छत्तीसगढ़/कोरबा-करतला :- करतला विकासखंड की ग्राम पंचायत जर्वे में प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही की पराकाष्ठा देखने को मिल रही है। चुनाव के बाद आठ महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक एक भी ग्राम सभा का आयोजन नहीं हुआ है — जबकि जिले की बाकी सभी पंचायतों में चार बार ग्राम सभा आयोजित की जा चुकी है, जिनमें से एक विशेष ग्राम सभा भी शामिल है जो कलेक्टर के आदेश पर 25 जून को हुई थी।
कानून कहता है – साल में चार ग्राम सभाएँ अनिवार्य
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 6 के अनुसार, हर ग्राम पंचायत में वर्ष में कम से कम चार बार ग्राम सभा का आयोजन करना अनिवार्य है। निर्धारित तिथियाँ हैं – 23 जनवरी, 14 अप्रैल, 20 अगस्त और 2 अक्टूबर। इसके अलावा जून और नवंबर में भी बैठकें आयोजित की जा सकती हैं। लेकिन पंचायत जर्वे में फरवरी में हुए चुनाव के बाद एक भी बार ग्राम सभा नहीं बुलाई गई, जो कि नियमों और कलेक्टर के निर्देशों की खुली अवहेलना है।
सरपंच–सचिव की लापरवाही उजागर
ग्राम पंचायत जर्वे के सचिव शोभित राम राठिया पर ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि वे पंचायत मुख्यालय में नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहते। ग्रामीणों का कहना है कि सचिव कभी-कभार ही पंचायत में आते हैं, फोन भी नहीं उठाते, और लोगों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए बार-बार पंचायत का चक्कर लगाना पड़ता है।
कलेक्टर के आदेश बना मज़ाक
जनपद सीईओ द्वारा सभी पंचायतों को ग्राम सभा आयोजन के आदेश दिए गए थे और हर पंचायत के लिए एक प्रभारी अधिकारी भी नियुक्त किया गया है, जिन्हें फोटो, वीडियो और कार्यवाही रिपोर्ट के साथ प्रमाण सौंपना होता है। लेकिन जर्वे पंचायत के जिम्मेदारों ने इस आदेश को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है।
अब सवाल उठता है —
क्या अधिकारी केवल कागज़ों पर ग्राम सभा आयोजित दिखा रहे हैं?
क्या जर्वे पंचायत में जवाबदेही तय की जाएगी या यह लापरवाही यूँ ही जारी रहेगी?
ग्रामीणों की मांग है कि जिला प्रशासन हस्तक्षेप कर जिम्मेदार सरपंच व सचिव पर सख्त कार्रवाई करें, ताकि ग्रामसभा जैसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मर्यादा बनी रहे।