विकासखंड उदयपुर अंतर्गत आने वाले ग्राम परसा में शुक्रवार को केते एक्सटेंशन खुली खदान के लिए जन सुनवाई चाक चौबंद पुलिस व्यवस्था के बीच संपन्न हुई. जिला प्रशासन के निर्देशन पर जन सुनवाई का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण हुआ.
केते एक्सटेंशन खुली खदान के लिए हुई जन सुनवाई, विरोध और समर्थन भी
छत्तीसगढ़/ सरगुजा-उदयपुर :- विकासखंड उदयपुर अंतर्गत आने वाले ग्राम परसा में शुक्रवार को केते एक्सटेंशन खुली खदान के लिए जन सुनवाई चाक चौबंद पुलिस व्यवस्था के बीच संपन्न हुई. जिला प्रशासन के निर्देशन पर जन सुनवाई का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण हुआ. अपर कलेक्टर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पर्यावरण अधिकारी सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे. विकासखंड उदयपुर अंतर्गत आने वाले ग्राम परसा में शुक्रवार को आयोजित किए थे एक्सटेंशन खुली खदान की पर्यावरणीय जनसुनवाई में सुबह 5:00 बजे से ही लोगों का आना जाना लगा रहा जो की शाम 5:30 बजे तक चला. इस दौरान समर्थन और विरोध के बीच लोग अपनी बात रखते रहे खदान का समर्थन करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी. इस जनसुनवाई के लिए तैयार बड़े पंडाल में लगभग चार से पांच हजार लोग उपस्थित रहे. पुलिस द्वारा एवं जिला प्रशासन की ओर से उक्त जनसुनवाई के लिए व्यापक तैयारियां की गई थी, दर्जनों की संख्या में ग्राम परसा को जोड़ने वाले हर चौक चौराहों पर पुलिस बल तैनात किए गए थे. महिला एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग बैठने की व्यवस्था जनसुनवाई में आने वाले लोगों के लिए पार्किंग, भोजन पानी और शौचालय की व्यवस्था की गई थी.
जन सुनवाई शुरू होने का समय सुबह दस बजे के करीब था उससे पहले बड़े पैमाने पर पंडाल में लोग उपस्थित रहे और जन सुनवाई शुरू होने का इंतजार करने लगे.
खदान का विरोध करने वाले लोगों में शामिल रामलाल करियाम ने कहा खदान समर्थकों द्वारा उदयपुर ब्लॉक से बाहर के लोगों को गाड़ियों में ढोकर समर्थन बुलवाने के लिए लाया गया. सुबह पांच से आठ बजे तक तेज बारिश में भी हजारों की संख्या में लोगो को लाया गया था. स्थानीय प्रभावित ग्राम के लोग प्रारंभ के कुछ घंटे तक तो उन्हे बोलने का अवसर ही नहीं मिला.
रायपुर से छत्तीसगढ बचाओ आंदोलन एनजीओ के संयोजक आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अमित बघेल सहित सैकड़ों विरोध करने वाले लोग लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करने लगे परंतु खदान समर्थकों की लंबी लाइन के विरोधियों को बोलने का मौका इक्का दुक्का ही मिल पाया.
कोल खदान के समर्थकों में से हजारों लोगों ने किसी ने अदानी को समर्थन करने की बात कही तो किसी ने केते एक्सटेंशन का समर्थन किया. निजी विद्यालय में बेहतर पढ़ाई का जिक्र, खदान से रोजगार उपलब्ध होने एंबुलेंस की व्यवस्था तथा सीएसआर मद से बिजली इत्यादि तथा एक पेड़ के बदले पांच पेड़ लगाने की बात कहते हुए अपना समर्थन दिया.खदान समर्थकों ने इस बीच एनजीओ और रायपुर से आए लोगों को बाहरी कहते हुए कहा pekb खदान के वक्त ये लोग कहां थे जैसी बात भी कही तथा इनका विरोध भी किया.लोगों द्वारा केवल समर्थन और विरोध बोलकर एक शब्द में अपनी बात कहने वालों से पर्यावरण अधिकारी ने कहा पर्यावरणीय जनसुनवाई है जिन लोगों ने भी सिर्फ समर्थन और विरोध की बात कही है. अपने बातों को लिखित में देने को कहा ताकि पता चल सके किस बात का समर्थन है और किस बात का विरोध है.
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सहित अन्य लोग को भीड़ में बोलने का मौका नहीं मिलने पर इन लोगों ने 1600 से अधिक लोगों के हस्ताक्षरित लिखित में केते एक्सटेंशन के विरोध का ज्ञापन पर्यावरण अधिकारी को सौंपा.
डांडगांव के युवक अजितेश सोनी ने लाइन में लगकर प्वाइंट वार जब अपनी बात रखनी शुरू की तो सभी लोग उनकी ओर देखना शुरू कर दिए. उन्होंने लोगों को पांच सौ और हजार रुपए लेकर समर्थन देने आने का आरोप लगाया उन्होंने यह भी कहा कि ब्लास्टिंग से रामगढ़ पहाड़ में दरार पड़ रहा है. अपनी बात रखकर निकलते वक्त खदान समर्थक लोग धक्का मुक्की करने लगे तब माइक से पर्यावरण अधिकारी सभी को शांत रहने और शांति पूर्ण तरीके से अपनी बात अधिकारियों के समक्ष रखने की अपील की गई