छत्तीसगढ़/कोरबा :- छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने कोरबा नगर निगम को 30 करोड़ रुपये की बड़ी सौगात दी। इस अवसर पर उन्होंने मंच से यह भी बताया कि अब तक कोरबा नगर निगम को कुल 280 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा चुकी है। इस घोषणा के साथ नगरवासियों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद बंधी।
लेकिन जहां एक ओर मंच से विकास के वादे हो रहे थे, वहीं दूसरी ओर कार्यक्रम स्थल पर मानवीयता को शर्मसार करती एक तस्वीर भी सामने आई।
नाश्ते के पैकेट के लिए धक्का-मुक्की, बच्चों और महिलाओं से अमानवीय व्यवहार
कार्यक्रम स्थल पर नाश्ते के पैकेट वितरण के दौरान नगर निगम कर्मचारियों का रवैया न केवल अव्यवस्थित था, बल्कि आमजन के साथ असंवेदनशील और अपमानजनक भी रहा।
निगम के कर्मचारी, जिनमें प्रमुख रूप से अरुण मिश्रा का नाम सामने आया है, बच्चों और महिलाओं को नाश्ते के पैकेट के लिए धक्का देते, डांटते और उन्हें अपमानित करते हुए कैमरे में कैद हुए। कई बच्चे भयभीत होकर पीछे हटते दिखे तो कई महिलाओं को सार्वजनिक रूप से टोककर भगा दिया गया।
‘गुड गवर्नेंस’ पर उठते सवाल
जहां मंच पर “सर्वजनहित” और “सविनय प्रशासन” की बातें हो रही थीं, वहीं जनता के साथ ऐसा व्यवहार उन दावों को खोखला साबित कर रहा था। सवाल यह उठता है कि क्या जनता को अपमानित करना, डराना और धकेलना उस सुशासन की परिभाषा में आता है जिसकी बात सरकार बार-बार करती है?
निगमकर्मी अरुण मिश्रा पर लगे पुराने आरोप भी आए सामने
कार्यक्रम के दौरान मौजूद निगम कर्मचारियों का कहना है कि अरुण मिश्रा खुद को ग्रेड वन अधिकारी से कम नहीं समझते और अक्सर इस तरह की अभद्रता करते रहते हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब उन्होंने कार्यक्रम के दौरान आमजन से ऐसा बर्ताव किया हो। उनकी कार्यशैली पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं।
जनता पूछ रही है—क्या विकास का मतलब केवल घोषणाएं हैं, या फिर सम्मानपूर्ण व्यवहार भी उसमें शामिल है?
















