छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोरबा जिले के दीपका कॉलोनी निवासी केशव प्रसाद केंवट ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी निजी भूमि पर रेलवे ठेकेदारों द्वारा जबरदस्ती कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। पीड़ित के अनुसार, खसरा नंबर 450/3, रकबा 67 डिसमिल की भूमि में से 45 डिसमिल भूमि पूर्व में रेलवे द्वारा अधिग्रहित की जा चुकी है, किंतु शेष 22 डिसमिल भूमि आज भी उनके स्वामित्व में है, जिस पर उनका मकान, केटरिंग यूनिट, बाथरूम, पानी की टंकी एवं पेड़-पौधे मौजूद हैं।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, हाल ही में रेलवे के ठेकेदारों द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना या अनुमति के न सिर्फ उनकी निजी संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया गया, बल्कि मकान को तोड़ने की धमकी भी दी गई है। ठेकेदारों ने केटरिंग सेटअप, बाथरूम, पानी टंकी को तोड़ दिया और पेड़ काट दिए। साथ ही उनकी निजी भूमि पर अवैध रूप से मिट्टी डंप कर दी गई, जिससे अवैध कब्जे की आशंका और भी गहरी हो गई है।
केशव प्रसाद ने बताया कि अगर रेलवे की ओर से उनका मकान तोड़ा गया, तो उन्हें गंभीर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उनकी शेष 22 डिसमिल भूमि को अविलंब कब्जामुक्त कराया जाए और ठेकेदारों द्वारा की गई क्षति का उचित मुआवजा दिया जाए।
पीड़ित ने पूर्व में भी अप्रैल माह में कलेक्टर से शिकायत करते हुए उनके संज्ञान में लाया था कि मेरी उक्त भूमि के लिए कई बार सीमांकन के लिए आवेदन देने के बावजूद भी तहसीलदार, आरआई, और हल्का पटवारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया गया जिसके कारण मेरी भूमि की लंबाई चौड़ाई का आंकड़ा नहीं मिल पाया इसके चिन्ह नागिन के लिए पीड़िता द्वारा बार-बार निवेदन किया गया लेकिन हल्का पटवारी व तहसीलदार अनसुना करते रहे मजबूरन पीड़िता द्वारा कलेक्टर से फरियाद करते हुए न्याय की गुहार लगाई गई जिसकी प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक, अनुविभागीय अधिकारी कटघोरा, तहसीलदार दीपिका, थाना दीपिका, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी को दिया गया है
लेकिन चार महीना चक्कर काटने के बाद सुनवाई नहीं होने पर पुनः यह प्रकरण 23 जून 2025 को जनदर्शन में कलेक्टर कोरबा को लिखित रूप से सौंपा गया है। लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है खबर प्रकाशित होने के बाद देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितना संवेदनशीलता दिखाता है और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए क्या ठोस कार्रवाई करता है।