छत्तीसगढ़/कोरबा :- एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानों में गिनी जाने वाली एसईसीएल दीपका खदान एक बार फिर विवादों के घेरे में है। ताज़ा मामला इतना चौंकाने वाला है कि इस पर प्रबंधन की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, दीपका क्षेत्र का यह पहला बड़ा प्रोजेक्ट है जहाँ पिछले सात-आठ महीनों से फाइनेंस डिपार्टमेंट ही मौजूद नहीं है। इस अजीब व्यवस्था के कारण ठेकेदारों, सप्लायरों और कर्मचारियों को अपने वित्तीय कार्यों के लिए सीधे एरिया ऑफिस के फाइनेंस डिपार्टमेंट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि इससे न केवल समय और ऊर्जा की बर्बादी हो रही है बल्कि अनावश्यक देरी और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, सप्लायरों और ठेकेदारों के लिए यह प्रक्रिया और भी महंगी और थकाऊ साबित हो रही है।
सूत्रों की मानें तो प्रबंधन ने यह सिस्टम ‘सेंट्रलाइज’ करने के नाम पर लागू किया है, लेकिन इसका असली फायदा सीधे-सीधे कुछ अधिकारियों को पहुंच रहा है। अब सवाल उठता है कि जब दीपका जैसा मेगा प्रोजेक्ट पूरे एसईसीएल के लिए ‘बैकबोन’ की तरह काम करता है, तो यहाँ फाइनेंस डिपार्टमेंट क्यों नहीं रखा गया? जबकि कोरबा जिले में और भी कई खदाने संचालित हैं मगर यह सिस्टम सिर्फ दीपका खदान में ही लागू है। जब हमने इस संबंध में प्रबंधन से चर्चा करने की कोशिश की तो उनके द्वारा किसी भी प्रकार का जवाब नहीं दिया गया। अब देखना यह होगा कि एसईसीएल प्रबंधन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाता है या फिर हमेशा की तरह चुप्पी साध लेता है।