताबिक, कोरबा, गेवरा, कुसमुण्डा और दीपका परियोजनाओं के आसपास जमीन अधिग्रहण की घोषणा के बाद बाहरी और प्रभावशाली लोगों ने स्थानीय ग्रामीणों के नाम पर भूखंड खरीदे और रातोंरात निर्माण कार्य शुरू कर दिए।
मकसद सिर्फ एक — मुआवजे की बड़ी राशि हड़पना।
कंपनी ने इस गड़बड़ी पर रोक के लिए ड्रोन सर्वे शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन कुछ ग्रामीणों ने निजता का हवाला देकर इसका विरोध किया और जिला प्रशासन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
प्रशासन का सख्त रुख – अब ड्रोन सर्वे अनिवार्य
कोरबा कलेक्टर ने कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत निर्देश जारी करते हुए कहा है कि भूमि अधिग्रहण के बाद हर परिसंपत्ति का सैटेलाइट इमेज या ड्रोन सर्वेक्षण अनिवार्य होगा।
प्रमुख निर्देश –
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भूमि और परिसंपत्तियों का एक साथ मुआवजा तय किया जाए।
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ड्रोन सर्वे के बाद बने नए मकानों को शून्य मुआवजा मानकर दर्ज किया जाए।
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प्रत्येक संपत्ति का जियोटैगिंग और वीडियोग्राफी अनिवार्य है।
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भौतिक सत्यापन के बिना भुगतान नहीं होगा।
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अवैध निर्माण वालों से स्वामित्व प्रमाण मांगा जाएगा।
प्रशासन ने साफ कहा — “अब फर्जी मुआवजा और अवैध निर्माण की शिकायतें नहीं चलेंगी।”
हरदीबाजार के ग्रामीणों की 7 प्रमुख मांगें
दीपका क्षेत्र के हरदीबाजार गांव के ग्रामीणों ने एसडीएम पाली को ज्ञापन सौंपकर सात मांगें रखी हैं —
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पुनर्वास स्थल पूरी सुविधाओं के साथ विकसित किया जाए।
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हाईकोर्ट बिलासपुर के आदेश के अनुसार प्रभावितों को एसईसीएल में रोजगार दिया जाए।
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2004 और 2010 के बाद अधिगृहित भूमि वालों को 100% सोलैशियम सहित मुआवजा मिले।
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मकानों की नापी में पुराना-नया का भेद न हो।
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मकान तोड़ने से पहले एकमुश्त भुगतान किया जाए।
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पेसा एक्ट के तहत ग्रामसभा की सहमति से कार्यवाही हो।
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ड्रोन सर्वे को अमान्य मानकर पूर्व निर्धारित तिथि तक बने मकानों को शामिल किया जाए।
नई मुआवजा दरें जारी
केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड, रायपुर ने भवनों और भूमि के मूल्यांकन की नई दरें तय की हैं —
पुराने मकानों पर छूट:
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21–30 वर्ष पुराने: 10%
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31 वर्ष से अधिक पुराने: 20%
वाणिज्यिक भवनों के लिए दरें:
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भूतल/तलघर दुकानें: 10% कमी
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प्रथम-द्वितीय मंजिल: 15%
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अन्य मंजिलें: 20%
अपूर्ण मकान:
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बिना छत/दीवार: 40%
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अधूरा फर्श: 60%
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अधूरा प्लास्टर: 75%
निर्माण दरें:
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आरसीसी मकान ₹3228 प्रति वर्गमीटर
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टीनशेड ₹3000 प्रति वर्गमीटर
- खुली भूमि ₹4304 प्रति वर्गमीटर
रसूखदारों में मचा हड़कंप
सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन 2010 के बाद की रजिस्ट्री रद्द करने की तैयारी में है।
इससे उन प्रभावशाली लोगों में हड़कंप है जिन्होंने फर्जी स्वामित्व दिखाकर मकान खड़े किए।
यदि यह रजिस्ट्री रद्द हुई तो मुआवजा असली भू-स्वामी को मिलेगा, न कि बाहरी निवेशकों को।
कंपनियों को भारी नुकसान
फर्जी दावों और विवादों के चलते एसईसीएल की ठेका कंपनियों को काम ठप और वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है। मजदूरों के भुगतान और मशीनों के रखरखाव की जिम्मेदारी फिर भी कंपनी पर है।
एसईसीएल प्रभावित क्षेत्रों में फर्जी मुआवजा रैकेट प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
जहां असली प्रभावित न्याय की उम्मीद में हैं, वहीं नकली निर्माण करने वाले अब सीबीआई की निगरानी में हैं।