छत्तीसगढ़/कोरबा :- खनिज और ऊर्जा संपदा से सम्पन्न छत्तीसगढ़ में जनता अपने ही राज्य में बिजली बिल की मार झेल रही है। राज्य के कोयले और पॉवर प्लांट से देश के कई राज्यों को बिजली सप्लाई होती है, लेकिन विडंबना यह है कि यहां की आम जनता को ही महंगे बिजली बिल चुकाने पड़ रहे हैं।
सितंबर 2025 में राज्य सरकार द्वारा ‘हाफ बिजली बिल योजना’ में किए गए बदलाव, स्मार्ट मीटर से बढ़े बिल, बिजली दरों में बढ़ोतरी और अनियमित कटौती को लेकर लोगों में गहरा आक्रोश है।
हाफ बिजली बिल योजना में कटौती से बढ़ा बोझ
अगस्त 2025 में सरकार ने योजना में संशोधन कर पहले 400 यूनिट तक मिलने वाली सब्सिडी को घटाकर केवल 100 यूनिट तक सीमित कर दिया। अब 100 यूनिट से अधिक खपत करने पर उपभोक्ताओं को पूरा बिल चुकाना पड़ रहा है। इससे मध्यम वर्गीय परिवारों पर भारी आर्थिक दबाव आ गया है और लाखों उपभोक्ताओं का बिल लगभग दोगुना हो गया है।
स्मार्ट मीटरों की गड़बड़ी से बढ़ी परेशानी
जनता की शिकायत है कि स्मार्ट मीटर गलत रीडिंग दिखा रहे हैं और बिना खपत के भी बिल आ रहा है। उपभोक्ताओं ने मांग की है कि इन गड़बड़ियों की जांच के लिए विशेष दल गठित किया जाए।
जनता की मांग
जनता और संगठनों ने चेतावनी दी है कि जब तक हर घर में सौर ऊर्जा से बिजली उपलब्ध कराने की योजना धरातल पर पूरी तरह लागू नहीं होती, तब तक 300 यूनिट तक बिजली बिल माफ किया जाए।
आंदोलन की चेतावनी
यदि सात दिवस के भीतर सरकार ने ठोस कार्रवाई नहीं की तो जनता सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी। संगठनों ने साफ कहा है कि इस दौरान होने वाली किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी पूरी तरह सरकार की होगी।
ज्ञापन देने वालों में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी, जिला अध्यक्ष अलेक्जेंडर टोप्पो, जिला सचिव विनोद सारथी, कुसमुंडा इकाई संयोजक गोविंदा सारथी, अशोक पटेल, कोरबा शहर अध्यक्ष किरण निराला, महिला संयोजक ज्योति महंत, विमला ध्रुव समेत अन्य सक्रिय सेनानी शामिल रहे।