छत्तीसगढ़/कोरबा :- एनटीपीसी कोरबा परियोजना के भूविस्थापितों ने तानसेन चौक पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू कर दिया गया। ग्राम चारपारा के भू-विस्थापित नौकरी और शेष मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इनका खुला आरोप है कि एनटीपीसी प्रबन्धन और जिला प्रशासन झूठी- भ्रामक आश्वासन देकर गुमराह कर रहे हैं। लगातार अनशन के बाद भी नौकरी मुआवजा का लिखित में पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।
भू-विस्थापित राजन कुमार पटेल घसिया राम केवट, मथुरा केवट, रामायण प्रसाद केवट, शुभम केवट के द्वारा आमरण अनशन किया रहा है। इनका आरोप है कि NTPC की नीति फूट डालो शासन करो की है, भू-विस्थापितों ने प्रबन्धन और प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाया है।
बता दें कि एनटीपीसी कोरबा के लिए वर्ष 1979-80 में ग्राम चारपारा की भूमि अर्जन के बाद 43 साल बाद भी रोजगार नहीं देने से नाराज भूविस्थापित आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने 30 जनवरी से कलेक्टर कार्यलय के सामने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री निवास तक पैदल मार्च भी करेंगे ।
एनटीपीसी कोरबा परियोजना से प्रभावित ग्राम चारपारा के भूविस्थापितों ने बताया कि प्रशासनिक सहित एनटीपीसी के अधिकारियों ने बार-बार झूठा आश्वसन देकर रोजगार उपलब्ध कराने का वादा किया किन्तु कोई कार्यवाही नही हुयी है जिसके कारण अपने आंदोलन का विस्तार कर रहे हैं। एनटीपीसी में भूविस्थापित रोजगार बन्द हो चुका है कहकर उनके अधिकार का हनन किया जा रहा है जबकि 2015 में सीपत बिलासपुर में भर्ती किया गया। इसके अनुसार राज्य पाल के द्वारा भू-विस्थापितों नौकरी देने आदेशित किया गया है।
राजन पटेल ने बताया कि सन् 1978-79 व 1980 से 1986 तक ग्राम चारपारा की 1000 हजार एकड़ भूमि में लगभग 650 एकड़ भूमि एनटीपीसी द्वारा अधिग्रहण किया। इस संबंध में रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। ग्राम चारपारा में भू-विस्थापितों के द्वारा एनटीपीसी में नौकरी और शेष मुआवजा की मांग पर 93 दिनों तक अनिश्चित कालीन धरना दिया गया। निराकरण नहीं होने पर 24 जुलाई को एनटीपीसी के गेट पर सांकेतिक प्रदर्शन पर प्रबंधन के द्वारा राज्यपाल के निर्देश अनुसार नौकरी देने की बात कही गई किन्तु दूसरे दिन ही प्रबंधन व दर्री तहसीलदार के द्वारा गुमराह करना चालू कर दिया गया। अनेकों गुहार के बाद अब आंदोलन को तेज किया जा रहा है।