छत्तीसगढ़/कोरबा :- आईसीडीएस योजना के तहत बीते 50 वर्षों से सेवाएं दे रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने आज प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करते हुए अपनी बुनियादी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में संयुक्त मंच के आह्वान पर धरना–सभा एवं रैली आयोजित की गई और केंद्र व राज्य सरकार के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि 2 अक्टूबर 1975 से लागू आईसीडीएस योजना में 27 लाख से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता–सहायिकाएँ पूरे देश में लगातार सेवा दे रही हैं, लेकिन आज तक उन्हें न कर्मचारी का दर्जा मिला, न ही श्रमिक का। 50 साल से सेवाएँ देने के बावजूद इन्हें न्यूनतम मजदूरी, पेंशन, ग्रेज्युटी, समूह बीमा, चिकित्सा सुविधा और सम्मान जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं।
कार्यकर्ता–सहायिकाओं की प्रमुख माँगें
-
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी व सहायिका को चतुर्थ श्रेणी शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
-
स्थायीकरण होने तक कार्यकर्ता को ₹26,000 और सहायिका को ₹22,100 (85%) समान वेतन मिले।
-
सेवा निवृत्ति पर पेंशन, ग्रेज्युटी, समूह बीमा और कैशलेश चिकित्सा सुविधा दी जाए।
-
सहायिका को कार्यकर्ता और कार्यकर्ता को सुपरवाइजर पद पर पदोन्नति का अवसर मिले।
-
डिजिटल प्रक्रियाओं जैसे फेस कैप्चर व e-KYC को बंद कर ऑफलाइन कार्य पद्धति लागू हो।
-
मंहगाई भत्ता और गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार न्यूनतम वेतन व ग्रेज्युटी लागू हो।
-
रिटायरमेंट पर कार्यकर्ता को ₹10,000 मासिक पेंशन और ₹5 लाख ग्रेज्युटी, सहायिका को ₹8,000 पेंशन व ₹4 लाख ग्रेज्युटी मिले।
-
आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर केंद्र और राज्य सरकार ने जल्द सुनवाई नहीं की तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा।