छत्तीसगढ़/कोरबा :- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं मान. छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के तत्वाधान में माननीय जिला न्यायाधीश-अध्यक्ष महोदय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के आदेशानुसार 22 फरवरी 2022 से 03 मार्च 2022 तक शास. पी.जी. कॉलेज कोरबा में युवा विधि जागरूकता के तहत यूजीसी नार्मस् आधारित सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया गया। युवा विधि जागरूकता कोर्स के तहत् 03 मार्च 2022 को जिला न्यायाधीश-अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा श्री बी.पी. वर्मा, द्वारा अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को संबोधित किया गया। जिला न्यायाधीश श्री वर्मा ने बताया कि 16-18 वर्ष के किशोर-किशोरियों को 50 सीसी बिना गेयर वाली वाहन का लायसेंस बनवाना आवश्यक है। वाहन चलाने के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक आयु होने पर ही हल्के-भारी वाहनों का लायसेंस बनवाया जा सकता है।
जिला न्यायाधीश-अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा श्री वर्मा द्वारा ‘‘अपराध‘‘ क्या है, को स्पष्ट किया गया। श्री वर्मा द्वारा अपराध को स्पष्ट करते हुये बताया गया कि ‘‘जो व्यवहार स्वयं को अच्छा (उचित) न लगे, वह व्यवहार दूसरों के साथ करना ही अपराध है।‘‘ माननीय महोदय जी ने अपराध की अर्थ स्पष्ट कर कुछ अपराधों के बारे में बहुत ही सरल शब्दों के माध्यम से कुछ अपराधों के संबंध में समझाया गया जिसमें साधारण मारपीट के केस में आईपीसी की धारा 323, अगर कोई अपराध करने के लिये किसी हथियार का प्रयोग करता है तो आईपीसी की धारा 324, अगर कोई शख्स किसी को गंभीर रूप से चोट पहुंचाता है तो आईपीसी की धारा 325, अगर कोई शख्स किसी घातक हथियार से किसी को गंभीर रूप से जख्मी करता है तो आईपीसी की धारा 326, अगर किसी पर कोई जान लेने की नियत से हमला करता है तो आरोपी को आईपीसी की धारा 307 के तहत् दंडित किया जाता है। साथ ही माननीय महोदय जी उपस्थित विद्यार्थियों-लाभार्थियों को मोटर वाहन एक्ट दण्ड प्रावधान एवं उससे जुडंे कानून के बारे में स्पष्ट करते हुये बताया गया कि किसी भी वाहन चालक को तीन महत्वपूर्ण बातों ‘‘ वाहन का रजिस्ट्रेशन, वाहन का इंश्योरेंस, एवं चालक का वैध लायसेंस‘‘ के बारे में जागरूक किया गया। उपयुक्त तीनों में से किसी भी एक की विलोपता की दशा में होने वाले क्षति एवं उक्त अपराध की सजा एवं जुर्माने के बारे में अवगत कराया गया। माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा विधिक जागरूक कार्यक्रम में बताया गया कि आजादी की लड़ाई में भागीदारी निभाने वाले वीर जवानों के कारण ही हम आज इतने स्वच्छंद है। ‘‘स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता‘‘ विषय में बताते हुये मान. महोदय द्वारा अंतर स्पष्ट किया गया कि ‘‘स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता‘‘ दोनों का अर्थ प्रायः लोग समान समझ लेते हैं किंतु दोनों अलग-अलग है। स्वच्छंदता इच्छा अनुरूप व्यवहार है अर्थात इच्छानुसार कार्य करना। अब यह इच्छानुसार कार्य करना अर्थात स्वच्छंदता सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। अतएव दोनो का अर्थ अलग-अलग है। उक्त कार्यक्रम में श्रीमति शीतल निकुंज, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, प्राचार्य, श्री आर.के सक्सेना, शास. पी.जी. कॉलेज कोरबा एवं शासकीय पी.जी. कॉलेज कोरबा के प्राध्यापकगण एवं सहायक प्राध्यापक सहित लगभग 60 विद्यार्थी उपस्थित रहें।