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कोरबा निगम चुनाव में निर्दलीय पार्षद प्रत्याशियों की रहेगी बल्ले बल्ले, अबकी बार जनता राष्ट्रीय पार्टियों की अपेक्षा निर्दलीय पार्षद प्रत्याशियों पर जाता रही भरोसा

छत्तीसगढ़/कोरबा :- अबकी बार निकाय चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियों की अपेक्षा निर्दलीय पार्षद प्रत्याशियों पर जनता ज्यादा भरोसा कर रही है जिसके कारण कई निर्दलीय प्रत्याशियों की इस चुनाव में भाग्य की लॉटरी खुलने वाली है कोरबा नगर पालिक निगम के मतदाताओं में निर्दलीय पार्षद प्रत्याशियों को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है इसके साथ-साथ नगर पालिका और नगर पंचायतो में भी अमूमन यही हाल देखा जा रहा है, सुर्खियां न्यूज़ की टीम ने जब निर्दलीय पार्षद प्रत्याशियों पर जनता के भरोसा की पड़ताल की तो पता चला कि राष्ट्रीय पार्टियों के द्वारा जो टिकट वितरण किया गया है उससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है खुद पार्टी के कार्यकर्ता अंदरूनी रूप से निर्दलीय प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे हैं वही जनता में भी टिकट वितरण को लेकर असंतोष व्याप्त है कई चेहरों को राष्ट्रीय पार्टियों ने तीसरी चौथी बार पुनः पार्षद प्रत्याशी के लिए चुनावी मैदान में उतारा है, नए चेहरे को पार्टियों द्वारा मौका नहीं दिया गया है जिसके कारण कार्यकर्ताओं समेत जनता में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है,

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इसके साथ-साथ ओबीसी वर्ग के आरक्षण मे अनदेखी करते हुए टिकट वितरण में कटौती करना भी समाज वर्ग जनता के आक्रोश का कारण है, इसके अलावा स्थानीय छत्तीसगढ़िया लोगों को राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा तवज्जो न देते हुए टिकट वितरण में मनमानी से स्थानीय मूल निवासी कार्यकर्ताओं समेत मतदाताओं में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है जिसका असर निकाय चुनाव मे देखने को मिल सकता है और निर्दलीय प्रत्याशियों के भाग्य की लॉटरी सी लग सकती है,

वही महापौर और नगर परिषद व नगर पंचायत अध्यक्ष पद के टिकट वितरण में भी राष्ट्रीय पार्टियों ने मनमानी करते हुए टिकट वितरण किया है जिसके कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं समेत जनता में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है यही कारण है कि लोगों में निर्दलीय पार्षद प्रत्याशियों के प्रति ज्यादा रुझान देखने को मिल रहा है, हालांकि निकाय चुनाव मतदान में अभी प्रत्याशियों को 10 दिन का समय है जिसमें वह जनता के बीच पहुंचकर उन्हें आश्वासन दिलाते हुए अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं, और मतदाताओं को भरोसे के साथ संतुष्ट करते हुए उनके मतों को अपने पक्ष में कर सकते हैं .. आशंका जताई जा रही है कि कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की नाराजगी राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए प्रत्याशी महापौर पद और नगर पालिका व नगर अध्यक्षों के पद के प्रत्याशियों के चुनावी समीकरण में भी प्रभाव पड़ सकता है ।

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