छत्तीसगढ़/कोरबा :- एसईसीएल (SECL) के मेगा प्रोजेक्ट दीपका (Dipka) के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के मुआवजा (Compensation) वितरण की जांच सीबीआई द्वारा शुरू की गई है। बताया गया है कि 26 ऐसे लोगों को 17 से 18 करोड़ रुपए का मुआवजा वितरण किया गया है, जो इसके हकदार नहीं थे। मुआवजे के इस खेल में राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका सामने आ रही है। गलत तरीके से मुआवजा प्राप्त करने वालों में श्रमिकों की नेतागिरी करने वाले, पुलिस, पत्रकार, राजस्व एवं वन विभाग के रिश्तेदार सम्मिलित है। मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा की एक महिला अधिकारी की भूमिका संदिग्ध है। यहां बताना होगा कि एसईसीएल ने दीपका खदान विस्तार के लिए ग्राम मलगांव और सुआभोड़ी स्थित जमीन का अधिग्रहण किया है। इसमें कृषि भूमि एवं बस्ती की जमीन है। बताया गया है कि कृषि भूमि के अधिग्रहण और इसके मुआवजा वितरण में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है। मुआवजे का खेल बस्ती की जमीन के अधिग्रहण में हुआ है।
एसईसीएल के सर्तकता विभाग को की गई थी शिकायत
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने इस मुआवजे के निर्धारण में हुई गड़बड़ी की शिकायत एसईसीएल के विजिलेंस से की थी। विजिलेंस के अलावा प्रशासन और शासन के ध्यान में भी इस मामले को लाया गया। बाद में एसईसीएल के विजिलेंस विभाग ने मुआवजा वितरण में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया। सोमवार को सीबीआई की टीम ने दीपका सहित अन्य स्थानों पर दबिश दी और दस्तावेज जब्त किए।
गांव के निवासी नहीं और मुआवजा पत्रक कर दिया तैयार
गांव मलगांव के लोगों का दावा है कि उनके गांव में 26 ऐसे लोगों का मुआवजा बनाया गया है जिनका उनके गांव से कोई संबंध नहीं है और न ही इन लोगों का परिवार कभी गांव में रहा है। इन लोगों को जिला प्रशासन के राजस्व अमले ने गांव का निवासी होना बताकर गलत तरीके से मुआवजा पत्रक तैयार कराया। इस दस्तावेज को कटघोरा राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों ने अपने हस्ताक्षर से प्रमाणित किया और एसईसीएल को संबंधित व्यक्तियों को मुआवजा प्रदान करने के लिए निर्देशित किया। प्रशासन के निर्देश का हवाला देकर एसईसीएल ने 26 ऐसे लोगों को 17 से 18 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा जो कभी इस गांव में रहे नहीं।
राजस्व कर्मचारी ने रिश्तेदारों के नाम मुआवजा सूची में जुड़वाए
बताया जाता है कि 26 लोगों की सूची में राजस्व विभाग के एक कर्मचारी के कई रिश्तेदार भी शामिल हैं। जिनके नाम पर मलगांव में मकान दिखाया गया और इस मकान का मुआवजा निर्धारित कराया गया। इस मुआवजा पत्रक पर तत्कालीन पटवारी, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, लोक निर्माण के सब इंजीनियर और वन विभाग के वन परिक्षेत्राधिकारी ने हस्ताक्षर किए। इसे आधार बनाकर मुआवजा देने निर्देश जारी किया गया।